भूमि अधिग्रहण व मुआवजे को लेकर उत्पन्न विवाद का जड़ से निदान करेंगे : हेमंत
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार आजादी के बाद से ही विभिन्न लोक उपक्रमों, डैम और खनन कार्यां के लिए की गयी भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजे तथा पुनर्वास को लेकर उत्पन्न विवाद का जड़ से निदान करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही विस्थापन आयोग का गठन करने जा रही है और वर्षां से चले आ रहे विवाद एवं समस्याओं के निदान की कोशिश की जाएगी। सोरेन ने विधानसभा में बुधवार को कांग्रेस विधायक अम्बा प्रसाद के एक ध्यानाकर्षण सूचना पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि राज्य में कई बड़़े उद्योगों की स्थापना, डैम और खनन कार्यां के लिए भूमि अधिग्रहण से काफी संख्या में लोग विस्थापित हुए है, अब भी लगातार शिकायतें मिल रही है, कुछ मामले तो 25-30वर्ष पुराने है ,तब कौड़ियों के भाव में भूमि अधिग्रहण की गयी, लेकिन अब ग्रामीणों का परिवार बढ़ा और लोग सजग हुए है, इस कारण भूमि अधिग्रहण को लेकर कहीं न कहीं रोष भी है। केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को संसद में पारित कराया, जिसमें अधिग्रहण के एवज में उचित मुआवजा का प्रावधान था, लेकिन राज्य में पूर्ववर्ती सरकार में इस कानून की बड़े पैमाने पर अवहेलना हुई। इन समस्याओं के निदान के लिए सरकार विस्थापन आयोग का गठन करने जा रही है। वहीं विधायक अम्बा प्रसाद ने कहा कि एक ओर गोड्डा के विस्थापितों को प्रति एकड़ 55लाख रुपये और पुनर्वास पैकेज मिल रहा है, वहीं उनके विधानसभा क्षेत्र में प्रति एकड़ मात्र 22 लाख रुपये ही मिल रहा है और पुनर्वास की राशि भी नहीं दी जा रही है, जबकि विस्थापितों की समस्याओं को उठाने के कारण ही उनके पिता और पूर्व मंत्री योगेंद्र साव तथा मां सह पूर्व विधायक निर्मला देवी समेत हजारों ग्रामीणों पर अलग-अलग केस दर्ज कर दिया गया है।