काम कर गया PK का बिहार वाला फार्मूला? बीजेपी के जाल में फंसने से ‘आप’ को बचाया
सिटी पोस्ट लाइवः दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती जारी है। शुरूआती रूझान सामने आ गये हैं। शुरूआती रूझानों में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिल गया है। हांलाकि यह रूझान हैं नतीजों के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा। रूझान जो संकेत दे रहे हैं उन संकेतों की वजह से एक सवाल वाजिब हो जाता है। सवाल यह कि क्या प्रशांत किशाोर ने 2015 बिहार विधानसभा चुनाव वाला फार्मूला दिल्ली में अपनाया और वो फार्मूला काम कर गया? यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में समानता दिखी है।
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। गिरिराज सिंह ने कहा था कि अगर लालू-नीतीश जीते तो पाकिस्तान में पटाखे छूटेंगे यही नहीं बीजेपी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में उसी तरह प्रचार किया था जिस तरह इस बार दिल्ली चुनाव में किया है। कोशिश थी कि लालू-नीतीश को उन मुद्दों पर लाया जाय जिस पर बीजेपी चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन प्रशांत किशोर की रणनीति यह रही कि लालू सामाजिक न्याय की बात करते रहे और नीतीश विकास की बात करते रहे अपने काम पर वोट मांगते रहे जाहिर है कि नीतीश और लालू ने क्रीज से आगे निकलकर बैटिंग करने की कोशिश नहीं की और पीके की यह रणनीति काम कर गयी। दिल्ली चुनाव में भी यही हुआ है। बीजेपी ने आक्रामक ढंग से प्रचार हुआ है। यहां भी बीजेपी अपने मुद्दों पर आम आदमी पार्टी को खींचने की कोशिश कर रही थी।
बीजेपी ने शाहीनबाग का मुद्दा उठाया। बीजेपी ने पाकिस्तान की बात की। बीजेपी ने गद्दार और वफादार की बात की लेकिन ‘पीके’ ने ‘आप’ को बीजेपी के जाल में फंसने नहीं दिया। सीएम अरविंद केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी के तमाम नेता विकास और काम की बात करते रहे। असर यह रहा कि कभी कभार बीजेपी को आम आदमी पार्टी के मुद्दे पर लौटना पड़ा। जिन मुद्दों पर आम आदमी पार्टी यह सियासी खेल खेलना चाहती थी बीजेपी उन मुद्दों पर आती दिखायी दी। तभी बीजेपी के सांसदों ने स्कूलों की तस्वीरें पोस्ट की। स्कूलों और अस्पतालों की बात की। रूझान बता रहे हैं कि पूरे प्रयास के बाद बीजेपी आम आदमी पार्टी को अपने जाल में नहीं फंसा पायी और कहीं न कहीं यह प्रशांत किशोर की रणनीतिा का भी असर रहा है।
Comments are closed.