जोकीहाट उपचुनाव नीतीश कुमार के लिए बहुत मायने रखता है .महागठबंधन से नाता तोडऩे के पश्चात यह दूसरा मौका है जब पार्टी जनता का सामना कर रही है. पिछले दिनों जहानाबाद में हुए उपचुनाव में जदयू को हार का सामना करना पड़ा था.
सिटीपोस्टलाईव: सबकी नजर 28 मई को होनेवाले जोकीहाट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर टिकी ही.आरजेडी सुप्रीमो तो बीमार हैं लेकिन जेडीयू ने ऐडी-चोटी का जोर लगा दिया है.बिहार के सारे मंत्री एवं पूर्व मंत्री वहां कैंप कर रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कल 24 मई को वहां एक चुनावी सभा को संबोधित करेंगे. यह सीट जदयू के कब्जे में थी, और इसे फिर से हासिल करने को पार्टी पूरे प्रयास कर रही है.
लालू -नीतीश का राजनीतिक भविष्य तय करेगा जोकीहाट चुनाव .लालू यादव तो जेल में हैं .लेकिन जेडीयू प्रत्याशी के पक्ष में हवा बनाने के लिए जेडीयू के कई नेता मंत्री वहां लगातार कैंप कर रहे हैं.ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, एससी एसटी कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी किसी भी तरह से यह सीट निकालने में जुटे हैं.उनका साथ देने के लिए पूर्व मंत्री दुलालचंद गोस्वामी, डा. अशोक चौधरी, लेसी सिंह के अलावा युवा जदयू के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुशवाहा, विधान पार्षद रणवीर नंदन, पूर्व एमएलसी रूदल राय भी पहुंचे हुए हैं.
निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व मंत्री मंजर आलम को जेडीयू ने अपने पक्ष कर लिया है लेकिन चुनौती अभी भी बरकरार है. मंजर आलम जदयू के वरिष्ठ नेता हैं, और टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दल उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतर गए थे. जोकीहाट में जेडीयू के प्रत्याशी मुर्शीद आलम हैं.उनका सीधा मुकाबला आरजेडी के शाहनवाज आलम से है.शाहनाज आलम पूर्व केंद्रीय मंत्री मो. तस्लीमुद्दीन के पुत्र हैं. मो. तस्लीमुद्दीन के निधन के कारण रिक्त हुई अररिया लोकसभा सीट से पिछले दिनों उनके दूसरे पुत्र सरफराज आलम राजद के टिकट पर जीते हैं. सरफराज आलम पहले जदयू में थे, और जोकीहाट से विधायक भी थे.
जोकीहाट उपचुनाव नीतीश कुमार के लिए बहुत मायने रखता है .महागठबंधन से नाता तोडऩे के पश्चात यह दूसरा मौका है जब पार्टी जनता का सामना कर रही है. पिछले दिनों जहानाबाद में हुए उपचुनाव में जदयू को हार का सामना करना पड़ा था. जोकीहाट सीट पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या अधिक है,इसलिए चुनौती और भी बड़ी है.
यह उपचुनाव तय कर देगा कि अल्पसंख्यकों का देजीयू के प्रति क्या रुझान है. जोकीहाट, अररिया लोकसभा क्षेत्र में पडऩे वाली छह विधान सभा सीटों में से एक है. चार विधानसभा सीटें पर अभी राजग का कब्जा है जबकि एक कांग्रेस के पास है.वैसे मुसलमान भले नीतीश कुमार की खुलकर मुखालफत नहीं कर रहे हैं लेकिन उनकी गोलबंदी आरजेडी के पक्ष में साफ़ दिख रही है.अगर ऐसे में नीतीश कुमार अपनी इस पुराणी सीट को बचा लेते हैं तो समझिये आरजेडी के माय समीकरण का हवा निकल जाएगा.
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