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पड़ताल : फुलवारीशरीफ हिंसा के लिए कौन है जिम्मेदार और कौन गुनहगार?

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पड़ताल : फुलवारीशरीफ हिंसा के लिए कौन है जिम्मेदार और कौन गुनहगार?

सिटी पोस्ट लाइव : 21 दिसम्बर को RJD के बिहार बंद के दौरान NRC और CAB के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ NRC और CAB समर्थकों की हिंसक झड़प हो गई.ये हिंसक झड़प खतरनाक झड़प में तब्दील हो गई. दोनों पक्ष एक दूसरे पर ईंट –पत्थर बरसाने लगे.देखते देखते ही पूरा ईलाका रणक्षेत्र में तब्दील हो गया. सड़कें ईंट पत्थरों से पट गयी. मोहल्ले के सारे शरीफ लोग घरों में बंद हो गए और सारे लफंगे सड़क पर हथियार के साथ उतर गए.देखते ही देखते गोलीबारी शुरू हो गई.

पुलिस पहुंची और किसी तरह से स्थिति संभाली. पुलिस के आ जाने के बाद भी दोनों पक्ष आमने सामने डेट हुए थे.उन्हें रोकने के लिए पुलिस  फ़ोर्स उनके बीच खडी थी. शाम होते होते उनके खून का उबाल भी थोडा ठंडा हो आया.फिर पुलिस ने उपद्रव फैलाने वालों की खोजबीन शुरू की. खोज खोज कर रत भर में पुलिस ने दो दर्जान से ज्यादा उपद्रवियों को दबोच लिया.सुबह 6 बजे ही एसएसपी गरिमा मालिक फुलवारी थाने  पहुँच गयीं.पल पल की पुलिसिया कारवाई की रिपोर्ट ले रही थीं.दो दर्जन उपद्रवियों को  हिरासत में लेने के बाद ईलाके में शांति स्थापित तो हो गई लेकिन सवाल भी उठने लगे पुलिस एक्शन को लेकर.

लोगों का कहना था कि NRC-CAB के विरोध में 19 को पप्पू यादव और वाम दलों के द्वारा आयोजित बिहार बंद के दौरान भी इसी ईलाके में NRC-CAB समर्थकों के साथ बंद समर्थकों की झड़प हो गई थी. ये दीगर बात है कि उस प्रदर्शन में कम लोग थे इसलिए स्थिति ज्यादा बिस्फोटक नहीं हो पाई.लेकिन पुलिस को इस हिंसक झड़प के बाद ही संभल जाना  चाहिए. उपद्रवियों के खिलाफ कारवाई करनी चाहिए थी और 21 के RJD के बिहार बंद को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए थी.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

स्थानी लोगों ने सिटी पोस्ट लाइव से शिकायत किया कि जब एक गुट के लोग एक धार्मिक स्थल पर तोड़फोड़ कर रहे थे ,वहां से कुछ ही दुरी पर खड़े पुलिस वाले तमाशबीन बने बैठे थे.लोगों को स्थानीय थाना प्रभारी से बहुत शिकायत है. उनका आरोप है कि फुलवारीशरीफ का थाना प्रभारी खुद असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देते हैं. उनकी मौजूदगी में उपद्रव हुआ लेकिन वो तमाशबीन बने रहे.रंगदारी सेल के इस इंस्पेक्टर के अनुसार फुलवारीशरीफ में कुछ चिन्हित असामाजिक तत्व हैं, जिनके ऊपर ठीक से नजर राखी गई होती तो स्थिति नहीं बिगड़ती.

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