राहुल गांधी फिर से संभाल सकते हैं पार्टी की कमान, जानिए क्या चल रही कांग्रेस की तैयारी.
सिटी पोस्ट लाइव : राहुल गांधी एकबार फिर से कांग्रेस पार्टी की कमान सँभालने को तैयार हैं.दिल्ली के रामलीला मैदान में भारत बचाओ रैली में जिस तरह से अध्यक्ष राहुल गांधी के 30 फ़ीट के कटआउट लगाए गए थे और राहुल गांधी का जो आक्रामक तेवर था ,उसको लेकर ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब राहुल गांधी की वापसी करीब है.फिर से वो पार्टी की कमान संभाल सकते हैं.
मोदी सरकार की आर्थिक मोर्चे पर नाकामियों को लेकर बुलाई गई रैली में राहुल गांधी ख़ूब गरजे. मोदी सरकार पर हमले करते राहुल गांधी और कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गिरती अर्थव्यवस्था, रोज़गार की कमी, नोटबंदी और काला धन जैसे मुद्दे पर जमकर निशाना साधा.इस बीच उनके समर्थक ‘राहुल कम बैक’ और ‘राहुल वापस आओ’ के नारे लगाते रहे.प्रियंका गांधी ने ‘मेरे नेता राहुल गांधी’ जैसे अपने संबोधन से राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर वापसी के संकेत दिए. माना जा रहा है कि ये रैली राहुल गांधी को कांग्रेस के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाने की तैयारी है.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. राहुल गांधी ने जब इस्तीफ़ा दिया था तब उन्हें उम्मीद थी कि उनकी देखा देखी पार्टी के शीर्ष नेता भी इस्तीफ़ा दे देंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.इस्तीफ़ों का दौर चला ज़रूर लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने पद पर बने रहे. इसके बाद राहुल गांधी ने पार्टी के नेताओं से मिलना-जुलना छोड़ दिया. लेकिन महाराष्ट्र के चुनाव ने कांग्रेस को एक नई उम्मीद दी.
राहुल गांधी की सक्रियता से साफ़ है कि एकबार फिर से वो पार्टी की बागडोर संभालने के लिए तैयार हो रहे हैं. अब वो ना सिर्फ़ ट्विटर पर सक्रिय हो गए बल्कि उन्होंने पार्टी के नेताओं से नए सिरे से मिलना-जुलना शुरू कर दिया. यही वजह है कि वो बाक़ायदा बीजेपी नेताओं के आरोपों का जबाब भी दे रहे हैं.दिल्ली की रैली से पहले राहुल गांधी ने झारखंड की चुनावी रैली में कहा था, ”नरेंद्र मोदी ने कहा था- मेक इन इंडिया. अब आप जहां भी देखो. अब मेक इन इंडिया नहीं…रेप इन इंडिया है.”उनके इस बयान पर केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी समेत कई बीजेपी सांसदों ने संसद में इस बयान पर कड़ा विरोध जताया था.
स्मृति इरानी ने लोकसभा में कहा, ”ये पहली बार हुआ है, जब गांधी परिवार का बेटा ये कहता है कि आओ हिंदुस्तान में रेप करो. राहुल गांधी इस सदन के नेता हैं. क्या राहुल गांधी ये कहना चाहते हैं कि हिंदुस्तान का हर व्यक्ति रेप करना चाहता है?”इसके बाद राहुल गांधी ने ट्विटर पर इन आरोपों का जबाब देते हुए पीएम मोदी का एक पुराना वीडियो भी शेयर किया जिसमें मोदी दिल्ली को ‘रेप कैपिटल’ बता रहे थे.महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए राहुल गांधी ने अपने ‘रेप इन इंडिया’ वाले बयान का ज़िक्र करते हुए फिर कहा है कि वो अपने बयान के लिए माफ़ी नहीं माँगेंगे.
राहुल गांधी ने रामलीला मैदान में कहा, “मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं है. मेरा नाम राहुल गांधी है. मैं सच्चाई के लिए माफ़ी नहीं मांगूंगा. मर जाऊंगा लेकिन माफ़ी नहीं माँगूंगा.”अपने इस बयान के ज़रिए राहुल गांधी जहां एक तरफ़ इतिहास को सामने लाए वहीं बीजेपी पर भी निशाना साधा. अभी तक कांग्रेस पार्टी सिर्फ़ आरोप लगाती थी कि बीजेपी इतिहास को तोड़-मरोड़ रही है लेकिन ये पहली बार है कि पार्टी नेता ने बीजेपी के इतिहास पर वार किया.
अभी तक कांग्रेस हमेशा बैकफ़ुट पर दिखती थी और बीजेपी के सारे आरोपों का जवाब देती नज़र आती थी लेकिन राहुल ने बयान के ज़रिए बीजेपी की हिन्दुवादी राजनीति पर हमला बोला है.हालांकि इसके लिए उन्होंने नई सहयोगी शिवसेना की नाराज़गी भी झेली.दरअसल, इस रैली के ज़रिए कांग्रेस की कोशिश है कि वो राहुल गांधी को फिर से सक्रिय राजनीति में पार्टी अध्यक्ष के रूप में स्थापित करे और बीजेपी का विकल्प भी दे.
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का कुर्सी प्रेम और ज़मीन से दूरी पार्टी के लिए समस्या है. ऐसे में लोकसभा चुनाव हार का मुक़ाबला करने के बजाय राहुल गांधी ने नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की राह पकड़ी तो इसे लोगों ने बहुत सकारात्मक रूप से नहीं लिया.अब अगर राहुल गांधी को सत्ता में वापसी करनी है तो उन्हें एक बार फिर लोगों के सामने जाना होगा और अपने आप को साबित करना होगा. साथ ही कांग्रेस से छिटकी पार्टियां जैसे शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ हाथ मिलाकर रिश्ते मज़बूत कर पुरानी ताक़त वापस दिखानी होगी.
इसके लिए कांग्रेस को महाराष्ट्र की तरह नेतृत्व के लड़ाई के बजाय मज़बूत सहयोगी पार्टी के रूप में भी दिखना पड़े तो वो भूमिका लेनी होगी.फ़िलहाल देश में कांग्रेस की सरकार राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और पुदुचेरी में है. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार नाज़ुक बहुमत और अपने सहयोगियों के समर्थन पर टिकी है.ऐसे में राहुल गांधी अगर वापसी करेंगे तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि क्या वो फिर से ख़ुद को समेटकर मैदान में उतर पाएंगे. और बिखरती पार्टी को समेटकर मज़बूत विकल्प दे पाएंगे और उससे बड़ी चुनौती क्या वो बीजेपी का मुक़ाबला कर पाएंगे.
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