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RJD के साथ चले जायेगें नीतीश कुमार के मौलाना गुलाम रसूल बलियावी?

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RJD के साथ चले जायेगें नीतीश कुमार के मौलाना गुलाम रसूल बलियावी?

सिटी पोस्ट लाइव : JDU द्वारा नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किये जाने को लेकर पार्टी के अंदर घमाशान मचा हुआ है. सबसे ज्यादा बेचैन हैं पार्टी के अल्पसंख्यक नेता और विधायक.जेडीयू के कद्दावर अल्पसंख्यक नेता मौलाना गुलाम रसूल बलियावी समेत पार्टी के चार जनाधार वाले अल्पसंख्यक विधायक नागरिकता संशोधन बिल का पार्टी द्वारा समर्थन किये जाने से परेशान हैं.गुलाम रसूल बलियावी तो मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर अपना विरोध जाता चुके हैं.प्रशांत किशोर ने तो पार्टी की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से देश की आत्मा को बचाने की गुहार लगाकर ये साफ़ कर दिया है कि उन्हें पार्टी की बिलकुल परवाह नहीं है.

दूसरी तरफ गुलाम रसूल बलियावी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चुप्पी साध चुके हैं.बलियावी का मानना है कि अब आरजेडी से अल्पसंख्यकों का मोहभंग हो गया था. अल्पसंख्यक नीतीश कुमार की तरफ बड़ी उम्मीद के साथ देख रहे थे.लेकिन इस बीजेपी ने नीतीश कुमार को अपने जाल में फंसा लिया.मौलाना का मानना है कि नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन से अल्पसंख्यक निराश हो गए हैं. इसका खामियाजा पार्टी को चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. बलियावी के खिलाफ पार्टी द्वारा अनुशासनात्मक कारवाई किये जाने की चर्चा भी है. लेकिन सूत्रों की मानें तो ऐसा करने पर बलियावी को गले लगाने के लिए आरजेडी तैयार बैठी है.

पार्टी के फैसले का विरोध करने को लेकर जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व द्वारा बागी नेताओं के खिलाफ जल्द ही बड़ी कार्रवाई किये जाने की खबर के बीच आरजेडी नेताओं ने मुलाना गुलाम रसूल बलियावी से संपर्क साधना शुरू कर दिया है. हालांकि बलियावी इस खबर को आफ्वाह बता रहे हैं. उनका कहना है कि उन्होंने पत्र के जरिये अपनी बात अपनी पार्टी के नेता के सामने रख दिया है. उन्हें अब इस बारे में कुछ भी नहीं कहना है. बलियावी चुप हैं लेकिन अपने स्टैंड पर कायम हैं.बलियावी ने न सिर्फ CAB पर जेडीयू के रुख का विरोध किया है बल्कि इन्होंने ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर भी अपनी पार्टी की राय से अलग केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ खुलकर अपना विरोध जताया था. तब से ही गुलाम रसूल बलियावी सुर्खियों में आ गए थे.

सूत्रों के मुताबिक पार्टी इस बार बलियावी को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है, लेकिन एक मजबूत मुस्लिम चेहरे के चलते पार्टी बहुत सोच-समझकर कोई फैसला लेना चाहती है..दरअसल गुलाम रसूल बलियावी की पहचान केवल जेडीयू के पूर्व सांसद और MLC के तौर पर नहीं है बल्कि बलियावी अपने समुदाय में बेहद लोकप्रिय भी हैं. जेडीयू के एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी बिहार में इदारे शरिया अध्यक्ष हैं.वो समय-समय पर वो नीतीश कुमार के लिए चुनाव में अपने समुदाय (मुसलमानों) का वोट भी दिलाते रहे हैं.

नीतीश कैंप में बलियावी के अलावा भी कई मुस्लिम चेहरे हैं जिनमें मंत्री खुर्शीद आलम, गुलाम गौस, MLC खालिद अनवर, तनवीर अख्तर शामिल हैं बावजूद इसके गुलाम रसूल बलियावी की पहचान एक सशक्त मुस्लिम नेता की है. साथ ही अल्पसंख्यकों में भी उनकी जड़ बेहद मजबूत है.दरअसल मौलाना बिहार में इदारे शरिया अध्यक्ष भी हैं, इस नाते मुसलमान समाज में बलियावी के मजबूत फॉलोअर भी हैं. कहा जाता है कि इदारे शरिया से जुड़े लोग बेहद कट्टर होते हैं. ऐसे में अध्यक्ष के एक फरमान पर अधिकांश लोग उनके फैसले के साथ आ जाते हैं.

जानकार भी मानते हैं कि बिहार में इमारत-ए-शरिया के बाद अकलियतों का एक बड़ा हिस्सा इदारे शरिया का फॉलोअर है. जिनकी बिहार के चुनाव में करीब चार से पांच फीसदी वोट की हिस्सेदारी है. आरजेडी के साथ पहले से ही अकलियतों का बड़ा हिस्सा खड़ा है ऐसे में अगर बलियावी आरजेडी कैंप में आ जाते हैं तो यकीनन लालू कैंप की ताकत और बढ़ जाएगी.नीतीश कुमार एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ हैं. जाहिर है उन्हें इस बात का बखूबी अंदाजा है कि मौलाना की अपनी क्या ताकत है और पार्टी को वो कितना फायदा या नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में वो कोई भी ऐसी जल्दीबाजी नहीं करेंगे जिसका फायदा आरजेडी हाथों हाथ उठा ले.नीतीश कुमार के खेमे में मौलाना जैसा कोई और दूसरा मुस्लिम चेहरा भी नहीं है जो बलियावी की भरपाई कर सके. उधर आरजेडी भी मौलाना के लिए बाहें फैलाए बैठा है कि अगर जेडीयू उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करता है तो वो उन्हें अपने साथ करने का कोई मौका नहीं चूकेगी.जाहिर है बलियावी के खिलाफ जेडीयू कोई कारवाई नहीं करने जा रही है.

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