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शिव सेना या फिर बीजेपी किसकी सरकार बनवायेगें शरद पवार?

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शिव सेना या फिर बीजेपी किसकी सरकार बनवायेगें शरद पवार?

सिटी पोस्ट लाइव : महारष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बीच सरकार के गठन को लेकर गहमागहमी बरकरार है. शिव सेना प्रमुख शरद पवार जो चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं अभीतक उन्होंने अपना पता नहीं खोला है.कांग्रेस-एनसीपी के साथ शिव सेना की कई बैठकें हो चुकी हैं. सरकार बनाने के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम भी बन चूका है.लेकिन सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी सरकार में शामिल होने को तैयार नहीं है. शरद पवार सरकार बनाने की पहल कांग्रेस की तरफ से चाहते हैं ताकि उनके ऊपर शिव सेना जैसे कट्टर हिंदुत्वादी पार्टी की सरकार बनाने का आरोप न लगे.

इस बीच महाराष्ट्र के बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा है कि  बीजेपी के पास 119 विधायकों का समर्थन है और जल्द सरकार बनाने के लिए कदम आगे बढ़या जाएगा.राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि ताजा स्थितियों में शिवसेना-बीजेपी का पुनर्मिलन संभव दिखाई नहीं दे रहा. एनडीए की दिल्ली में होने वाली बैठक में भी बीजेपी ने शिवसेना को आमंत्रित नहीं किया है. राजनीतिक सर्कल में इसे बीजेपी-शिवसेना गठबंधन खत्म होने का ऐलान माना जा रहा है. ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि अगर बीजेपी राज्य में अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही है, तो यह बिना एनसीपी के संभव नहीं है.

बीजेपी को अपनी सरकार बनाने के लिए 145 विधायक चाहिए. इस समय उसके पास 119 विधायक हैं. 105 उसके खुद के और 14 अन्य निर्दलीय विधायक उसके साथ हैं. ऐसे में उसे सिर्फ 26 विधायक चाहिए. राज्य में इस वक्त जैसी स्थिति है, उसमें किसी दल के विधायकों के टूटने की संभावना भी कम ही है. वैसे भी बीजेपी इतनी जल्दी विधायकों की तोड़-फोड़ या खरीद-फरोख्त का दाग खुद के माथे पर नहीं लेना चाहेगी. इसीलिए बीजेपी की कोशिश यही होगी कि वह शिवसेना को अलग-थलग करने के लिए एनसीपी को अपने पाले में कर ले. एनसीपी के पास 54 विधायक हैं. वैसे भी पिछली बार एनसीपी-बीजेपी को बिना शर्त समर्थन की पेशकश कर ही चुकी है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पिछले पांच साल से सत्ता से दूर एनसीपी के लिए बीजेपी के साथ जाना ज्यादा फायदेमंद है. एक तो शरद पवार केंद्र सरकार के निशाने पर नहीं आयेगें दूसरे एनसीपी को एनडीए में शिवसेना की जगह मिल जायेगी  तो उसे राज्य और केंद्र दोनों जगह सरकार में हिस्सेदारी मिल जायेगी. कई केसों में फंसे उसके नेताओं को दिल्ली के साथ समझौता करके तत्काल राहत भी मिल जायेगी.’एक बात और है ‘पवार की पार्टी महाराष्ट्र के पांच जिलों तक सीमित पार्टी है. उन्हें ताउम्र गठबंधन की राजनीति करनी है. ऐसे में वह राज्य और केंद्र दोनों जगह अधिकतम फायदा लेने से चूकेंगे नहीं.

अब 19 नवम्बर को दिल्ली में सोनिया गांधी के साथ शरद पवार की बैठक है. इस बैठक के बाद ही शरद पवार अपना पता खोलेगें.सोनिया गांधी को ये बखूबी पता है कि एनसीपी यह कभी नहीं चाहेगी कि कांग्रेस को महाराष्ट्र में संजीवनी मिले. राज्य में कांग्रेस की हालत किसी से छुपी नहीं है. पवार के कद का कोई नेता महाराष्ट्र कांग्रेस में नहीं है. इस बार के विधानसभा चुनाव के बाद, तो कांग्रेस पूरी तरह से पवार की छात्रछाया में चली गई है. ऐसे में एनसीपी यह क्यों चाहेगी कि कांग्रेस को महाराष्ट्र में शिवसेना जैसा मजबूत दोस्त मिल जाए.

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