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खूंटी सीट के लिए भाजपा ने अब तक नहीं की उम्मीदवार की घोषणा

खूंटी में विधायक और सांसद के बीच नया नहीं है टकराव 

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खूंटी सीट के लिए भाजपा ने अब तक नहीं की उम्मीदवार की घोषणा

सिटी पोस्ट लाइव, खूंटी: जनजातियों के लिए सुरक्षित खूंटी विधानसभा सीट इन दिनों प्रदेश की सबसे हॉट सीट बन गयी है। चार बार से लगातार जीत हासिल करने वाले राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री और जिले के कद्दावर नेता नीलकंठ सिंह मुंडा का टिकट अभी तक भाजपा ने कन्फर्म नहीं किया है। इससे कई तरह की चर्चाओं को बल मिल रहा है। नामांकन में महज दो दिन रह गये हैं। भाजपा की उम्मीदवारी का मामला अब भी पेंडिंग है। कोई इसे केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के टकराव का परिणाम बता रहा हैं, तो कोई अलग ही बात कर रहा है। खैर असलियत चाहे जो भी हो लेकिन नीलकंठ सिंह मुंडा को अब तक टिकट नहीं मिलने से भाजपा खेमे में काफी बेचैनी है। दूसरे बड़े दलों ने भी अब तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। जानकार बताते हैं कि भाजपा की उम्मीदवारी तय होने के बाद ही विपक्षी दल अपना पत्ता खोलेंगे। क्षेत्र में हो रही चर्चाओं पर भरोसा करें तो खूंटी भाजपा में व्याप्त गुटबाजी के कारण ही टिकट की घोषणा अब तक नहीं हो सकी है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के दौरान नीलकंठ सिंह मुंडा पर अपने बड़े भाई और कांग्रेस उम्मीदवार काली चरण मुंडा के पक्ष में अप्रत्यक्ष रूप से काम करने का आरोप लगा था। हालांकि नीलकंठ के समर्थक इस आरोप को सिरे से खारिज करते हैं और तर्क देते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को जितने वोट मिले, उतने वोट कभी नहीं मिले थे। वैसे स्थानीय सांसद और विधायक के बीच अंदरूनी कलह की बात कोई नयी नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी नीलकंठ सिंह मुंडा पर अपने भाई के पक्ष में काम करने का आरोप लगा था। उस समय भी काली चरण मुंडा ही कांग्रेस के उम्मीदवार थे। इसका बदला चुकाने के लिए नीलकंठ के विरोधी खेमे ने 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कट्टर समर्थक रहे खूंटी नगर पंचायत के अध्यक्ष मदीराय मुंडा को बसपा के टिकट पर मैदान में उतार दिया,  ताकि नीलकंठ सिंह मुंडा के वोट बैंक में सेंधमारी हो सके, पर नीलकंठ उस चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीतें। उसके बाद से ही भाजपा की गुटबाजी खुलकर सतह पर आ गयी थी। भाजपा द्वारा अब तक खूंटी सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं किये जाने से से इस चर्चा को बल मिल रहा है कि गुटबाजी के कारण ही भाजपा के टिकट का मामला अटका हुआ है।

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