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डेंगू से मौत हुई तो परिजन FIR दर्ज कराने पहुँच गए थाने में, फिर क्या हुआ?

पीरबहोर थाने के थानेदार ने दी गजब दलील, कहा- जहां डेंगू मच्छर ने काटा वहां दर्ज करवाइए केस .

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डेंगू से मौत हुई तो परिजन FIR दर्ज कराने पहुँच गए थाने में, फिर क्या हुआ?

सिटी पोस्ट लाइव : दो दिन पहले बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने डेंगू से कोई मौत नहीं होने का दावा किया था. अब डेंगू से मौत होने पर मरीज के परिजन पुलिस थाने में सरकार, मंत्री और विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज कराने पहुँचने लगे हैं.लेकिन पुलिस मामला दर्ज करने को तैयार नहीं है.

कहबर के अनुसार बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल  में ईलाज के दौरान मरे व्यक्ति के परिजनों ने आरोप लगाया है कि पीएमसीएच की लापरवाही की वजह से डेंगू की मरीज अर्चना कुमारी की मौत हो गई. इस मामले में जब एफआईआर (FIR) दर्ज करवाने गए तो थानाध्यक्ष ने बेतुकी नसीहत देते हुए कहा कि जहां डेंगू (Dengue) मच्छर ने काटा है उसी थाने में केस दर्ज करवाएं.

दरअसल परिजनों का आरोप है कि पीएमसीएच की जांच रिपोर्ट में डेंगू नन-रिएक्टिव निकला था  जबकि पटना के एक निजी अस्पताल ने अर्चना की मौत का कारण डेंगू को बताया है. कंकड़बाग स्थित निजी हॉस्पिटल ने डेंगू से मौत सर्टिफिकेट भी जारी किया है. इसी आधार पर वे पीएमसीएच के साथ अन्य संबंधित पक्षों पर केस दर्ज करवाना चाहते हैं.गौरतलब है कि डेंगू से किसी व्यक्ति की मौत नहीं होने का दावा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव भी कर चुके हैं.

पीरबहोर थाना क्षेत्र में पीएमसीएच आता है इसलिए परिजन यहीं केस दर्ज करवाने पहुंचे.वो  स्वास्थ्य विभाग के मंत्री, प्रधान सचिव और पीएमसीएच के अधीक्षक को आरोपी बनाना चाहते हैं.परिजनों का आरोप है कि थानाध्यक्ष रिजवान अहमद ने सीमा का हवाला देते हुए केस दर्ज करने से इनकार कर दिया. परिजनों ने एसएसपी से भी गुहार लगाई है, लेकिन दर्ज नहीं हो सका है.

गौरतलब है कि कंकड़बाग के अशोक नगर की रहने वाल अर्चना कुमारी को बुखार लगने के बाद परिजनों ने पिछले 10 अक्टूबर को पीएमसीएच में भर्ती कराया था. यहां जांच में डेंगू नन-रिएक्टिव निकला. इसके बावजूद अर्चना की हालत लगातार खराब होती चली गई.जब हालत बिगड़ गई तो 13 अक्टूबर को परिजनों ने अर्चना को कंकड़बाग स्थित श्री राम हॉस्पिटल में भर्ती कराया. यहां जांच में डेंगू पॉजिटिव निकला. हालांकि उसका इलाज किया गया, बावजूद इसके मरीज की स्थिति बिगड़ गई थी जिससे 16 अक्टूबर को अर्चना की मौत हो गई.

अर्चना की मौत के लिए परिजनों ने सरकारी सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया है. सबसे बड़ा  सवाल यही है कि जिस मरीज की एक बार रिपोर्ट निगेटिव आया क्या उसका रिपोर्ट पॉजिटिव दुबारा जांच में आ सकता है.जाहिर है PMCH की रिपोर्ट गलत थी जिस वजह से मरीज का समुचित ईलाज समय से शुरू नहीं हो सका और उसकी जान चली गई.

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