AK-203 दुनिया की सबसे घातक असॉल्ट राइफल, जानें AK-47 से कितनी ज्यादा खतरनाक
सिटी पोस्ट लाइव : भारत और रूस के बीच दशकों से सामरिक साझेदारी रही है. एयर डिफेंस सिस्टम्स से लेकर न्यूक्लियर सबमरीन्स तक, रूस ने भारत को कई खतरनाक हथियार एक्सपोर्ट किए हैं. AK-203 इस रिश्ते को एक नए मुकाम पर ले जाती है. साल 1994 में भारतीय सेना ने INSAS राइफलों को शामिल किया गया था. AK-203 उसी की जगह लेगी. आइए जानते हैं AK-203 में क्या खास है और यह कुख्यात AK-47 से कितनी अलग है.
AK राइफल्स की सीरीज में बेसिक फायरिंग मेकेनिज्म और इंटरनल्स एक जैसे ही रहे हैं. कलाशनिकोव राइफलें गैस-ऑपरेटेड होती हैं. इनमें लॉन्ग स्ट्रोक गैस पिस्टन और रोटेटिंग बेल्ट होती है. एक राइफल से हर मिनट 600 से 700 राउंड्स के बीच फायर किए जा सकते हैं.
AK-47 को 1947 में डिजाइन किया गया था. इसमें वुडेन स्टॉक, भारी मैगजीन का इस्तेमाल होने की वजह से इसका वजन ज्यादा हो गया था. नई सीरीज (AK-103/203) में शुरुआती डिजाइन की कमियों को दूर किया गया है.
AK-203 में टॉप कवर हिंज को कवर करने के लिए फ्रंट ट्रनियन और रियर साइट बेस को री-डिजाइन किया गया है. लॉकिंग मेकेनिज्म को टॉप पर रखा गया है. AK-203 में साइड फोल्डिंग, 4 पोजिशंस वाला टेलीस्कोपिंग शोल्डर स्टॉक है. इस स्टॉक को 40mm अंडरबैरेल ग्रेनेड लॉन्चर के साथ आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है.
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