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सड़क के लिए मधेपुरा, सुपौल और सहरसा में ऐतिहासिक बंदी, लोगों ने की जमकर नारेबाजी

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सड़क के लिए मधेपुरा, सुपौल और सहरसा में ऐतिहासिक बंदी, लोगों ने की जमकर नारेबाजी

सिटी पोस्ट लाइव : आजतक आपने विभिन्य तरह की मांगों के लिए उग्र आंदोलन के नाम पर बाजार बंदी और सड़क जाम होते होते हुए देखा होगा जिसमें जोर-जबरदस्ती और तोड़-फोड़ से भी आप सभी दो-चार हुए होंगे ।लेकिन आज कोसी प्रमंडल के तीनों जिले मधेपुरा, सुपौल और सहरसा में ऐतिहासिक बंदी हुई ।आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि आज की यह बंदी किसी हत्या,बढ़ते अपराध,या किसी अन्य दहकते मसले को लेकर नहीं हुई थी बल्कि यह बंदी टूटी-फूटी सड़कों से तंग और परेशान हाल जनता के आक्रोश का नतीजा था ।नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे सहित जिला मुख्यालय में सड़कों का निर्माण हो इसके लिए आमलोगों का वर्षों से पल रहा गुस्सा आज सड़कों पर फुट पड़ा ।सहरसा के सभी चौक-चौराहे पर ई रिक्सा संघ,ऑटो संघ ने अपनी-अपनी गाड़ी लगाकर जाम लगाकर यातायात को पूरी तरह से बाधित कर दिया ।व्यवसायियों ने भरपूर समर्थन देते हुए ना केवल अपनी-अपनी दुकानें बंद रखीं बल्कि आंदोलनकारी बनकर शहर के विभिन्य हिस्सों में घूम-घूम कर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की ।

इस जाम में मरीजों को आने-जाने में आंदिलनकारियों ने भरपूर मदद की ।लेकिन इस बंदी में पुलिस और प्रशासन की एक भी गाड़ी को चलने नहीं दिया गया ।आज सहरसा पुलिस और प्रशासन मूक और बधिर बनकर सिर्फ तमाशबीन था ।हजारों की संख्यां में आम जनता सड़क पर थी ।जनता का मकसद था कि उनकी पीड़ा सीधे केंद्र और राज्य सरकार तक पहुंचे और उन्हें जानलेवा सड़कों से निजात मिले ।आप सहरसा की सड़कों की स्थिति देखिए ।सड़कों की ऐसी दुर्दशा बिहार के किसी जिले में आपने नहीं देखी होगी ।बिहार का सबसे अभागा जिला सहरसा है,जगाएं सड़क को ढूंढने की जरूरत है कि सड़क किधर है ?पहले सहरसा अब मधेपुरा लोकसभा बन चुके संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व लालू प्रसाद यादव, शरद यादव,पप्पू यादव कर चुके हैं ।अभी दिनेश चंद्र यादव जदयू से यहाँ के सांसद हैं ।इतने बड़े-बड़े महारथियों के हाथ में यह संसदीय क्षेत्र रहा है लेकिन सड़क गायब है ।

इस बंदी की खास बात यह भी थी कि यह किसी राजनीतिक दल,या किसी संगठन के द्वारा बंदी नहीं कराई गई थी ।यह बंदी आम जनता के द्वारा कराई गई थी,जिसका कोई इकलौता कोई नेता नहींनथा ।बंदी का नेतृत्व सभी जनता कर रही थी मकुल मिलाकर यह बंदी बेहद दमकदार,असरदार और ऐतिहासिक बंदी थी जिसे आने वाले कई वर्षों तक,इलाके के लोग याद रखेंगे ।अगर इस बंदी का जल्दी से फलाफल नहीं आया,तो आगे जनता सम्बद्ध विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ जिला प्रशासन के अधिकारियों को उनके आवास में नजरबंद करेंगे और सभी विभाग में तबतक तालाबंदी रहेगी, जबतक सड़क निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो जाएगा ।वाकई यह आंदोलन देश का पहला आंदोलन होगा, जो कि सड़क निर्माण के लिए किया गया था ।जनता की नारेबाजी का स्लोगन था “नहीं चाहिए हमें अब विकास का कोई गान,पहले हो सिर्फ और सिर्फ सड़क निर्माण” ।वाकई यह आंदोलन केंद्र और राज्य सरकार को पूरी तरह से कटघरे में खड़ा कर गया ।

सहरसा से पीटीएन न्यूज ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट।

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