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जन्माष्टमी कीतारीख को लेकर उलझन, किस दिन रखना चाहिए व्रत

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जन्माष्टमी कीतारीख को लेकर उलझन, किस दिन रखना चाहिए व्रत

सिटी पोस्ट लाइव : जन्माष्टमी के व्रत को लेकर अक्सर उलझन की स्थिति बनी रहती है. इस बार भी यह दुविधा है कि व्रत 23 अगस्त शुक्रवार को किया जाएगा या 24 अगस्त शनिवार को करना उत्तम रहेगा. इसकी एक बड़ी वजह ये  है कि अष्टमी तिथि का आरंभ 23 तारीख को सुबह 8 बजकर 9 मिनट पर हो रहा है जबकि रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 24 तारीख की सुबह 3 बजकर 48 मिनट पर हो रहा है.

दरअसल, रोहिणी नक्षत्र व्यापिनी अष्टमी तिथि को ही जन्माष्टमी व्रत करना श्रेष्ठ माना जाता.श्रीमद्भागवत पुराण में कहा गया है कि श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र और चंद्र के वृष राशि में संचार के दौरान आधी रात को हुआ था. लेकिन ऐसा संयोग इस साल नहीं बन रहा है.धर्म गुरुओं के अनुसार जिस दिन मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि होती है उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत रखा जाता है. इसी परंपरा के अनुसार गृहस्थ लोग सदियों से उस दिन व्रत करते आ रहे हैं जिस दिन दिन में सप्तमी और रात को अष्टमी तिथि होती है.

यह दुर्लभ संयोग होता है जबकि मध्यरात्रि में अष्टमी तिथि के दौरान रोहिणी नक्षत्र भी मौजूद हो. लेकिन इस बार भी जन्माष्टमी पर कई दुर्लभ संयोग बने हुए हैं जो शुभ फलदायी हैं. भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय मध्य रात्रि में चंद्रमा वृष राशि में उपस्थित था. इस वर्ष भी चंद्रमा उसी प्रकर स्थित होगा जैसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय था. इस दिन मध्य रात्रि में लग्न मे रोहिणी नक्षत्र उपस्थित हो रहा है. इस स्थिति में गृहस्थों के लिए 23 तारीख को जन्माष्टमी का व्रत रखना शास्त्रसम्मत है.

मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसलिए यहां पर अष्टमी व्यापिनी नवमी के दिन व्रत पूजन की परंपरा रही है. इसलिए मथुरा वृंदावन में 24 अगस्त को व्रत पूजन किया जाएगा.जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त 23 अगस्त निशीथ काल रात 12 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक है.रात में भगवान के बाल रूप की पूजा करनी चाहिए,, झूला झुलाना चाहिए, चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए और जागरण करना चाहिए.

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