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क्या तेजस्वी यादव होगें RJD अगले राष्ट्रिय अध्यक्ष, कौन हैं उनकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा

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क्या तेजस्वी यादव होगें RJD अगले राष्ट्रिय अध्यक्ष, कौन हैं उनकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा

सिटी पोस्ट लाइव : लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में पार्टी का नेत्रित्व करने की अद्भुत क्षमता दिखा चुके लालू यादव के  छोटे बेटे और बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने बड़े भाई तेजप्रताप यादव और बहन मिसा भारती से बेहद परेशान हैं. तेजप्रताप यादव और मिसा भारती ने लोक सभा चुनाव के दौरान जिस तरह से बवाल किया उससे तेजस्वी यादव बेहद खफा हैं. दरअसल, तेजस्वी यादव पाटलिपुत्र लोक सभा सीट से मिसा भारती की जगह पार्टी के नेता भाई बिरेन्द्र को लड़ाना चाहते थे लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. तेजप्रताप यादव ने बगावत करते हुए तीन जगहों से अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए .तेजस्वी यादव उनके खिलाफ कारवाई करना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाए.

अपने खिलाफ मोर्चा खोलनेवाले अपने भाई बहन के खिलाफ कुछ नहीं कर पाने से नाराज तेजस्वी यादव लोक सभा चुनाव के बाद से ही सक्रीय राजनीति से दूर हैं. विधान सभा के मानसून सत्र में वो दो दिन से ज्यादा शामिल नहीं हुए और पहलीबार विधान सभा का सत्र वगैर नेता प्रतिपक्ष के चला. तेजस्वी के करीबी लोगों के अनुसार वो तेजप्रताप यादव और मिसा भारती के खिलाफ कारवाई कर पार्टी में संदेश देना चाहते हैं लेकिन लालू यादव उन्हें इजाजत नहीं दे रहे. सत्ताधारी दलों के नेता मानते हैं कि तेजस्वी यादव पार्टी का राष्ट्रिय अध्यक्ष बनना चाहते हैं.लालू यादव पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत ही वो आरजेडी (RJD) के अधिकतर कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो रहे हैं. पार्टी का स्थापना दिवस हो या फिर आरजेडी का सदस्यता अभियान, तेजस्वी कहीं नहीं दिखाई पड़े. पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव जानबूझकर दूरी बनाए हुए हैं. तेजस्वी यादव पार्टी की कमान अपने हाथ में लेना चाहते हैं ताकि अपने हिसाब से पार्टी को चला सकें.

दरअसल, लालू यादव अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव और बड़ी बेटी मिसा भारती को ठिकाने लगाकर पार्टी की कमान पूरी तरह से तेजस्वी यादव के हाथ में देने को तैयार नहीं हैं. लेकिन उनकी मज़बूरी ये है कि पार्टी को संभालने की क्षमता तेजप्रताप यादव में है नहीं और अपनी बेटी को अपना राजनीतिक वारिश वो बनाने को तैयार नहीं हैं. यहीं कारण है कि तेजस्वी की अनुपस्थिति में लालू यादव कोई बड़ा फैसला नहीं ले पा रहे हैं. वैसे पार्टी के ज्यादातर नेता तेजस्वी यादव के नेत्रित्व में ही काम करना चाहते हैं.

बिहार के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि तेजस्वी अंदर ही अंदर कोई बड़ा गेमप्लान कर रहे हैं. हालांकि आरजेडी के नेता तो इसपर कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन जेडीयू के नेता संजय सिंह साफ कहते हैं कि तेजस्वी यादव की नजर लालू यादव की कुर्सी पर है और वह इसपर कब्जा करने की जुगत में लगे हैं.संजय सिंह कहते हैं, तेजस्वी के तौर-तरीकों और हरकतों से साफ समझा जा सकता है कि वे अपनी बड़ी बहन मीसा भारती और बड़े भाई तेजप्रताप यादव को किनारे करने में लगे हैं. हालांकि लालू यादव मंझे हुए खिलाड़ी हैं, वे ऐसा नहीं करेंगे. मुलायम सिंह यादव की तरह लालू ऐसी कोई गलती नहीं दोहराएंगे, जिससे उनके हाथ से सत्ता भी चली जाए और अखिलेश यादव की तरह तेजस्वी उनपर भी हावी हो जाएं.राजनीतिक जानकारों की मानें तो लालू यादव अपने रहते तेजस्वी यादव को पार्टी का अध्यक्ष बनने देंगे ऐसी संभावना कम है.

हालांकि इस मसले पर आरजेडी के नेता खुले तौर पर कुछ भी नहीं कहते, लेकिन पार्टी के भीतर अंदरखाने में इस बात को लेकर बेहद असमंजस की स्थिति है कि तेजस्वी यादव आखिर पार्टी के कार्यक्रमों से दूर क्यों रह रहे हैं. पार्टी के कई बड़े नेता इस सच्चाई को जानते भी हैं, लेकिन साफ-साफ बोलने की हिम्मत किसी किसी की नहीं है.

आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी कहते हैं- ‘मुझे नहीं लगता है कि तेजस्वी लालू यादव को जबरन पलटकर वो राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चाहते हैं.’ हालांकि हमको ये नहीं पता चल रहा है कि आखिर वे क्यों दूरी बना रहे हैं? तिवारी कहते हैं कि लालू यादव ने पूरा भरोसा कर उन्हें अपनी विरासत सौंपी है. ये पता नहीं लग पा रहा है कि आखिर पार्टी में ऐसी स्थिति क्यों उभरी है?श्री तिवारी मानते हैं कि पार्टी के विधायक अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

बहरहाल लालू यादव ने तेजस्वी यादव को भले ही अपना उत्तराधिकारी मान लिया हो, लेकिन परिवार के भीतर इस बात को लेकर ना सिर्फ मनभेद और मतभेद है बल्कि लोकसभा चुनाव में तो तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच चल रहा सत्ता संघर्ष सबके सामने कई बार उजागर भी हो चुका है. लालू परिवार के भीतर एक तरफ तेजस्वी तो दूसरी ओर तेजप्रताप-मीसा भारती ताल ठोक रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि आखिर लालू परिवार के भीतर चल रहे इस घमाशान का अंत कैसे होता है.

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