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अगर आप करते हैं ‘फ़ेसऐप’ का इस्तेमाल तो हो जाइए सावधान

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अगर आप करते हैं ‘फ़ेसऐप’ का इस्तेमाल तो हो जाइए सावधान

सिटी पोस्ट लाइव : हर कोई अपना भविष्य जानना चाहता है. कल क्या होगा बुढापा कैसा रहेगा. बुढापे में कैसा दिखेगें, ये तमाम सवाल आपको परेशां करते रहते हैं. ऐसे में अगर आपको कोई ऐसा एप्प मिल जाए जो ये बता दे कि बुढापे में आप कैसा दिखेगें तो आप क्या करेगें. आप तुरत अपने बुढापे की तस्वीर देखना चाहेगें .लेकिन सावधान ! ऐसा करना आपको महंगा पड़ सकता है.दुनिया भर में एक ऐसे ही एप की द्हूम मची है जिसका नाम है ‘फ़ेसऐप’. इस ऐप के ज़रिए लोग अपने बुढ़ापे की संभावित तस्वीर देख रहे हैं.

सोशल मीडिया पर फ़ेसऐप की तस्वीरें अंधाधुंध पोस्ट की जा रही हैं. यह ऐप किसी भी व्यक्ति की तस्वीर को कृत्रिम तरीक़े से बुज़ुर्ग चेहरे में तब्दील कर देता है.लेकिन आपको अपने बुढ़ापे की तस्वीर जितनी रोमांचित कर रही है उसके अपने ख़तरे भी हैं. यह रूसी ऐप है. जब आप ऐप को फ़ोटो बदलने के लिए भेजते हैं तो यह फ़ेसऐप सर्वर तक जाता है.फ़ेसऐप यूज़र्स की तस्वीर को चुनकर अपलोड करता है. इसमें बदलाव कृत्रिम इंटेलिजेंस के ज़रिए किया जाता है. इसमें सर्वर का इस्तेमाल होता है और ऐप के ज़रिए ही आपको फ़ोटो खींचना होता है.दरअसल, उस ऐप को केवल आप एक फ़ोटो ही नहीं दे रहे हैं बल्कि बहुत कुछ दे रहे होते हैं. आपकी इस तस्वीर का उस वक़्त तो लगता है कि निजी इस्तेमाल हो रहा है लेकिन बाद में इसका सार्वजनिक इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

यह ऐप आपके फ़ोन से सूचनाओं को हासिल कर सकता है. इन सूचनाओं का विज्ञापन में इस्तेमाल किया जा सकता है. संभव है कि यह ऐप आपकी आदतों और रुचियों का समझने की कोशिश कर रहा है ताकि विज्ञापन में इस्तेमाल किया जा सके. इसे मार्केटिंग के हथियार के तौर पर भी देखा जा रहा है.कई लोग इस बात की चिंता भी जता रहे हैं कि यह ऐप आपके फ़ोन की सारी तस्वीरों तक पहुंच सकता है. कई लोगों ने यह भी दावा किया है कि ऐप खोलते ही इंटरनेट पर सारी तस्वीरें अपलोड होने लगीं.हालांकि आईओएस और आईफ़ोन में यह विकल्प आता है कि किन तस्वीरों को हैंडओवर करना चाह रहे हैं और किन तस्वीरों को नहीं.

फ़ेसऐप को लेकर अमरीकी सीनेट में भी चिंता जताई गई है. सीनेट में अल्पसंख्यक नेता चक शुमर ने फ़ेसऐप की जांच की मांग की है. ट्विटर पर पोस्ट किए पत्र में शुमर ने लिखा है, ”यह बहुत ही चिंताजनक है. अमरीकी नागरिकों के निजी डेटा विदेशी ताक़तें हासिल कर रही हैं.”

इन चिंताओं को फ़ेसऐप ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है. यह ऐप सेंट पीटर्सबर्ग स्थित कंपनी वायरलेस लैब की है. इस कंपनी का कहना है कि लोगों की तस्वीरें स्थायी रूप से स्टोर नहीं की जा रही हैं और न ही पर्सनल डेटा में सेंधमारी की जा रही है. कंपनी का कहना है कि यूजर्स जिन तस्वीरों को चुन रहे हैं उन्हीं की एडिटिंग की जा रही है.शुमर ने इस ऐप की जांच एफ़बीआई और फ़ेडरल ट्रेड कमिशन से कराने की मांग की है. शुमर ने अपने पत्र में लिखा है, ”मैं अमरीकी नागरिकों के निजी डेटा की सुरक्षा और उसमें सेंधमारी की आशंका को लेकर चिंतित हूं. कई लोग इस बात से अनजान हैं कि इसके ख़तरे क्या हैं.”शुमर ने जांच की मांग तब की है जब डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी ने कथित रूप से 2020 के अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में ऐप के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी है.

2017 में फ़ेसऐप काफ़ी विवाद में आ गया था जब उसके एक फीचर में यूजर्स की नस्ल को एडिट करने की सुविधा थी. इसकी आलोचना शुरू हुई तो बाद में कंपनी ने माफ़ी मांग ली और उस फीचर को वापस ले लिया था.नई डिवाइस अलग अलग भाषाओं के लोगों को आपक में बात करने में मदद करती है.

फ़ेसऐप कोई नया नहीं है. ‘एथनिसिटी फिल्टर्स’ को लेकर दो साल पहले यह विवाद में आया था. इसमें एक नस्ल से दूसरे नस्ल में चेहरा बदलने का टूल था. हालांकि फ़्रेंच साइबर सिक्यॉरिटी के एक रिसर्चर का कहना है कि फ़ेसऐप केवल वही तस्वीर लेता है जो यूज़र्स सबमिट करते हैं.

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