City Post Live
NEWS 24x7

नालंदा : बाल कैदियों के रिपोर्ट को लेकर, जिले के थानाध्यक्षों पर गिर सकती है गाज

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

नालंदा : बाल कैदियों के रिपोर्ट को लेकर, जिले के थानाध्यक्षों पर गिर सकती है गाज

सिटी पोस्ट लाइव : बाल कैदियों के सोशल बैकग्राउंड की रिपोर्ट देने के मामले में नालंदा पुलिस फिसड्डी साबित हुई है, यही नहीं कुछ ऐसे मामले हैं, जिसका निष्पादन 10  वर्षों के अंतराल में नहीं किया गया है. जबकि नियमानुसार किशोर न्याय परिषद के मामले 4  या फिर अधिक से अधिक छह माह में  निष्पादित करना है. यही नहीं सभी थानाध्यक्ष को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी का गठन करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उसका भी गठन  नहीं किया है. इस मामले में उनके खिलाफ उच्च न्यायालय को रिपोर्ट भेजी जा रही है, जिससे उनपर कार्रवाई तय है. इन्हीं मुद्दों  को लेकर बिहार शरीफ के हरदेव भवन के सभागार में किशोर न्याय प्रणाली को प्रभावी बनाने और किशोर न्याय अधिनियम को पूर्ण रूप से जिले में लागू करने के उद्देश्य से, जिले के पुलिस पदाधिकारियों और थानाध्यक्षों के बीच कार्यशाला का आयोजन किया गया.

कार्यशाला में जिले के सभी थाने के थानेदारों को मौजूद रहना था, लेकिन एक थानेदार को छोड़कर कोई भी मौजूद नहीं थे. जिस पर संज्ञान लेते हुए न्याय परिषद के प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने उनके विरुद्ध कार्रवाई करने की बात कही. कार्यशाला  में एएसपी और डीएसपी  शामिल हुए. इस पर मानवेंद्र मिश्र ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर बात है. इसकी रिपोर्ट उच्च न्यायालय द्वारा किशोर न्यायालय को भेजा जाता है. अगर बैठक से लागातार थानाध्यक्ष गायब रहते हैं तो उनपर कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजा जाएगा. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि बाल कैदियों का  सोशल बैकग्राउंड काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, चुकीं उससे पता चलता है की बच्चे अपराध की दुनियां में कैसे शामिल हुए या फिर किसी गैंग में तो शामिल नहीं हो गए. जो उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन इस मामले में नालंदा पुलिस जीरो है.

नालंदा से प्रणय राज की रिपोर्ट

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.