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राहुल गांधी के इस्तीफ़े पर अड़े रहने का राज, कांग्रेस को चाहते हैं नए सिरे से खड़ा करना

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राहुल गांधी के इस्तीफ़े पर अड़े रहने का राज, कांग्रेस को चाहते हैं नए सिरे से खड़ा करना

सिटी पोस्ट लाइव : पिछले 19 साल से कांग्रेस अध्यक्ष पद पर लगातार गांधी परिवार का कब्ज़ा रहा है. सीताराम केशरी के कार्यकाल से सबक लेते हुए गांधी परिवार ने कभी परिवार से बाहर के व्यक्ति के हाथ में पार्टी की कमान नहीं दी.लेकिन परिवारवाद का आरोप झेलने वाले राहुल गांधी अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के बजाय जन जन के नेता के रूप में अपनी एक अलग छवि बनाना चाहते हैं . वो कांग्रेस के वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी साफ़ कर चुके हैं कि वो अपना इस्तीफा वापस लेनेवाले नहीं हैं.उन्होंने इस बैठक में जमकर अपने पार्टी के नेताओं को फटकार लगाईं. उन्होंने कहा कि अगर आपने ज़मीनी हक़ीक़त समझी होती और कार्यकर्ताओं के मन की बात जानी होती, तो कांग्रेस का ये हाल नहीं होता और न ही मैं इस्तीफ़ा देता.

राहुल गांधी ने 25 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़ा दे दिया था.तब से लेकर अब तक राहुल गांधी से बड़े नेता से लेकर कार्यकर्ता तक इस्तीफ़ा वापस लेने की गुज़ारिश कर रहे हैं.बिहार से लेकर हर प्रदेश के नेता कार्यकर्त्ता राहुल गांधी पर अपना इस्तीफा वापस लेने का दबाव बनाने के लिए दिल्ली पहुंचे हुए हैं दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद शुरू हुई खींचतान के बाद कांग्रेस ने सीनियर नेता मोतीलाल वोरा को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया है. राहुल इस्तीफे की ज़िद पर अड़े रहे लेकिन पार्टी राहुल के अल्टीमेटम के बाद भी पार्टी अध्यक्ष पद के लिए किसी नाम पर सहमति नहीं बना सकी है इसलिए जब तक नया कांग्रेस अध्यक्ष नहीं ढूंढ़ लिया जाता, तब तक वोरा अंतरिम अध्यक्ष बने रहेंगे.

 

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ़ 52 सीटें मिली हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी को भी नहीं बचा सके. इस हार को राहुल गांधी पचा नहीं पाए. उन्होंने अध्यक्ष पद से ये सोंचकर इस्तीफा दे दिया कि उनकी देखा-देखी कांग्रेस के बाक़ी वरिष्ठ नेता भी इस्तीफ़ा दे देंगे और पार्टी संगठन का नए सिरे से गठन करेगें लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राहुल गांधी चाहते थे कि पार्टी के दिग्गज नेता हार की ज़िम्मेदारी लें और संगठन के अपने पदों से इस्तीफ़ा दें.उन्होंने बार-बार इशारा किया कि पार्टी के संगठन में आमूलचूल परिवर्तन की ज़रूरत है. ये परिवर्तन वो अपने इस्तीफ़े से पहले करना चाहते हैं.

राहुल गांधी का कहना है कि पार्टी के दिग्गज नेताओं के सारे समीकरणों को कांग्रेस ने माना और उनके चुने हुए उम्मीदवारों को पार्टी ने टिकट दिया. लेकिन लोकसभा के चुनाव में उनके उम्मीदवार कुछ ख़ास नहीं कर पाए. नतीजा नील बटे सन्नाटा रहा.लेकिन पार्टी नेता अपने पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं.राहुल गांधी ये भी खुल्लेयाम कह चुके हैं कि पार्टी के टिकट बँटवारे के पीछे परिवारवाद और अहम की लड़ाई ज़्यादा रही.महाराष्ट्र कांग्रेस ने 10 सीटों पर जीत का दावा किया था लेकिन उन्हें मात्र एक सीट मिली और वो भी उस उम्मीदवार से मिली जो ऐन मौक़े पर शिव सेना छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुआ था.

राजस्थान में जहां पर राज्य सरकार कांग्रेस की है, वहां पर कांग्रेस को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली. राहुल गांधी ऐसे सारे आंकड़ों पर जमकर बरसे.हाल ही में यूथ कांग्रेस के नेताओं की बैठक में राहुल गांधी ने कहा था कि उन्हें इस बात का दुख है कि किसी मुख्यमंत्री, महासचिव ने इस्तीफ़ा नहीं दिया.इसके बाद पार्टी में इस्तीफ़े की झड़ी लग गई. संगठन के दूसरी क़तार के नेताओं ने सामूहिक इस्तीफ़े की पेशकश की. दरअसल,इन इस्तीफ़ों के पीछे की एक वजह सालों से कांग्रेस की रीति-नीति संचालित करने वाले वरिष्ठ दिग्गजों पर पद छोड़ने का दबाव बनाना है.मुख्यमंत्री बैठक के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस्तीफ़े की भी बात चली.राहुल गांधी एक तरफ़ संगठन में बदलाव चाहते हैं ताकि नई टीम के साथ आने वाले चुनावों की लड़ाई कर सकें.वहीं दूसरी तरफ़ वह अध्यक्ष का कार्यभार से ज़्यादा आम आदमी के नेता बनना चाहते हैं.वो चाहते हैं कि जब-जब देश में लोगों के मुद्दे उठाए जाएं तब-तब राहुल गांधी वहां मौजूद हों. यानी देश में जहां समस्या हो वहां राहुल गांधी दिखें.

कांग्रेस को इस बात का एहसास है कि ज़मीनी स्तर पर पार्टी बेहद कमज़ोर हो गई है और इसी चीज़ को राहुल गांधी ठीक करना चाहते हैं.उनका मानना है अब ये तभी ठीक होगा जब नए लोग नए जज़्बे के साथ काम शुरू करेंगे.लेकिन गांधी परिवार के नज़दीकी राहुल गांधी को अध्यक्ष पद से दूर करना नहीं चाहते हैं.उनका मानना है कि अगर ऐसा हुआ तो कहीं वही स्थिति ना आ जाए जो सीताराम केसरी के समय पर हुई थी.हालांकि सोनिया गांधी ने राहुल के इस्तीफ़े पर खुल कर नहीं बोला लेकिन माना जा रहा है कि सीताराम प्रकरण का ख़ौफ़ सोनिया गांधी के भी दिमाग में है.

राहुल फ़िलहाल वापसी का रास्ता नहीं देख रहे तो अध्यक्ष पद के लिए ऐसा व्यक्ति खोजा जा रहा है जो ज़रूरत पड़ने पर गांधी परिवार के किसी सदस्य के लिए अपने पद को छोड़ने के लिए तैयार हो जाए.इसके लिए कई लोगों के नाम पर चर्चा चल रही है. सूत्रों के मुताबिक़ सुशील कुमार शिंदे का नाम सबसे ज़्यादा लिया जा रहा है.इसकी एक वजह ये भी है कि महाराष्ट्र में चुनाव आने वाले हैं और शिंदे महाराष्ट्र से हैं.कांग्रेस को उम्मीद है कि इस चुनाव में शिंदे का प्रभाव असर डालेगा.हालांकि चर्चा में और भी नाम हैं.

केवल गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को पार्टी की कमान सौंपने और नए सिरे से संगठन को खड़ा करने से कुछ हाशिल होनेवाला नहीं है क्योंकि पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए तो खुद राहुल गांधी को जमकर काम करना होगा और साथ ही बीजेपी के हर हमले का माकूल जबाब देने की तैयारी करनी होगी.

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