6 महीने में बहाल होंगे कॉलेजों के दो लाख नए शिक्षक, बदल जायेगी उच्च शिक्षा की तस्वीर
सिटी पोस्ट लाइव : प्रधानमंत्री मोदी ने रोज़गार के फ्रंट पर अब काम करना शुरू कर दिया है.प्रधानमंत्री ने कौशल विकास को लेकर 10 मंत्रियों की एक समिति बनाई है जो रोज़गार पैदा करने की रणनीति बनायेगी. प्रधानमंत्री ने रोजगार को प्राथमिकता पर रखा है. पीएम मोदी इस चुनाव के नतीजे से यह समझ चुके हैं कि बेरोजगार ही उनके वोटर हैं. सरकार सरकारी परीक्षाओं की व्यवस्था को ईमानदार और पारदर्शी बनाने में जुटी है. अब न तो पर्चा लीक होगा और ना ही रिज़ल्ट में देरी होगी.
स्थानीय स्तर पर परीक्षा कराने की व्यवस्था होगी. रेलवे की परीक्षा देने के लिए छपरा से बंगलुरू जाने की ज़रूरत नहीं होगी. ग़रीब छात्रों को अब चपरासी और क्लर्क की नौकरी के लिए परीक्षा देने हजारों किलो मीटर दूर नहीं जाना पड़ेगा. परीक्षाओं में क्षेत्रीय असंतुलन का भी ध्यान रखा जाएगा.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश के सभी वाइस चांसलरों को छह महीने के भीतर ख़ाली पदों को भर देने का निर्देश दिया है. अगले छह महीने के भीतर दो लाख से अधिक लोगों को यूनिवर्सिटी में नौकरी मिलेगी. उच्च शिक्षा के सचिव के अनुसार कॉलेजों से लेकर यूनिवर्सिटी तक में दो लाख शिक्षकों के पद ख़ाली हैं.
यूजीसी ने भर्ती के दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. सबसे ख़ास बात ये है कि अगर तो इन दो लाख पदों पर बहाली की प्रक्रिया ईमानदारी होती है तो उच्च शिक्षा में गुणवत्ता आयेगी. पिछली सरकारों में बड़ी संख्या में अयोग्य शिक्षकों को रखा गया, जिसका नुकसान छात्रों को उठाना पड़ा. किसी वाइस चांसलर के लिए बहुत मुश्किल होता है राजनीतिक दबावों को किनारे रखकर योग्य छात्र को लेना और उसी तरह राजनीतिक दल के लिए भी मुश्किल होता है कि अपने इस लालच पर लगाम लगा पाना कि अपना आदमी कॉलेज में पहुंच जाए.
आदर्श स्थिति की कल्पना तो मुश्किल है लेकिन सरकार यूनिवर्सिटी सिस्टम को बेहतर बनाने पर ध्यान दे रही है.कैंपस की राजनीति शिक्षकों की गुणवत्ता को लेकर नहीं बल्कि छात्रों के बीच हो, इसकी तैयारी चल रही है.. दुनिया भर की यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे भारतीय शिक्षकों को भारत आने का अवसर दिया जा सकता है. इससे यूनिवर्सिटी व्यवस्था में विविधता और नवीनता आयेगी. अलग-अलग क्षेत्र से आईं प्रतिभाएं टकराती हैं तो नया मौहाल बन जाता है.
अच्छा है कि रोज़गार सृजन पर सरकार का फोकस है. हम उम्मीद कर सकते हैं कि दो लाख शिक्षकों की भर्ती अनुकंपा और राजनीतिक हिसाब से नहीं होगी. अगर पचास फीसदी सीटों पर भी योग्य शिक्षक की भारती हो गई तो आने वाले दिनों में उच्च शिक्षा का स्वरूप बदल जाएगा और अगर केवल राजनीतिक बहाली हुई तो उच्च शिक्षा का बंटाधार हो जाएगा.
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