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“विशेष” मोदी लहर के बीच पूर्व सांसद आनंद मोहन की सियासी जादूगरी का बजा डंका

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“विशेष” मोदी लहर के बीच पूर्व सांसद आनंद मोहन की सियासी जादूगरी का बजा डंका

सिटी पोस्ट लाइव : 2019 में लोकसभा चुनाव में मोदी तांडव और कहर के चलते एनडीए ने देश भर में ऐतिहासिक जीत दर्ज की जिसका असर अभी विश्व स्तर पर देखने को मिल रहा है ।लेकिन इस एकतरफे विजय यात्रा के बीच बिहार महागठबन्धन का सूपड़ा साफ करने में बिहार के सहरसा जेल में बन्द पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की भूमिका भी काफी मजबूत और प्रभावशाली रही ।इस बात की तारीफ सूबे के मुखिया नीतीश कुमार और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी खुलकर की है ।बताना बेहद लाजिमी है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी कांग्रेस में थीं और वह शिवहर संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहती थीं ।बीते पांच वर्षों के दौरान लवली आनंद और उनके बड़े बेटे चेतन आनंद ने शिवहर को अपना कर्मभूमि बना लिया था ।

वैसे आनंद मोहन और लवली आनंद का शिवहर से पुराना रिश्ता रहा है ।पूर्व सांसद आनंद मोहन जहां शिवहर से सांसद रह चुके हैं,वहीं लवली आनंद वैशाली से सांसद रह चुकी हैं ।इन बीते पांच वर्षों से लवली आनंद और चेतन आनंद ने शिवहर में डेरा जमाकर,क्षेत्र में विकास के लिए अनवरत कई आंदोलन किये और जनता से उनका लगातार संवाद होता रहा ।लवली आनंद कांग्रेस से टिकट मिलने को लेकर पूरी तरह से आस्वस्त थीं ।लेकिन महागठबन्धन के नायक तेजस्वी यादव ने चतुराई से शिवहर सीट राजद के खाते में करवा ली ।कांग्रेस महागठबन्धन में 40 सीटों में से 11 सीट मांग रही थी लेकिन तेजस्वी यादव ने 9 सीटें देकर कांग्रेस का मुंह बंद करा दिया ।

शिवहर से लवली आनंद को टिकट नहीं मिलने के बाद सहरसा जेल में बन्द पूर्व सांसद आनंद मोहन की रणनीति और उनके समर्थकों ने महागठबन्धन के द्वारा सोची-समझी साजिश के तहत छल और विश्वासघात किये जाने का करारा जबाब,चुनाव में उसे ना केवल बुरी तरह से पराजित कर बल्कि बिहार से उसे पूरी तरह से उखाड़ फेंककर दिया है ।अपने स्वाभिमान और नीतियों के लिए आजीवन कारावास की सजा स्वीकारने वाले आनंद मोहन के बारे में राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि आनंद मोहन ने अपने वसूलों से ना तो कभी समझौते किये हैं और ना ही सत्ता के इर्द-गिर्द मंडराते सियासी सूरमाओं के सामने कभी घूँटने ही टेके हैं ।आनंद मोहन ने इस दफा गजब की सियासी चाल चली ।

उन्होंने महागठबन्धन के खिलाफ फेज वाईज एनडीए के प्रत्यासियों की मदद के लिए अपनी पत्नी लवली आनंद और अपने बड़े बेटे चेतन आनंद को चुनाव मैदान में उतार दिया ।आनंद मोहन की इस सियासी रणनीति ने राजद के युवराज तेजस्वी यादव को मुंहतोड़ जबाब देकर,पूरी तरह से बैकफुट पर ला दिया ।आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने चुनाव से पहले ही कहा था कि कांग्रेस के द्वारा शिवहर से लोकसभा सीट से उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से वे बेहद खफा हैं ।बिहार में उन्होंने और उनके समर्थकों ने महागठबन्धन से आर-पार की लड़ाई का मूड बना लिया है ।जीतन राम मांझी की पार्टी हम को छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाली लवली आनंद को कांग्रेस की इस कार्यशैली से गहरा सदमा सा लगा था ।

यही वजह है कि इसबार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का ना केवल घोषणा कर दी बल्कि महागठबन्धन को जद से सबक सिखाने की मुनादी भी कर दी थी ।पूर्व सांसद लवली आनंद ने महागठबंधन को ठगबंधन करार देते हुए कहा कि हमारे पुरखों की असीम कुर्बानियों से देश में एक तरफ जहाँ आजादी आयी वहीं देश में लोकतंत्र भी आया ।लेकिन वर्तमान की राजनीति आज तिजारत बन कर रह गई है ।एक बेहद गलत और खतरनाक ‘ट्रेंड’ चल पड़ा है ।पार्टियों के निष्ठावान और ईमानदार कार्यकर्ता जमीनी संघर्ष करते-करते मर-खप जाते हैं और पैराशूट से लूटेरे धनपशु चुनावी टिकट खरीद कर कहीं से अचानक चुनावी समर में टपक जाते हैं ।राजनीति में धनपशुओं के खिलाफ एक निर्णायक संघर्ष वक्त का तकाजा है ।

ऐसे ठगबंधन वाले महागठबंधन को हराना निहायत जरूरी है ।उन्होंने आगे कहा था कि शहीदों के बलिदान से मिली आजादी और जनतंत्र को बचाना,इस देश के नौजवानों का फर्ज है ।लवली आनंद ने आगे कहा कि वर्तमान चुनाव के मद्देनजर हमने और हमारे समर्थकों ने फ्रेंड्स ऑफ आनंद और बीपीपा के बैनर तले दूसरे चरण में पुर्णिया से जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा,तीसरे चरण में मधेपुरा के जदयू प्रत्याशी दिनेश चंद्र यादव और चौथे चरण में,मुंगेर संसदीय सीट पर जद यू के ललन सिंह,दरभंगा से गोपाल जी ठाकुर और उजियारपुर से नित्यानंद राय के पक्ष में अपना समर्थन दिया था ।

पांचवे चरण में,सारण से राजीव प्रताप रुढ़ी,मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी में क्रमशः अजय निषाद और सुनील कुमार ‘पिंटू’,छठे चरण में शिवहर से रामा देवी, मोतिहारी में राधामोहन सिंह,महाराजगंज से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और वैशाली से शिवहर टिकट बंटवारे के गुनहगार और सवर्ण आरक्षण विरोधी राजद प्रत्याशी रघुवंश प्रसाद सिंह के खिलाफ एनडीए के लोजपा प्रत्याशी बीणा देवी को अपना समर्थन दिया ।सातवें चरण में सासाराम से छेदी पासवान, काराकाट से महाबली सिंह और पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव को उन्होंने समर्थन दिया और उनके लिए जमकर चुनाव प्रचार भी किये ।वैसे लवली आनंद ने चौथे,पांचवे,छठे और सातवें चरण की शेष सीटों पर फैसला कार्यकर्ताओं के स्वविवेक पर भी छोड़ दिया गया था ।

मालूम हो कि बीते 18 अप्रैल के पुर्णिया सीट पर हुए चुनाव में जदयू के संतोष कुशवाहा और 23 अप्रैल को हुए चुनाव में मधेपुरा और सुपौल में जदयू के पक्ष में आनंद मोहन समर्थकों ने ना केवल खुलकर समर्थन दिए बल्कि लवली आनंद और उनके बेटे चेतन आनंद ने इन प्रत्यासियीं के लिए नुक्कड़ सभा कर के और डोर टू डोर कैम्पेन कर के वोट भी मांगे ।यह बेहद नंगा सच है कि आनंद मोहन के समर्थन के अलावे,लवली आनंद और चेतन आनंद के चुनाव प्रचार के असर से एनडीए ये तीनों सीट चुनाव से पहले ही जीत चुकी थी ।इन क्षेत्रों में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मधेपुरा और सुपौल की कई चुनावी सभा में आनन्द मोहन के समर्थन को लेकर उन्हें और उनके समर्थकों को धन्यवाद कहते हुए,शुक्रिया भी अदा किया था ।जाहिर तौर पर,आनंद मोहन के समर्थक चुनावी समर में,खुलकर खेल रहे थे ।इसे कहते हैं फ्रंटफुट पर आक्रामक होकर खेलना ।

वैसे यह बताना बेहद लाजिमी है कि यह सारी रणनीति जेल की सलाखों में कैद पूर्व सांसद आनंद मोहन की थी जिसने बिहार चुनाव को बेहद रोमांचक और निर्णायक बना दिया था ।इस बार आनंद मोहन की रणनीति से एक तरफ जहां महागठबन्धन पर पहले से ही महा संकट मंडरा रहा था,वहीं एनडीए की बल्ले-बल्ले थी । यहाँ यह उल्लेख करना बेहद जरूरी है कि बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और चारा घोटाले में रांची के होटवार जेल में बन्द पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की तिकड़ी ने राजनीतिक षड्यंत्र से पूर्व सांसद आनंद मौहन को वर्ष 1995 में बिहार के तत्कालीन गोपालगंज डीएम जी.कृषनैया हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा कराने में मुख्य भूमिका निभाई थी ।पूर्व सांसद आनंद मोहन की सजा अब पूरी होने वाली है ।\

इधर चुनाव के दौरान कांग्रेस में रहते हुए लवली आनंद और चेतन आनंद ने एनडीए के स्टार प्रचारक की भूमिका निभाई ।अमित शाह, राजनाथ सिंह,हेमा मालिनी और नीतीश कुमार सहित कई अन्य बड़े नेताओं के साथ मंच साझा किए और दमदार लहजे में जनता को संबोधित भी किया ।कयास यह लगाया जा रहा है कि एनडीए के बड़े नेताओं की इस सोहबत से आनंद मोहन की ससम्मान रिहाई में सहूलियत होगी ।हद की इंतहा तो यह भी है कि लवली आनंद और चेतन आनंद ने कांग्रेस में रहते हुए महागठबन्धन की कब्र खोद दी लेकिन बिहार कांग्रेस और कांग्रेस आलाकमान ने इनदोनों पर अभीतक कोई भी करवाई नहीं कि है ।

जेपी आंदिलन की उपज आनंद मोहन की पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई,चंद्रशेखर,अटल बिहारी बाजपेयी,विश्वनाथ प्रताप सिंह, पूर्व उप राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत,राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल,राजनारायण,लालकृष्ण आडवाणी,कैलाशपति मिश्र, मुलायम सिंह यादव,रमण सिंह,चौधरी चरण सिंह,अजित सिंह,ओम प्रकाश चौटाला,प्रकाश सिंह बादल,हरीश सिंह रावत, राजनाथ सिंह,रामविलास पासवान सहित देश के कई बड़े नेताओं और नेत्रियों से घरेलू सम्बन्ध रहे हैं ।लेकिन इस तमाम परिचय और सम्बन्ध के बाद भी,वे जेल की सलाखों के भीतर हैं ।इस लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 13 पर प्रत्यक्ष और 15 सीटों पर अप्रत्यक्ष रूप से आनंद मोहन और उनके समर्थकों का जादू चला जिससे राजद सहित महागठबन्धन का सूपड़ा साफ हो गया ।इस चुनाव ने यह जाहिर कर दिया कि जेल में रहते हुए भी पूर्व सांसद आनंद मोहन सर्वसमाज के सर्वमान्य नेता हैं और बिहार में उनका मजबूत जनाधार है ।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह का “चुनाव परिणाम विश्लेषण”

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