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इस बार बिहार में कई लोकसभा सीटों पर जीत -हार के कई रिकॉर्ड बनें

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इस बार बिहार में कई लोकसभा सीटों पर जीत -हार के कई रिकॉर्ड बनें

सिटी पोस्ट लाइव- ‘एक बार फिर मोदी सरकार’ का जो नारा बीजेपी समर्थकों ने चुनाव से पहले दिया था वह अब सच साबित हो चुका है. पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी एवं उसके सहयोगी दलों ने बंपर जीत दर्ज की है. खासकर बिहार के परिणाम बेहद चौकानेवाले हैं. क्योंकि इस अप्रत्याशित जीत का विश्वास खुद बीजेपी के नेताओं को भी नहीं था. लेकिन शायद यहाँ के वोटरों ने एक बार फिर से एनडीए को प्रचंड बहुमत देने का फैसला किया और एनडीए को बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर जीत प्राप्त हुई. परन्तु इसके साथ ही जीत-हार के नये रिकार्ड भी बने हैं. गौर करनेवाली बात तो यह है कि इसमें सबसे बड़ी जीत सबसे पहले आई और सबसे छोटी जीत अंत में आई.

हार-जीत के अंतर की बात करें तो एनडीए के 39 में से 34 प्रत्याशियों ने अपने विरोधियों को एक लाख से अधिक मतों से मात दी. लेकिन एक प्रत्याशी की जीत का अंतर महज डेढ़ हजार से कुछ वोट ज्यादा था. बिहार में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड मधुबनी के बीजेपी प्रत्याशी अशोक यादव ने बनाया. उन्होंने अपने विरोधी महागठबंधन के उम्मीदवार को चार लाख 54 हजार 940 वोटों से हराया. बड़ी जीत दर्ज करने के मामले में दूसरे नंबर पर बेगूसराय के बीजेपी उम्मीदवार गिरिराज सिंह रहे.

पूरे देश के लिए हॉट सीट बनी बेगूसराय से गिरिराज ने सीपीआई के कन्हैया कुमार को चार लाख 22 हजार 217 वोटों से मात दी. हार-जीत में लाख वाला अंतर अधिकांश नेताओं के साथ रहा. मुजफ्फरपुर में भारतीय जनता पार्टी के अजय निषाद भी ज्यादा पीछे नहीं रहे. उन्होंने भी अपने विरोधियों पर चार लाख छह हजार 407 वोट के अंतर से बड़ी जीत हासिल की. बिहार में एनडीए की जीती हुई सीटों के जीत का अंतर निकालें तो औसत 2.19 लाख वोटों का होता है.

जेडीयू खेमे की बात करें तो वाल्मीकिनगर में जेडीयू के बैद्यनाथ महतो, झंझारपुर में जेडीयू के रामप्रीत मंडल, मधेपुरा में जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव ने बड़ी जीत हासिल की. शिवहर में बीजेपी की रमा देवी की जीत तीन लाख से भी अधिक वोटों से हुई.
एलजेपी की बात करें तो हाजीपुर में पशुपति पारस, जमुई से चिराग पासवान, वैशाली में वीणा देवी ने भी अपने विरोधियों को दो लाख से अधिक मतों के बड़े अंतर से हराया.अब बात की जाए सबसे छोटी जीत की जिसकी घोषणा में सबसे ज्यादा वक्त लगा तो वो है जहानाबाद सीट. इस सीट से जेडीयू के चंदेश्वर चंद्रवंशी की जीत हुई लेकिन उन्हें इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ी.

इस सीट से उन्होंने राजद के सुरेंद्र यादव को 1711 वोटों से हराया. जहानाबाद की सीट से राजद को एक मात्र आस थी और देर रात तक पार्टी के बड़े नेता और कार्यकर्ता इस उम्मीद के साथ वहां टिके थे कि जहनाबाद से राजद का खाता खुलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सुरेंद्र यादव हार गए. आपको बता दें कि वहाँ से लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने भी अपने लालू -राबड़ी मोर्चा के बैनर तले निर्दलीय उम्मीदवार चन्द्र प्रकाश यादव को खड़ा किया था. मतलब साफ़ है कि लालू परिवार का पारिवारिक मामला चुनाव के अंत -अंत तक नहीं सुलझा जिसका भी खामियाजा राजद को भोगना पड़ा.                              जे.पी.चंद्रा की रिपोर्ट
                                                                                                                                                                

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