City Post Live
NEWS 24x7

चुनाव विशेष : ‘मुंगेर’ लोकसभा सीट का कैसा है सियासी समीकरण

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

चुनाव विशेष : ‘मुंगेर’ लोकसभा सीट का कैसा है सियासी समीकरण

सिटी पोस्ट लाइव- मुंगेर लोकसभा की सीट नीतीश कुमार के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुका है. कभी नीतीश कुमार के खासमखास रहे अनंत सिंह मुंगेर लोकसभा सीट से परदे के पीछे से ताल ठोक रहे हैं. उन्होंने अपनी पत्नी नीलम देवी को मैदान में नीतीश कुमार के काफी करीबी ललन सिंह के खिलाफ उतारा है जो एनडीए समर्थित उम्मीदवार हैं. बता दें कि काफी जद्दोजहद के बाद अनंत सिंह मुंगेर लोकसभा सीट से अपनी पत्नी को कांग्रेस से टिकट दिलाने में सफल हुए हैं और वहाँ से चुनाव का बिगूल फूंक दिया है. बिहार में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है.

वैसे बिहार के मुंगेर संसदीय क्षेत्र में कई वर्षों तक कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन बदलते दौर में अब अन्य पार्टियां भी जीत रही हैं.1952 के बाद आठ बार कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत का परचम लहराया, लेकिन 1984 के बाद कांग्रेस यहां कभी नहीं लौटी. इससे पहले वर्ष 1964 और 1967 में डॉ. राम मनोहर लोहिया के अनुयायी और प्रखर समाजवादी मधु लिमये ने दो बार यहां से जीत दर्ज की थी. वहीं 1984 के बाद जेडीयू (एक बार जनता दल के टिकट) तीन बार और आरजेडी ने दो बार जीत दर्ज की है जबकि एकबार एलजेपी ने 2014 में जीत दर्ज की.

ललन सिंह और अनंत सिंह दोनों भूमिहार जाति से आते हैं. अनंत सिंह जेडीयू के विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में मोकामा से निर्दलीय विधायक हैं. उन्हें कभी नीतीश कुमार का करीबी बताया जाता था, लेकिन बिहार में 2015 में जेडीयू-आरजेडी की सरकार बनने के बाद एक मामले में उनके जेल जाने से इन रिश्तों में तल्खी आयी गयी. वर्ष 2009 के परिसीमन के पूर्व मुंगेर जिले में हवेली खड़गपुर विधानसभा क्षेत्र होता था. वर्ष 1952 के पहले विधानसभा चुनाव में डॉ. श्रीकृष्ण सिंह हवेली खड़गपुर से जीतकर बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने थे. मुंगेर संसदीय क्षेत्र में भूमिहार और अतिपिछड़े वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके बाद यादव, मुस्लिम, कुर्मी, और धानुक जाति के मतदाता हैं. यहां राजपूत और महादलित समुदाय के मतदाता भी प्रभावी भूमिका में रहते हैं.

आपको बता दें कि वहाँ का राजनीतिक समीकरण भूमिहार जाती पर टिका होता है. क्योंकि वहाँ प्राय: ऐसा देखा गया है कि भूमिहार वोट का ध्रुवीकरण होता आया है. जिससे उम्मीदवारों के जीत में इनकी भूमिका निर्णायक हो जाती है. लेकिन यह देखना इस लोकसभा चुनाव में काफी दिलचस्प होगा कि क्या अनंत सिंह नीतीश कुमार के काफी करीबी प्रत्याशी ललन सिंह को पटखनी दे पाते हैं या नहीं.
जे.पी.चंद्रा की रिपोर्ट

-sponsored-

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.