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ट्विवटर, फेसबुक के सहारे लालू फैक्टर को भुनाने में जुटी है राजद

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ट्विवटर, फेसबुक के सहारे लालू फैक्टर को भुनाने में जुटी है राजद

सिटी पोस्ट लाइव- बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर प्रचार का कार्य जारी है. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में वोट मांग रहे हैं. इस चुनाव प्रचार के दौरान जो भी कार्ड वोटरों को लुभाने के लिए खेला जा सकता है वह उनके द्वारा खेला जा रहा है. जाती ,धर्म और संवेदना का भी सहारा नेताओं के द्वारा लिया जा रहा है. इसमें सोशल मीडिया खासा मददगार साबित हो रहा है. मंगलवार को बिहार में लोकसभा के तीसरे फेज का चुनाव हो रहा है जहां पांच सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं.

सोमवार को पटना में महागठबंधन की पीसी में पहुंचे तेजस्वी ने लालू प्रसाद का सहारा लिया और कहा कि लालू जी के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है. तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला साथ ही लालू के प्रति संवेदना भी जारी की. तेजस्वी ने कहा कि मैं अपने पिता लालू यादव से मिलने मैं रांची गया था. रिम्स के डॉक्टर कहते हैं कि लालू यादव की तबियत खराब है लेकिन उनको टेस्ट कराने के लिए हॉस्पिटल के दूसरे भवन में नहीं जाने दिया जा रहा है. लालू जी के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. तेजस्वी ने आगे कहा कि लालू यादव से मिलने के लिए रोक लगा दिया गया है. हॉस्पिटल के बाहर नोटिस लगा दिया गया है. पीएम मोदी, सीएम नीतीश और सुशील मोदी के इशारे पर रिम्स में नोटिस लगाया गया है. जबकि विधि सम्मत हर शनिवार तीन व्यक्तियों से मिल सकते है लेकिन तानाशाही भाजपाई सरकार ने इस पर भी रोक लगा दी है.

वहीं राबड़ी देवी ने पति की जान पर खतरे का अंदेशा जताया है. पूर्व सीएम ने अपने ट्वीट में लिखा, अस्पताल में उपचाराधीन आदरणीय लालू प्रसाद जी विधि सम्मत हर शनिवार तीन व्यक्तियों से मिल सकते हैं, लेकिन तानाशाही भाजपाई सरकार ने इस पर भी रोक लगा दी है. मेरे बेटे को भी नहीं मिलने दिया. ये ज़हरीले लोग लालू जी के साथ साज़िश कर उन्हें गंभीर नुक़सान पहुंचा सकते हैं. उनकी जान को ख़तरा है.

आपको बता दें कि लालू प्रसाद के जेल में रहने का असर उनकी पार्टी पर पड़ा है. इस बात को खुद राबड़ी देवी से लेकर शिवानंद तिवारी और रघुवंश प्रसाद सिंह तक जानते हैं और दोनों इस बात को मान चुके हैं कि लालू होते तो चुनाव की बात कुछ और होती. लालू की कमी का कितना असर पार्टी पर पड़ता है ये तो मतगणना के दिन पता चलेगा. लेकिन फिलहाल विरोधी भी बिना लालू प्रसाद का नाम लिए बिना अपनी चुनावी सभाओं में नहीं रह रहे हैं या यूं कह सकते हैं कि बिहार की राजनीति हमेशा से लालू यादव के इर्द -गिर्द घूमती रही है चाहे वे कहीं हों. लेकिन सबसे बड़ी बात फिर वही है कि राजद के लिये सोशल मिडीया ही लालू फैक्टर को भुनाने का एकमात्र सहारा बनकर रह गया है.

जे.पी.चंद्रा की रिपोर्ट 

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