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वो मुख्य चुनाव आयुक्त जिसने लालू को महान राष्ट्रभक्त बताया, जिससे कांपते थे नेता.

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वो मुख्य चुनाव आयुक्त जिसने लालू को महान राष्ट्रभक्त बताया, जिससे कांपते थे नेता..

सिटी पोस्ट लाइवः चुनाव का मौसम है इसलिए खबरों में सियासत और नेता ज्यादा हैं लेकिन चुनावी मौसम चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं के सवोच्च पद पर विराजमान रहे उस व्यक्ति का जिक्र भी जरूरी है जिसने न सिर्फ अपनी एक अलग पहचान बनायी बल्कि उनसे जुड़े किस्से कहानियां इतने दिलचस्प हैं कि जब राजनीति और चुनाव का जिक्र आता है तो वो नाम जेहन में आ हीं जाता है जिसने नेताओं को खूब डराया, जिनके बारे में यह कहा जाता रहा कि वे नेताओं के शिकारी हैं।

कभी देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषण की गिनती वैसे अधिकारी के रूप में रही है जिन्होंने सियासत और सत्ता की हाथों की कठपुतली बनने से इनकार कर दिया और उल्टे संस्थाओं और अधिकारियों को अपने सियासी खेल के लिए इस्तेमाल करने वाले नेताओं को इतना डराया कि वे थर-थर कांपते थे। दरअलस टीन शेषण के बारे में यह कहा जाता रहा है कि पिछले 25 सालों में टीएन शेषन से ज्यादा नाम शायद ही किसी नौकरशाह ने कमाया है. 90 के दशक में तो भारत में एक मजाक प्रचलित था कि भारतीय राजनेता सिर्फ दो चीजों से डरते हैं. एक ख़ुदा और दूसरे टी एन शेषन से और जरूरी नहीं कि उसी क्रम में! शेषन के आने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त एक आज्ञाकारी नौकरशाह होता था जो वही करता था जो उस समय की सरकार चाहती थी.शेषन भी एक अच्छे प्रबंधक की छवि के साथ भारतीय अफसरशाही के सर्वोच्च पद कैबिनेट सचिव तक पहुँचे थे. उनकी प्रसिद्धि का कारण ही यही था कि उन्होंने जिस मंत्रालय में काम किया उस मंत्री की छवि अपने आप ही सुधर गई.

कई बार देश के बड़े नेताओं को टीएन शेषन का शिकार होना पड़ा है। शेषन के सबसे हाई प्रोफाइल शिकार थे हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल गुलशेर अहमद. चुनाव आयोग द्वारा सतना का चुनाव स्थगित करने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.गुलशेर अहमद पर आरोप था कि उन्होंने राज्यपाल पद पर रहते हुए अपने पुत्र के पक्ष में सतना चुनाव क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया था.उसी तरह राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल बलिराम भगत को भी शेषन का कोपभाजन बनना पड़ा था जब उन्होंने एक बिहारी अफसर को पुलिस का महानिदेशक बनाने की कोशिश की.उसी तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश में पूर्व खाद्य राज्य मंत्री कल्पनाथ राय को चुनाव प्रचार बंद हो जाने के बाद अपने भतीजे के लिए चुनाव प्रचार करते हुए पकड़ा गया. जिला मजिस्ट्रेट ने उनके भाषण को बीच में रोकते हुए उन्हें चेतावनी दी कि अगर उन्होंने भाषण देना जारी रखा तो चुनाव आयोग को वो चुनाव रद्द करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी.

1990 के दशक के पूर्वार्द्ध में जब टीएन शेषण चुनाव सुधार कर रहे थे तो लालू प्रसाद यादव उन दिनों परेशान थे, तब उन्होंने संकेत में आरोप लगाया था कि वे पिछड़ी जाति के हैं और इसी वजह से उन्हें दो ब्राह्मण परेशान कर रहे हैं. लालू प्रसाद यादव का इशारा तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव और मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषण की ओर था. 1995 में इंडिया टुडे को टीएन शेषण ने एक लंबा इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में उनसे इस संबंध में सवाल पूछा गया कि लालू प्रसाद ने ऐसा कहा है, क्या कहेंगे आप? इस पर शेषण ने एक पंक्ति में सपाट जवाब दिया कि लालू प्रसाद यादव महान राष्ट्रभक्त हैं.

लालू ने 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि ब्राह्मणवादी ताकतें हमें रोकने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन जनता दल दो तिहाई बहुमत से सरकार में आयेगी टीएन शेषण चेन्नई के एक ओल्ड ऐज होम में अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं। उनकी पत्नी का निधन कुछ वर्ष पहले हो गया और हाल में उनके निधन की अफवाह भी उड़ी।

(यह स्टोरी मीडिया रिपोर्ट्स और दूसरे स्त्रोतों से मिली जानकारी पर आधारित है)

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