रामटहल ने भारतीय जनता पार्टी से दिया इस्तीफा, निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बागी सांसद रामटहल चौधरी ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने रांची लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी घोषणा की है। चौधरी ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पहले वह 17 अप्रैल को नामांकन दाखिल करने वाले थे। लेकिन 17 अप्रैल को अवकाश रहने के कारण अब वह 16 को ही नामांकन दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा को हमने खून पसीने से सींचा है। मैने जनसंघ के जमाने से ही पार्टी के लिए काम किया। भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की भाजपा और उनके आदर्शों को अपने मन में रखकर देश के निर्माण में कार्य करते रहे। लेकिन समय जैसे जैसे बीतता गया स्थिति बद से बदतर होती गयी। उन्होंने कहा कि अटल के समय में जो लोकशाही थी, वह तानाशाही में बदल गयी। ऐसे में भाजपा को छोड़ने का दुख तो है, लेकिन गलत लोगों का साथ देना फितरत में नहीं है। उन्होंने कहा कि रांची लोकसभा देश में इकलौती सीट है, जिसमें आज पांच से छह बार चुनाव लड़ने के बाद भी विरोध का एक भी स्वर उनके खिलाफ नहीं उठे। चौधरी ने कहा कि भाजपा को लग रहा है कि यहां के लोग भाजपा प्रेमी हैं, इसलिए किसी को भी खड़ा करो, तो वह जीत जायेगा। उन्होंने कहा कि दूसरे को टिकट देने से पहले कम से कम एक बार मुझसे भी राय मशविरा करनी चाहिए थी। मैं खुद चुनाव नहीं लड़ता। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिसका मुझे बहुत दुख है। यही कारण है कि मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा। उन्होंने कहा कि भाजपा से इस्तीफे का कॉपी उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के नाम भेज दिया है। शत्रुघ्न सिन्हा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह हमेशा से ही सच का साथ दिये हैं और सही बातें रखने के लिए वे जाने जाते हैं। ऐसे में अगर उन्हें कुछ गलत लगा था, नोटबंदी में उन्होंने अपनी राय रख दी, तो उन्हें विद्रोही कहना उचित नहीं था। चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केंद्र व राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से काफी नुकसान हुआ। जीएसटी से भी लोगों को नुकसान हुआ। अभी जो यह जीएसटी में संशोधन करने जा रहे हैं, उसे पहले क्यों नहीं किया। चौधरी ने कहा कि पिछले कुछ समय से रघुवर सरकार के साथ उनका मनमुटाव चल रहा था। उन्होंने कहा कि समय समय पर वह जनहित कार्यों में सरकार के सामने अपना पक्ष रख रहे। लेकिन सरकार की ओर से उन्हें कोई उचित जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि पारा शिक्षकों की मांगों का मुद्दा सरकार के सामने रखा था। लेकिन सरकार ने इस बारे में कोई ध्यान नहीं दिया। आंगनबाड़ी सेविका, सीएनटी का विरोध, विरोध पूर्वी आदिवासियों की मौजूदा स्थिति, स्थानीय नीति की सुधार, पिछड़े वर्ग को आरक्षण जैसे कई मुद्दों पर सरकार से विचार विमर्श करना चाहा था, लेकिन सरकार ने इस पर अमल नहीं किया। उन्होंने कहा कि मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री बनाने का सपना मैने भी देखा था। उल्लेखनीय है कि रांची लोकसभा सीट से इस बार भाजपा ने रामटहल चौधरी को टिकट न देकर राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ को टिकट दिया है। जिसके बाद से ही रामटहल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
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