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महागठबंधन के दूसरे घटक दलों के लिए विलेन बनी है कांग्रेस? सुलझने की जगह उलझ रहा सीटों का पेंच

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महागठबंधन के दूसरे घटक दलों के लिए विलेन बनी है कांग्रेस? सुलझने की जगह उलझ रहा सीटों का पेंच

सिटी पोस्ट लाइवः क्या महागठबंधन के भीतर कांग्रेस दूसरे सहयोगी दलों के लिए विलेन बन गयी है? यह सवाल इसलिए है क्योंकि दूसरे दलों के बागी नेताओं की पनाह स्थली बनी है कांग्रेस। बीजेपी के बागी कीर्ति झा आजाद कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। पप्पू यादव, अनंत सिंह कतार में हैं। कीर्ति झा का जिस दरभंगा सीट से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है उसपर वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी की दावेदारी थी लेकिन संभवत मुकेश सहनी को अपनी दावेदारी वापस लेनी पड़ी है। महागठबंधन की दूसरी सहयोगी बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा जिस औरंगाबाद सीट की डिमांड कर रही थी अब उस सीट पर भी कांग्रेस ने अपना दावा ठोंक दिया है। कांग्रेस के वजीरगंज से विधायक अवधेश कुमार सिंह को वो सीट चाहिए। उधर पप्पू यादव और अनंत सिंह पर कांग्रेस और राजद के बीच तकरीबन ठनी है तो कुल मिलाकर सवाल यही कि महागठबंधन में सीटों को लेकर जो पेंच सुलझता नजर नहीं आ रहा है क्या उसकी वजह कांग्रेस हीं है?

आरजेडी से बगावत कर चुके पप्पू यादव कांग्रेस खेमे से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन तेजस्वी यादव महागठबंधन में पप्पू की इंट्री पर अड़े हैं. मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की नजदीकियां भी कांग्रेस पार्टी के साथ है और कांग्रेस चाहती है कि अनंत सिंह मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हों. मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह खबर भी है कि पूर्णिया के पूर्व बीजेपी सांसद पप्पू सिंह ने भी कांग्रेस से पूर्णिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन बनाया है और अंदर ही अंदर उनकी बातचीत भी चल रही है. पप्पू सिंह के नाम पर भी लालू यादव ने अब तक मुहर नहीं लगाया है.बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा दोनों की सवारी कर रहे हैं. वह कांग्रेस के नेताओं से भी मिल रहे हैं और लालू से भी मुलाकात करने में पीछे नहीं रह रहे हैं. दरअसल, बिहारी बाबू यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें कांग्रेस और आरजेडी में किसको चुनना चाहिए. इतना तय है कि बिहारी बाबू पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे.

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