नैतिक मूल्यों की अवहेलना के समय शिव युग परिवर्तन कर रहे हैं : आशा लकड़ा
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि मन्दिरों में शिवरात्रि आज तक मनायी गयी, लेकिन अब स्वयं इस कलियुग-रात्रि में शिव विश्व में उपस्थित होकर संसार को ही मन्दिर बना रहे हैं। गोपेश्वर तथा रामेश्वर शिव सभी के उपास्य, ज्योतिस्वरूप तथा स्वयंभू परमात्मा हैं। शिवरात्रि के स्थूल विधि-विधानों में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य छिपे हुए हैं जिन्हें हृदयंगम कर पावन बन हम सतोप्रधान दुनिया स्थापित कर सकते हैं। लकड़ा रविवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर चौधरीबगान हरमू रोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान में कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद बोल रही थी। शिव अवतरण की 83वीं जयन्ती पर बोलते हुए मेयर लकड़ा ने कहा, भारत का सम्पूर्ण साहित्य इस देश को भगवान शिव की अवतार भूमि घोषित करता है। जब नैतिक मूल्यों व धर्म की अवहेलना होने लगती है, तब सृष्टि का सन्तुलन संभालने के लिए ईश्वरीय शक्ति सक्रिय होती है। यही ईश्वरीय शक्ति ब्रह्माकुमारी संस्थान के माध्यम से युग परिवर्तन का दिव्य कर्तव्य कर रही है जिसका यादगार पर्व शिवरात्रि है। संकटमोचन महाकालेश्वर शिव मानवता के कल्याण के लिए काम, क्रोधादि विकारों का विष पीकर ज्ञान और ईश्वरीय राजयोग रूपी अमृत मनुष्यों को पिला रहे हैं। राजयोग से मस्तिष्कीय विकृतियां दूर होकर सामाजिक समस्याएं समाप्त होगी। मौके पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष कमाल खान ने कहा कि आध्यात्मिक मूल्यों के मूल स्रोत शिव पिता परमात्मा की शिक्षा मानव जगत के लिए आज सर्वाधिक प्रासंगिक हो गयी है। अनैतिकता की युगधारा में बहकर मानव नैतिक अंकुश को मान नहीं रहा है। कर्मेन्द्रियों के विषय आकर्षण में वद्ध मानव समाज तनाव और दुःख के दौर से गुजर रहा है। भोग का पुत्र रोग उसे सता रहा है। मानव इतिहास ऐसे मोड़ पर आ पहुंचा है जहां एक ओर उत्थान की अनन्त संभावनाएं हैं तो दूसरी ओर समाज के समूल विनाश की पूरी तैयारी है। उन्होंने कहा कि मानव जाति को ऐसे बारूद की ढेरी पर लाकर खड़ा कर दिया गया है जिसमें किसी भी समय विस्फोट हो सकता है। ऐसे समय पर स्वर्णीम शांतिमय संसार निर्माण के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान अनुपम कार्य कर रहा है। ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी निर्मला बहन ने कहा, परमात्मा अवतरण की इस 82वीं शिवरात्रि व इससे प्रारंभ होने वाले वर्ष का एक विशेष महत्व है क्योंकि तमोगुणी, दुखी और अशांत सृष्टि के परिवर्तन की भूमिका अब तैयार हो गयी है। ब्रह्मलोक से जिस अमर ज्योति का ब्रह्मातन में अवतरण होता है और सारे संसार को प्रकाशित करता है उसी ज्योति का नाम परमात्मा शिव है। शिव युग प्रवर्तक हैं उनका रूप बिन्दु मण्डलाकार है। बिन्दु परमात्मा का निराकार पार्वती से आनंददायक मंगल मिलन ही सच्चा शिव विवाह है। इस मंगल मिलन से गृहस्थ जीवन आश्रम बन जाता है और सतयुग आ जाता है। सतयुग आने के पूर्व विश्व का परिवर्तन कई प्रकार के मानवी कुकृत्यों और दैवी आपदाओं का मिलाजुला फल होगा। जब सभी आत्माओं के वापस जाने का समय आ जाता है तब देशवासी शिव युगचक्र को पलटाने के लिए सक्रिय हो उठते हैं। रूहों की करूण पुकार सुनकर शिव पिछले 83 वर्षों से ज्ञान की गंगा बहा रहे हैं व शीघ्र ही यह धरती स्वर्णिम सुखों से झुमती हुई देवताओं की वसुधा बन जाएगी। इस अवसर पर अश्विनी राजगढ़िया, दिग्बिजय सिंह, लाल कालीचरण नाथ शाहदेव आदि उपस्थित थे।
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