‘लड़ाई मामूली नहीं है मुंगेर की, टक्कर अनंत से है इसलिए बार-बार मोकामा आंएगे नीतीश’
सिटी पोस्ट लाइवः मुंगेर की लड़ाई महालड़ाई है। बिहार की राजनीति में यह बात जगजाहिर है। मुकाबला कांटे का है क्योंकि मुंगेर की लड़ाई उन दो लोगों के बीच होनी है जो कभी सियासी दोस्त रहे थे लेकिन आज एक दूसरे के सबसे बड़े राजनीतिक दुश्मन हैं। नीतीश की पार्टी जेडीयू के टिकट पर तीन बार विधायक रहे इस दौरान अनंत सिंह की नीतीश कुमार और ललन सिंह से राजनीतिक रिश्ते बेहतर रहे लेकिन अनंत सिंह जब बागी हुए तो 2015 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा। जेल से चुनाव लड़कर निर्दलीय जीत जाने वाले अनंत सिंह को शायद उस जीत ने यह कांफिडेंस दे दिया हो कि अपने राजनीतिक दुश्मनों से लड़ाई उनके लिए आसान है, नीतीश कुमार और ललन सिंह से रिश्ते और खराब हुए तो अनंत सिंह ने इस लड़ाई को मुकम्मल अंजाम देने के लिए मुंगेर को चुना है और खुला एलान कर दिया है कि वे मुंगेर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।
ललन सिंह भी मुंगेर से हीं जेडीयू के उम्मीदवार होंगे इसलिए मुंगेर की इस महालड़ाई कर असर अब देखा जाने लगा है। बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार आज मंगलवार 26 फरवरी को फिर से बाढ-मोकामा जा रहे हैं . कई सरकारी कार्यक्रम हैं . बाढ़-मोकामा लोक सभा चुनाव में मुंगेर लोक सभा क्षेत्र के तहत है . मुंगेर लोक सभा चुनाव की महालड़ाई को बिहार अभी से महसूस कर रहा है .इधर के दिनों में मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के कार्यक्रम मुंगेर लोक सभा क्षेत्र के विधान सभा क्षेत्रों में अधिक लग रहे हैं . सरकारी और निजी कार्यक्रम में नीतीश कुमार कई बार मोकामा जा चुके हैं .अनंत सिंह ने बाढ़ में पत्रकारों से कहा कि हमें पता है कि नीतीश कुमार फिर से बाढ़-मोकामा आ रहे हैं . आगे बोले दृ नीतीश कुमार को पता है कि लड़ाई अनंत सिंह से है, सो एक बार नहीं दस दृ बीस झोंक उन्हें बाढ़ दृ मोकामा आना ही होगा . यह लड़ाई कोई मामूली थोड़े न है .अनंत सिंह दावा कर रहे हैं कि वे मुंगेर में बड़ी जीत हासिल करेंगे . जनता का समर्थन सिर्फ उन्हें ही प्राप्त है .
दूसरी ओर ललन सिंह कह रहे हैं-मोकामा से आतंक को खत्म हो जाना है . वे होमियोपैथिक इलाज करते हैं, जिसका असर समय से होता है और रोग जड़ से खत्म हो जाता है . जाहिर है मुंगेर सीट को लेकर बिहार के राजनीतिक गलियारों में खासी हलचल है और अनंत सिंह के ताल ठोंकने के बाद जेडीयू और ललन सिंह के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी है जाहिर है कोशिश हर हाल में जीत की होगी उधर अनंत ंिसह का दावा जमानत जब्त करा देने का रहा है, दावों की सच्चाई चुनाव का परिणाम बताएगा लेकिन यह तय है कि मुकाबला न सिर्फ कांटे का है बल्कि दिलचस्प भी है और पूरे आसार हैं कि दो वैसे राजनीतिक दुश्मनों के बीच यह लड़ाई जो कभी दोस्त हुआ करते थे मुकाबले को अंतिम समय तक दिलचस्प बना रखेगा।
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