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मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास को लेकर हेमंत सोरेन ने कसा तंज

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मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास को लेकर हेमंत सोरेन ने कसा तंज

सिटी पोस्ट लाइव, बोकारो: नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले और चुनाव के बाद जो भी वायदे किए, वे कहीं भी जमीन पर नहीं दिख रहे। इनका विकास बिजली के खंभों, अखबारों, टीवी-रेडियो और व्हाट्सएप पर दिखता है। वास्तविकता बिल्कुल इसके अलग है। रविवार को बोकारो में संघर्ष यात्रा के क्रम में पहुंचे हेमन्त ने पत्रकारों से बातचीत में उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार यह बैनर-पोस्टर वाली सरकार है। प्रचार-प्रसार में जितने पैसे खर्च किए, अगर वे सही तरीके से जनोपयोगी कार्यों में लगते तो उसका कुछ फायदा लोगों को मिलता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रविवार को राज्य के हजारीबाग से जमशेदपुर, पलामू, दुमका और हजारीबाग में मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास को लेकर हेमंत सोरेन ने तंज कसे। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री झारखंड आ चुके हैं। कई शिलान्यास कर चुके हैं। आज उन योजनाओं की क्या स्थिति है, सब जानते है। ईंट तक तक नहीं लग सकी है। भूमि अधिग्रहण तक नहीं हुआ। आधी-आधूरी योजनाओं का उदघाटन-शिलान्यास कहां तक सही है? क्या पेड़ के नीचे मेडिकल की पढ़ाई होगी? क्या पेड़ के नीचे ही इलाज होगा? यह केवल जुमलेबाजी और घोषणा वाली सरकार है। हेमंत ने सरकार पर हर तरह के कार्यों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा कि नौजवानों का रोजगार भी दूसरे राज्यों के हवाले जा रहा है। हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा लगाए गए उस आरोप पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने हेमंत पर सत्ता की खातिर अपने पिता की बेज्जती भी भूल जाने की बात कही थी। बोकारो परिसदन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें मुख्यमंत्री के मुंह से शोभा नहीं देती। उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर या संसद में किस तरह से असंसदीय एवं अभद्र भाषाओं का उपयोग किया है, यह सब जानते हैं।
बनाएंगे आदिवासी मूलवासी की सरकार 
हेमंत सोरेन ने कहा कि मौजूदा सरकार को सत्ता से बेदखल कर राज्य में आदिवासी मूलवासी के सरकार बनाना ही उद्देश्य है। कई चीजें हैं जो राज्य की मूल भावनाओं के विपरीत है। चाहे सीएनटी-एसपीटी एक्ट की बात हो, स्थानीयता नीति हो, नियोजन नीति हो अथवा भूमि अधिग्रहण की नीति हो, मौजूदा सरकार ने जन-विरोधी कानूनों को लागू किया है। अब इनसे कैसे निजात पाया जाए, यही संघर्ष यात्रा का मकसद है। सोरेन ने कहा कि पुलवामा घटना के बाद सरकार क्या कदम उठा रही है, यह देखना बाकी है।

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