सहरसा पुलिस की बेशर्म गुंडागर्दी, इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रहे छात्र की कर दी पिटाई
सिटी पोस्ट लाइव : सहरसा में इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रहे एक छात्र सत्यम को दिल्ली की टोन में बोलना खासा मंहगा पड़ा ।सहरसा पुलिस ने उसके बातचीत के लहजे को देखकर, उसकी जमकर धुनाई की जिससे सत्यम अधमरा हो गया। बाद में पुलिस अधिकारियों को जैसे ही इस घटना की भनक लगी, पुलिस अधिकारी ने इस मामले की लीपापोती शुरू कर दी। बिहार पुलिस की दरिंदगी के निशान सत्यम के जिश्म पर हैं, जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि सहरसा पुलिस निर्दयी, जालिम और बेशर्म है। सत्यम इंटर की परीक्षा देने सहरसा के इवनिंग कॉलेज गया था लेकिन उसे इस बात की भनक भी नही थी की दिल्ली की भाषा बोलने की सजा उसे इस कदर मिलेगी। दिल्ली की टोन में बोलने पर पुलिसवालों को ये नागवार गुजरा और उसे इस कदर बेदर्दी से पीटा की वह गम्भीर रूप से जख्मी हो गया। पिटाई और शरीर पर चोट की वजह से उसकी परीक्षा के आधे घंटे छूट गए। बाद में जब गलती का अहसास पुलिस अधिकारी को हुआ तो, अपनी गलती को छुपाने के लिए वहाँ पहुँचे अधिकारियों ने उसे आधे घंटे परीक्षा के बाद अलग से अधिक दिए गए ।सदर थाना के इवनिंग कॉलेज में पुलिस की दरिंदगी का यह मामला उजागर हुआ है।
दरअसल सत्यम के पिता दिल्ली स्थित किसी प्राइवेट कंपनी के जूनियर इंजीनियर के पद पर नौकरी कर रहे हैं। सत्यम बचपन से ही दिल्ली में पला-बढ़ा है जिसकी वजह से उसके बोल दिल्ली वालों की भाषा की जैसी है। उसने पुलिस वालों से काफी मन्नतें भी की वह दिल्ली में ही पला-बढ़ा है। उसके बोलने के टोन कैसे बदलेंगे? पर पुलिसवालों ने एक ना सुनी। पुलिस वाले उसे मारते रहे और उससे कहते रहे कि बिहारी जैसे बोलो ।लेकिन सत्यम यह नाटक नहीं कर सका। आखिरकार पुलिस वालों ने उसकी जमकर पिटाई कर दी। बाद में स्थिति को नियंत्रण में लेने और सत्यम के परिजनों को किसी तरह मनाने की कोशिश शुरू हुई। सेंटर पर मौजूद मजिस्ट्रेट ने भी स्वीकार किया कि उसे आधे घंटे अधिक समय दिए गए हैं। छात्र सत्यम के शरीर पर जख्म के निशान उसके दर्द को बयां कर रहा है। एक तरफ सरकार पूर्व की तरह परीक्षा में कदाचार को लेकर बदनाम थी। जब सरकार ने इस बदनामी से निकलकर कदाचार मुक्त परीक्षा को सफल बनाने का जो प्रयास किया है,वह काबिले तारीफ है।
लेकिन इन पुलिसवालों ने सरकार के मंसूबे पर पानी फेर डाला। ऐसे में इस तरह के कुकृत्य करने वाले पुलिस वाले पर करवाई तय होनी चाहिए, ताकि परिजन निर्भीक होकर अपने बच्चों को परीक्षा देने सेंटर पर भेज सकें। अन्यथा अगर ऐसी हरकत रही तो ऐसे माहौल में इन छात्रों को निर्भीक होकर परीक्षा देना भी एक मानसिक प्रताड़ना से कम नही होगा। पुरे मामले को लेकर परिजन ने छात्र का जख्म दिखाते हुए इस मामले को लेकर जिलाधिकारी से लेकर मनवाधिकार तक जाने की बात कही है। आखिर पुलिस वालों की इस गुदागर्दी को क्या नाम दें? अगर इन जालिम पुलिस वालों पर बड़ी और कठोर कारवाई नहीं हुई, तो आगे सहरसा में बड़े आंदोलन की आग सुलगेगी,जिसे आसानी से ठंढ़ा करना नामुमकिन होगा। वैसे अपनी सुस्ती और बिगड़ैल कार्यशैली के लिए सहरसा पुलिस विगत कई वर्षों से खासा बदनाम रही है।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “खास रिपोर्ट”
Comments are closed.