सहरसा : नए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के फरमान का चढ़ा रंग, सुस्त पुलिस में आ रही गर्मी
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : सहरसा पुलिस विगत कई वर्षों से बैकफुट पर रही है। एक तरीके से यहाँ अपराधियों की समानांतर सरकार चल रही है। हत्या, लूट, छिनतई, बाईक चोरी और चोरी की घटनाओं से यह जिला बेहद परेशान हाल रहा है। सही मायने में यहाँ के लोगों की जिंदगी पुलिस की जगह अपराधियों की मेहरबानी पर टिकी रही है। सहरसा के कई चिन्हित चौक-चौराहे और नुक्कड़ हैं, जहां कम उम्र के अपराधियों का जमावड़ा लगा रहता है। लेकिन उसपर नकेल कसने के लिए पुलिस कभी तत्पर नहीं दिखी है। पुलिस की वाहन, दुपहिया और पैदल गश्ती कहीं भी और कभी भी सक्रिय तरीके से नहीं कराई जाती है।
पुलिस अधिकारी बस शराब, गांजा, नशे के अन्य सामान के पीछे पिल के पड़े रहते हैं। यही नहीं जहां गांधी जी वाले गुलाबी पत्ते की उम्मीद रहती है, ध्यान बस उसी ओर लगा रहता है। ऐसे में सहरसा में एक अधिकारी एसडीपीओ सदर प्रभाकर तिवारी दिन और रात में दफ्तर से लेकर सड़क पर नजर आते हैं। इस अधिकारी में खाकी की थोड़ी हनक दिखती है। ये देर रात तक खुद से ना केवल वाहन चेकिंग करते हैं बल्कि गश्ती भी जमकर करते हैं। उनकी महती कोशिश से कई अपराधी भी दबोचे गए हैं और हथियार की भी बरामदगी हुई है। खेप में कई ट्रक अवैद्य शराब की बरामदगी के साथ कारोबारियों की भी गिरफ्तारी हुई है।
प्रभाकर तिवारी जनता की भी सुनते हैं और ससमय लोगों को न्याय मिले, इसका प्रयास भी करते हैं। जो काम थानेदार को करना चाहिए, वह भूमिका भी यही निभाते हैं।राज्य में नए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के कमान संभालने के बाद पूरे बिहार में बेहतर पुलिसिंग की आस और उम्मीद बढ़ी है। डीजीपी पांडेय जी का फरमान है कि अपराधियों की गोली का जबाब गोली से दिया जाएगा। बिहार में सुशासन राज्य कायम रहेगा। उनके इस फरमान से सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों का मनोबल बढ़ा है।
सहरसा में भी इसका असर दिख रहा है लेकिन सड़क पर एक ही अधिकारी दिखते हैं,जो चिंता का सबब है। सहरसा कोसी प्रमंडल का भी मुख्यालय है। यहाँ कोसी रेंज के डीआईजी सुरेश प्रसाद चौधरी भी तैनात हैं। सहरसा एसपी राकेश कुमार हैं। हमें उम्मीद थी कि राकेश कुमार बेहतर पुलिसिंग करेंगे और अच्छे लोगों की सोहबत में रहेंगे ।लेकिन वे पूर्वाग्रह से सने हुए हैं। अपने चश्मे नजर से वे व्यक्ति पहचान में लगातार चूकते रहे हैं।
लोगों और सड़े हुए पुलिस वालों के कहने से एक फर्जी मुकदमा उन्होंने हमपर भी करवा डाला है। हमें यह उम्मीद है कि उन्हें अपनी गलती का अहसास होगा और वे गलती सुधार कर न्याय स्थापन जरूर करेंगे। किसी व्यक्ति का मूल्यांकन उन्हें खुद के पैमाने से करना चाहिए। हमें तो अमूमन बड़े अधिकारी सड़क पर नहीं ही दिखते हैं। सहरसा एसपी को एक बेहतर कप्तान की भूमिका निभानी होगी ।अगर वे चाह लेंगे तो, सहरसा से अपराध जड़ से खत्म हो जाएगा।
बस वे मोनेटरिंग करें और कनीय पुलिस अधिकारियों सहित जवानों की हौसला अफजाई करते रहें। समय-समय पर तटस्थ और चरित्र सम्पन्न लोगों से राय-मशविरा लेते रहें। एसपी राकेश कुमार एक अच्छे अधिकारी हैं लेकिन उनके कार्य जनता को दिख नहीं पा रहे हैं। उन्हें जनता बीच आकर पुलिसिंग करनी होगी।आखिर में हम यह ताल ठोंककर कहते हैं कि पुलिस वाले अब सेवा की जगह सिर्फ नौकरी कर रहे हैं।
पीटीएन न्यूज ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट
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