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क्राइम कंट्रोल के लिए सीएम नीतीश का प्लान बी, गुप्तेश्वर पांडेय हीं क्यों बने बिहार के डीजीपी?

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क्राइम कंट्रोल के लिए सीएम नीतीश का प्लान बी, गुप्तेश्वर पांडेय हीं क्यों बने बिहार के डीजीपी?

सिटी पोस्ट लाइवः कौन बनेगा बिहार का नया डीजीपी ,इसको लेकर पिछले एक महीने से अटकलों का बाजार गर्म था. मीडियाकर्मी भी अपनी समझ के हिसाब से अलग अलग लोगों का नाम चला रहे थे. लेकिन अंदरखाने क्या चल रहा है, इसका अंदाजा आखिरी समय तक किसी किसी को नहीं था. राज्य सरकार ने डीजीपी की रेस में शामिल तमाम प्च्ै अधिकारियों के नाम की सूची यूपीएससी को भेंज दी थी.यूपीएससी ने राज्य सरकार की सूची में से जिन तीन अधिकारियों के नाम की सूची बनाई, उसकी भनक तक आखिरी समय तक किसी को नहीं लगने दी.दरअसल, सरकार एक ऐसे अधिकारी को डीजीपी बनाना चाहती थी जो कानून-व्यवस्था के उनके यूएसपी को बनाए रख सके. आम जनता को अपराध नियंत्रण के काम से जोड़ सके. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर पर 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पाण्डेय थे जो सरकार के शराबबंदी को सफल बनाने के लिए जन-जागरण अभियान चला रहे हैं जिन्होंने शराबबंदी को सफल बनाने के लिए चलाये जा रहे जन- जागरण अभियान को जन-आन्दोलन का रूप दे दिया है. लेकिन उनके हाथ बंधे थे क्योंकि उन्हें यूपीएससी की सूची से ही एक नाम चुनना था.जैसे ही न्च्ैब् बोर्ड की सूची में सबसे ऊपर श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय का नाम आया, सरकार के मन की बात हो गई.सरकार ने वगैर देर किये अपने पसंदीदा अधिकारी गुप्तेश्वर पाण्डेय को बिहार पुलिस की कमान सौंप दी. नीतीश कुमार को सरप्राइज देने के लिए जाना जाता है. फैसला चाहे राजनीतिक हो या प्रशासनिक हो लेकिन सीएम कई मौकों पर सरप्राइज देते रहे हैं

.उनकी योजना क्या है, किसी को इसकी भनक तक नहीं लगने दी. यहाँ तक कि राज्य के टॉप अधिकारी भी उनकी योजना से अनभिग्य थे. समय आया और आखिरी दिन बिहार के डीजीपी चयन के मामले में भी सीएम ने सबको सरप्राइज दे दिया. क्योंकि बिहार के नये डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का नाम मीडिया में बिलकुल नहीं चल रहा था.जो रेस में आगे थे पीछे हो गए और जो रेस में नहीं था, उसे सूबे का डीजीपी बना दिया. मीडिया में डीजीपी की रेस से बाहर किसी व्यक्ति को बिहार पुलिस का मुखिया नियुक्त करने के फैसले से जो सबसे बड़ा सवाल है वो यह है कि आखिर गुप्तेश्वर पांडेय हीं क्यों बनाए गये बिहार के डीजीपी? जाहिर है फैसला इतना सरप्राइज वाला है तो जवाब जानने की जिज्ञासा भी होगी. हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं सरकार के इस फैसले के पीछे क्या-क्या कारण हो सकते हैं. सीएम नीतीश कुमार नशामुक्ति, शराबंदी और अपराध को लेकर जिस कार्यशैली को जरूरत मानते हैं उस जरूरत में फिट होने वाले गुप्तेश्वर पांडेय का नाम संघ लोक सेवा आयोग की सूची में भी शीर्ष पर था. दरअसल राज्य के पुलिस महानिदेशक के चयन में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार संघ लोक सेवा आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका आ गयी थी जिसके कारण कुछ भी अनुमान लगाना कठिन था. राज्य से कुल 13 डीजी रैक के अधिकारियों की सूची भेजी गयी थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में केवल संघ लोक सेवा आयोग ने वैसे हीं पदाधिकारियों पर विचार किया जिनकी सेवा अवधि कम से कम दो वर्ष शेष थी. इसी आधार पर कई अधिकारी दौड़ से बाहर हो गये. संघ लोक सेवा आयोग ने जिन तीन अधिकारियों को डीजीपी बनाने के लिए राज्य सरकार को चुनकर भेजा उसमें गुप्तेश्वर पांडेय का नाम सबसे उपर था.

नीतीश कुमार को अपने पसंदीदा अधिकारी का नाम एक नंबर पर मिल गया .फिर क्या था सरकार ने उनके नाम पर अंतिम मुहर लगा दी. डीजी गुप्तेश्वर पांडेय अब बिहर के डीजीपी हैं और संभवत सरकार क्राइम कंट्रोल के प्लान बी पर अब काम शुरू करेगी. यानि शराबबंदी, नशामुक्ति की तर्ज पर बिहार को अपराध मुक्त करने के अभियान में भी आमलोगों की भूमिका तय की जाएगी. उस दौर में जब बिहार की कुछ घटनाओं के बारे में यह कहा जा रहा है कि बिहार में कानून का इकबाल खत्म हो गया है, विपक्ष लगातार हमलावर रहा है तो आमलोगों के बीच पुलिस और कानून व्यवस्था को लेकर यह धारणा खत्म करने और लोगों के बीच पुलिस पर भरोसा कायम करने के लिए गुप्तेश्वर पांडेय की भूमिका बेहद अहम हो सकती है और इसका बेहद शानदार अनुभव भी इनके पास है. क्राइम कंट्रोल के लिए विभिन्न पदों पर रहते हुए डीजी गुप्तेश्वर पांडेय ने कई प्रयोग किये हैं. उनके प्रयोग सार्थक परिणाम में परिवर्तित होते रहे हैं. लिहाजा यह भी एक बड़ी वजह है जिससे सरकार ने उनपर भरोसा जताया है. गुप्तेश्वर पांडेय का तीन दशकों का लंबा पुलिस करियर बेहद बेदाग रहा है. स्वभाव से सादगी सम्पन्न और सौम्य होते हुए भी अपराध और अपराधियों के प्रति बेहद सख्त रहे हैं. लेकिन तरीका थोड़ा अलग जरूर रहा है.सबसे बड़ी बात है कि गुप्तेश्वर पाण्डेय सरकार की शराबबंदी और नशामुक्तिअभियान को आगे बढ़ा रहे हैं.

इस अभियान में जिस तरह से बिहार की एक बड़ी आबादी को जोड़ा है वो ठीक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कल्पना के अनुरूप ही हैं. उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप गुप्तेश्वर पांडेय ने शराबबंदी और नशामुक्ति अभियान को सिर्फ कानून के भरोसे छोड़ने की बजाय आमलोगों में जागरूकता का अलख जगाया. महिलाओं, छात्र-छात्राओं, युवाओं समेत हर आयु वर्ग के लोगों को यह अहसास दिलाया कि नशे के खिलाफ इस बड़ी लड़ाई में उनकी भूमिका अहम है. अगर आपको याद हो तो सीएम नीतीश कुमार भी यही चाहते रहे हैं कि शराबबंदी और नशामुक्ति अभियान में आमलोगों को जोड़ा जाए इसलिए तो बिहार में बनी मानव श्रृंखला एक रिकार्ड है. सीएम नीतीश कुमार शराबबंदी और नशामुक्ति को लेकर आमलोगों के बीच जागरूकता को बड़ी जरूरत बताते रहे हैं. उनकी इस जरूरत को बेहद कुशलता पूर्वक पूरा किया है बिहार के नये डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने. उनको मिली यह नयी जिम्मेवारी को मिशन नशामुक्ति का इनाम भी कहा जा सकता है. बहुत हद तक संभव है कि बिहार के नये डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय क्राइम कंट्रोल को लेकर वही प्रयोग करेंगे जो उन्होंने नशामुक्ति अभियान में किया है. यानि बिहार को अपराध से मुक्त कराने के लिए अब आमलोगों की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी. बेहतर कानून व्यवस्था सरकार और पुलिस का काम नहीं बल्कि मिशन बनेगा. बहरहाल बिहार के नये डीजीपी अब गुप्तेश्वर पांडेय हैं, ‘ऑपरेशन सुशासन’ शुरू हो चुका है.

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