आखिर किसके दवाब में दल-बदल मामले में फैसला नहीं आया : योगेन्द्र प्रताप
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झाविमो के केन्द्रीय प्रवक्ता योगेन्द्र प्रताप ने कहा है कि जब 12 दिसम्बर, 2018 को ही दल-बदल मामले की अंतिम सुनवाई पूरी हो चुकी है तो फिर विधानसभा न्यायाधिरण द्वारा फैसले में देरी कई संशय पैदा कर रहा है। पहले तो भाजपा द्वारा अंजाम दिये गये इस सरेआम राजनीतिक डाका को लंबे समय तक खींचकर चार साल से अधिक का वक्त गुजार दिया गया और अब फैसले में एक क्षण की देरी का कोई औचित्य ही नहीं है। इसी प्रकार के टाल-मटोल रवैये को देखते हुए न चाहते हुए भी न्याय के मंदिर पर भी शंका हो जाता है। सवाल अहम है कि आखिर स्पीकर महोदय किसके दवाब पर अंतिम सुनवाई के 43 दिन बाद तक भी फैसला सुरक्षित रखे हुए हैं। यह एक महत्वपूर्ण व महज छह विधानसभा की लोकप्रिय जनता ही नहीं बल्कि पूरे राज्य का ज्वलंत मसला है। इस पर पूरे राज्य की जनता की नजरें टिकी हुई हैं कि लोकतंत्र के हत्यारों के साथ न्यायालय आखिर क्या सलूक करता है। सच्चाई को कितना भी छुपा लिया जाय परंतु वह सच ही रहता है, आज भी 2019 का झारखंड सरकार का जो कैलेण्डर है उसमें इन्हें झाविमो का ही विधायक बताया गया है। इसमें फैसला क्या आना है यह राज्य की जनता भी समझ रही है। मामले के पहले ही दिन व न्याय में की जा रही देरी ही इस बात का संकेत देने के लिए काफी है कि क्या फैसला होने वाला है। भाजपा जान रही है कि उसने तो खुलेआम लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई हैं, अगर एक प्रतिशत भी लोकतांत्रिक तरीके से कुछ हुआ होता तो भाजपा इस फैसले में विलंब कर इस कलंक को अपने माथे पर इतने वर्षो तक कभी नहीं रखती, इतनी राजनीतिक समझ एक अनाड़ी भी रखता है। भाजपा संवैधानिक संस्थाओं की आड़ में किसी तरह मामले को खींचकर टर्म पार करना चाहती है। राज्य की जनता भाजपा की हरकतों को देख रही है, आने वाला चुनाव में इसका माकूल जवाब देगी। झाविमो स्पीकर से अविलंब फैसला सुनाने की मांग करती है।
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