महफिल लूटने में माहिर हैं रामकृपाल यादव, गरीब का बेटा बनकर मुश्किल कर सकते हैं राजद की राह
सिटी पोस्ट लाइवः केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी नेता रामकृपाल यादव महफिल लूटने में माहिर हैं। मौन रहकर मुरीद बना लेने के हुनर के उस्ताद कहे जाते हैं। कम बोलते हैं और जब बोलते भी हैं तो कुछ ज्यादा नहीं बोलते लेकिन कम बोलकर बहुत बोल देने की कला कोइ उनसे सीख सकता है। यह तारीफ नहीं तार्रूफ है केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव का। ताजा मामला तो आप जानते हीं हैं। लालू यादव की बड़ी बेटी और राज्यसभा संासद मीसा भारती ने उनका हाथ काट लेने की हसरत खुल कर बयां की उम्मीद थी कि जवाब इससे ज्यादा तल्ख आएगा लेकिन रामकृपाल यादव जब बोले तो बस यही कहा कि बेटी है मीसा भारती, कोई बात नहीं हाथ काटना चाहे तो काट ले, उसको हमेशा आर्शिवाद दिया है कटे हाथ से भी देता रहूंगा। हां नसीहत जरूर दी मीसा भारती को कि शासक और सेवक का फर्क समझना चाहिए। दरअसल रामकृपाल यादव को जो करीब से जानते हैं उन्हें रामकृपाल यादव के इस बयान पर जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ। सियासत दान हैं रामकृपाल यादव, उस पार्टी से ताल्लुक रखते है जिस पार्टी को लालू का कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंदी कहा जाता है।
नदी के दो किनारे हैं राजद-बीजेपी मिल नहीं सकते कमाल देखिए की लालू के हनुमान बन कर रहने वाले राजद के राम जब विभिषण हुए तो दामन बीजेपी का थाम लिया। रामकृपाल यादव के ताजा बयान का जिक्र इसलिए भी कि चर्चा पाटलीपुत्रा लोकसभा सीट की भी हो जाएगी। क्योंकि मुंगेर की तरह यह सीट भी खासी चर्चा में है। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब लालू यादव ने मीसा भारती को पाटलीपुत्रा का टिकट थमा दिया तो रामकृपाल बागी हुए और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। रामकृपाल यादव 2004 का लोकसभा चुनाव यहां से जीत चुके थे 2009 में लालू यादव के लिए यह सीट छोड़ दी थी हांलाकि लालू यादव अपने हीं शार्गिद रंजन यादव के हाथों हार गये थे और 2014 में रामकृपाल यादव जब लड़े तो मीसा भारती को हराया। पाटलीपुत्रा लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं से पूछिए तो तो समझना आसान हो जाएगा कि की दरअसल उन्होंने मीसा भारती को सेवक और शासक का फर्क समझने की नसीहत क्यों दी। रामकृपाल यादव का एक राजनीतिक स्टाइल है। वे लोगों के लिए सुलभ हैं, मीडिया के लिए भी लेकिन मीडिया से ज्यादा बातचीत नहीं करते। राजनीतिक बयान नहीं देते हां आॅफ द रिकार्ड बात करने का मन हो तो कर लीजिए। सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव रहते हैं अपनी राजनीतिक सक्रियता और अपने काम का लेखा-जोखा पोस्ट करते रहते हैं। अगर आपने उनसे कोई शिकायत या मांग की है तो बहुत हद तक संभव है कि सोशल मीडिया पर उनके किसी पोस्ट में आपको जानकारी मिल जाएगी कि आपकी शिकायत या मांग का क्या हुआ? तो यह स्टाईल है रामकृपाल यादव का।
पटना से दिल्ली का सफर तय करने वाले रामकृपाल यादव क्षेत्र में भी काफी सक्रिय रहते हैं। पाटलीपुत्रा क्षेत्र के मतदाताओं की पसंद हैं और पसंद वोटों में तब्दील होती रही है यही वजह है कि जिस सीट से लालू हारे उस सीट को उन्होंने दो बार जीता है। मीसा भारती को हाथ काटने वाला उनका बयान भारी पड़ सकता है क्योंकि रामकृपाल यादव ने यह भी कहा है कि कुट्टी काटने वाला गरीब का बेटा होने पर मुझे गर्व है और अगर गरीब का बेटा और मीसा भारती के बयान को उन्होंने मुद्दा बनाया तो उनकी राह और आसान हो सकती है क्योंकि सियासत में सहानुभूति भी कभी-कभी बड़ा काम कर जाती है इसी देश में चाय वाला मुद्दा बना है और कितना बड़ा मुद्दा बना है आप जानत हीं है। अंत में फिर यह स्पष्ट करना ठीक होगा कि हमने रामकृपाल यादव की तारीफ नहीं की है बल्कि उनका तार्रूफ आपको बताया है।
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