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“विशेष” : जेल में बन्द पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के लिए बड़े आंदोलन की हुई शुरुआत

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“विशेष” : जेल में बन्द पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के लिए बड़े आंदोलन की हुई शुरुआत

सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : तत्कालीन गोपालगंज जिलाधिकारी जी.कृषनैया हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास के सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन अभी सहरसा जेल में बन्द हैं। वाकई एक गहरी राजनीतिक साजिश की वजह से उन्हें सलाखों के पीछे भेजा गया। साढ़े बारह साल से श्री मोहन जेल में बन्द हैं। हद तो इस बात की है कि बिहार में सत्ता का सुख भोग रहे नीतीश कुमार, जार्ज फर्नांडिश, सुशील मोदी सहित कई नेताओं ने आनंद मोहन को निर्दोष बताते हुए धरना भी दिया था। लालू प्रसाद यादव ने भी आनंद मोहन को निर्दोष बताते हुए कई बार तल्ख सियासी बयान दिए थे। लेकिन आनंद मोहन की राजनीतिक धरा के विपरीत होने की वजह से सारे तिलस्मी और चतुर नेताओं ने आनंद मोहन को राजनीति से दूर रखने की गरज से ऐसा ताना-बाना बुना की उन्हें सजा हो गयी। हम इस कड़ी में इस बात का उल्लेख करना भी लाजिमी समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में इनकी पैरवी भी ढ़ंग से नहीं हुई थी। पूर्व सांसद देश के इकलौते ऐसे नेता हैं जिन्हें पूरा देश जानता है। सर्वसमाज के इस इकलौते नेता का जनाधार देश के सभी राज्यों में है। लेकिन राजनीतिक साजिश और षड्यंत्र बेहद खराब होती है।

आनंद मोहन राजनीतिक चक्रव्यूह के शिकार होकर जेलपोश हो गए। अब उनकी सजा भी लगभग पूरी हो गयी है। वैसे राज्य सरकार चाहती, तो वे एक-डेढ़ साल पहले ही जेल से आजाद हो चुके होते ।लेकिन सत्ता सुख के लालची भेड़िए इन्हें जेल से निकालने में किसी तरह की रुचि नहीं दिखाई। गौरतलब है कि आनंद मोहन जब जेल से बाहर आएंगे,तो कितने राजनेताओं की भद पिट जाएगी और कितने नेताओं की राजनीतिक दुकान बंद हो जाएगी। पूर्व सांसद आनंद मोहन के सहरसा के पंचगछिया पुश्तैनी घर पर महात्मा गांधी भी जा चुके हैं। स्वतंत्रता संग्राम में आनंद मोहन के दादा राम बहादुर सिंह का अभूतपूर्व योगदान रहा है। उस समय आनंद मोहन की दादी ने कई किलो सोना-चांदी और हीरे-जवाहरात गांधी जी को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए खुलकर और सहर्ष दान किये थे। बाद के वर्षों में आनंद मोहन के घर पूर्व उप राष्ट्रपति दिवंगत भैरो सिंह शेखावत, पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत चंद्रशेखर, वर्तमान सूबे के मुखिया नीतीश कुमार, शरद यादव सहित कई चोटी के नेता जा चुके हैं।

यही नहीं देश के लगभग सभी शीर्ष नेताओं से इनकी निकटता रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के भी ये बेहद करीबी रहे हैं। तमाम श्रेष्ठ कद रहने के बाबजूद, आनंद मोहन जब राजनीतिक मकड़जाल में उलझाए गए, तो निकलने के सारे रास्ते ही बन्द हो गए ।अब जब उनकी सजा भी लगभग पूरी हो गयी है, लेकिन उनकी रिहाई के लिए राज्य सरकार कहीं से भी उत्सुक नहीं दिख रही है ।ऐसे में आनंद मोहन समर्थकों ने उनकी सकुशल रिहाई के लिए महा आंदोलन का विगुल फूंक दिया है। महा आंदोलन की इस कड़ी में आनंद मोहन समर्थकों ने बिहार के बाढ़ से भूख हड़ताल के माध्यम से आनंद मोहन की सकुशल रिहाई के लिए आंदोलन का शंखनाद किया है। बीते 16 जनवरी से बाढ़ के ए.एन.एस.कॉलेज परिसर में आनंद सत्याग्रह के बैनर तले सौरभ सागर सिंह के नेतृत्व में आमरण अनशन की शुरुआत हुई है। यह आमरण अनशन फेज वाईज लगातार चलेगा।

सात दिनों तक एक जत्था आमरण अनशन पर बैठेगा, फिर उसके बाद दूसरा, तीसरा और यह अनशन लगातार तबतक चलता रहेगा, जबतक आनंद मोहन की ससम्मान रिहाई की घोषणा नहीं हो जाती है। अभी सौरभ सागर सिंह के साथ दीपराज सिंह, दीपक सिंह, शहंशाह सिंह, निसित सिंह और अभिनव सिंह राजेश भूख हड़ताल पर विगत 16 जनवरी से बैठे हैं लेकिन अनशन स्थल पर ना तो मैजिस्ट्रेट की तैनाती है और ना ही सुरक्षा का कोई इंतजाम है। हद तो यह है कि अभीतक प्रशासन के कोई अधिकारी या कोई कारिंदा तक अनशन स्थल पर नहीं पहुँचा है। यानि कोई अनशनकारी अनशन स्थल पर मर भी जाये, तो इससे प्रशासन को कोई लेना-देना नहीं है। इधर सहरसा जेल में बन्द आनंद मोहन से हमारी मुलाकात हुई जिसमें उन्होंने कहा कि बाढ़ में चल रहे आमरण अनशन पर बैठने के लिए कोसी इलाके से सिलसिलेवार ढ़ंग से अनशनकारियों का जत्था जाएगा।

बिहार के अन्य जिलों से भी उनके समर्थक बाढ़ पहुंचेंगे। यही नही उनकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद और पुत्र चेतन आनंद भी बाढ़ पहुंचकर अनशनकारियों की हौसला आफजाई करेंगे। बातचीत के दौरान पूर्व सांसद आनंद मोहन ने बताया कि आगामी 28 जनवरी को उनका जन्मदिन है और उस दिन उनके समर्थकों ने फैसला लिया है कि बिहार के सभी जिला मुख्यालय पर महाधरना का आयोजन करेंगे। यानि आनंद मोहन की रिहाई के लिए अब आनंद मोहन समर्थकों की बुलेट ट्रेन चल पड़ी है। अब आनंद समर्थक बिना आनंद मोहन की ससम्मन रिहाई की घोषणा कराये, किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं होंगे। देर से ही सही लेकिन आनंद मोहन समर्थकों की नींद पूरी तरह से अब टूट चुकी है। आगे यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार इस अनवरत चलने वाले आंदोलन से कितना पिघलते हैं। वैसे सभी को यह मालूम है कि नीतीश कुमार पत्थर दिल इंसान हैं।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट

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