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“विशेष” : दरभंगा में नहीं बनेगा एम्स, सहरसा में एम्स निर्माण की उम्मीद को लगे पंख

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“विशेष” : दरभंगा में नहीं बनेगा एम्स, सहरसा में एम्स निर्माण की उम्मीद को लगे पंख

सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : बीते कई महीनों से कोसी के सहरसा में एम्स निर्माण के लिए विभिन्य तरीके से संघर्ष और आंदोलन किये जा रहे हैं। चरणबद्ध भूख हड़ताल जारी था लेकिन कुछ वजहों से इस आंदोलन को स्थगित कर दिया गया। राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को यह भली-भांति जानकारी है कि कोसी का इलाका अत्यंत पिछड़ा है, जहां गरीबी, बीमारी, बेकारी और मजबूरी कुलाचें भरती हैं। कोसी की बाढ़ इस इलाके को हर साल भारी नुकसान अलग से पहुंचाती है। ससमय समुचित ईलाज के अभाव में हर साल इस इलाके के हजारों लोगों की मौत हो जाती है। कोसी के पीएमसीएच कहे जाने वाले सदर अस्पताल में आंख, कान, नाक, दांत और हड्डी के डॉक्टर इमरजेंसी संभालते हैं। यही नहीं इस अस्पताल में स्वीपर सर्जन की भूमिका निभाते हैं। मामूली सी बीमारी में भी मरीज को डीएमसीएच और पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है। मूलतः यह अस्पताल जानलेवा और रेफर करने वाला अस्पताल का शक्ल अख्तियार किये हुए है। ऐसे में एम्स का निर्माण इसी इलाके में होना सही है। हद बात तो यह है कि एम्स निर्माण के लिए सहरसा सारे मानक और कसौटी को पूरा करता है।

217 एकड़ भूमि की माँपी और अधिग्रहण सम्बंधित लिखित जानकारी जिला कलेक्टर के द्वारा राज्य सरकार को सौंपी जा चुकी है। खगड़िया के लोजपा सांसद महबूब अली कैसर ने सहरसा में एम्स का निर्माण हो,इसके लिए केंद्रीय मंत्री जे.पी.नड्डा को पत्र भी लिखा है। यही नहीं इस मसले को वे गम्भीरता से लोकसभा में भी उठाने वाले हैं। मोबाइल पर हमसे बात करते हुए संसद महबूब अली कैसर ने कहा कि एम्स का निर्माण सहरसा में हो, इसके लिए वे लोकसभा के बाहर धरने पर भी बैठेंगे। यहाँ यह उल्लेख करना बेहद लाजिमी है कि चुनावी दांव-पेंच में यह सूचना प्रसारित कराई गई कि एम्स का निर्माण दरभंगा में होना तय हो गया है। इस अफवाह को खारिज करने के लिए कोसी इलाके में विभिन्य संगठनों के अलावे आम लोग सड़कों पर उतरकर विभिन्य तरह से आंदोलन करने लगे और यह आंदोलन अनवरत जारी है। उधर दरभंगा वासी भी एम्स निर्माण का सपना देखने लगे थे। बिहार सरकार ने दरभंगा को नामित करते हुए एम्स निर्माण के लिए उपयुक्त जगह बताते हुए, अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी। केंद्रीय स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने केंद्रीय टेक्निकल टीम को दरभंगा भेजा था।

टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में दरभंगा में एम्स निर्माण नहीं होने के सारे वास्तविक कारणों का जिक्र करते हुए अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर जे.पी.नड्डा ने बिहार सरकार को पत्र लिखकर यह बता दिया है कि दरभंगा में एम्स का निर्माण नहीं हो सकता है। सच में,दरभंगा वासियों का सपना एक झटके में चकनाचूर हो गया है।जाहिर तौर पर बिहार सरकार दरभंगा में एम्स निर्माण के पक्ष में थी लेकिन केंद्र के इस फैसले से बिहार सरकार के प्रयास को तगड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार की ओर से डीएमसीएच परिसर में एम्स बनाने की सिफारिश को केन्द्र सरकार ने नामंजूर कर दिया है। केन्द्र ने स्पष्ट कहा है कि डीएमसीएच परिसर को एम्स के तौर पर विकसित करना मुश्किल है। केंद्र ने बिहार सरकार से अल्प अवधि के दौरान एम्स निर्माण के लिए कोई अन्य जगह का प्रस्ताव फिर से मांगा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्‌डा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी जानकारी लिखित तौर पर दी है। राज्य सरकार के आग्रह पर डीएमसीएच में केन्द्र से एक टेक्निकल टीम भेजी गई थी। टेक्निकल टीम की रिपोर्ट के अनुसार डीएमसीएच में एम्स का निर्माण शुरू नहीं हो सकता है।

टेक्निकल टीम के रिपोर्ट के मुताबिक डीएमसीएच परिसर में AIIMS बनाना इसलिए संभव नहीं है कि डीएमसीएच निचले इलाके में स्थित है, जिससे बाढ़ और बरसात के दिनों में दिक्कत होगी। डीएमसीएच चार ब्लॉक में बंटा है और कैंपस के बीच से ही पब्लिक रोड गुजर रही है। कॉलेज का एक हिस्सा रेलवे लाईन की दूसरी ओर है। ऐसे में पब्लिक रोड को डायवर्ट करना और रेलवे लाईन की दूसरी ओर की भूमि को ओवरब्रिज से जोड़ना होगा ।लेकिन यह पूरा ईलाका हेरिटेज है। लिहाजा, यहां की बिल्डिंग को तोड़ना मुश्किल है। डीएमसीएच कैंपस में अतिक्रमण इतना ज्यादा है कि उसे हटाने में ही बहुत समय लग जाएंगे। यहाँ के करीब-करीब सभी ब्लॉक एम्स के मानक के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में इन्हें तोड़कर नए सिरे से बनाना होगा, जो की कतई आसान नहीं है। हॉस्पिटल, हॉस्टल, बैंक, पोस्ट ऑफिस और पुलिस पोस्ट, सभी को यहाँ से अन्यत्र शिफ्ट करना भी बेहद कठिन है।

यहाँ के डाॅक्टर्स और स्टॉफ को भी दूसरी जगह शिफ्ट करना मुश्किल है। इन कमियों को पूरा करने में बहुत वक्त लगेगा। वित्तीय वर्ष- 2015-16 में केन्द्र ने बिहार में एक और एम्स बनाने की घोषणा की थी। करीब तीन वर्ष बीतने के बाद भी कोई निश्चित जगह अभीतक तय नहीं हो पाई है। बिहार सरकार द्वारा DMCH में AIIMS बनाने का प्रस्ताव भेजे जाने के, तुरन्त बाद से, दरभंगा के नेताओं में इस उपलब्द्धि का क्रेडिट लेने की होड़ सी मच गयी थी। अब सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। बिहार सरकार ने सहरसा से उपलब्ध कराई गई भूमि उपलब्धता सहित अन्य जानकारियों को मिलाकर कोई रिपोर्ट तैयार नहीं किया है। अब सरकार की विवशता है कि आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए त्वरित गति से एम्स निर्माण के लिए नए स्थल का रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजे।

ऐसे में सरकार के पास फिलवक्त सिर्फ सहरसा से उपलब्ध कराई गई जानकारी मौजूद है। ऐसे में यह संभावना काफी प्रबल है कि बिहार सरकार सहरसा में एम्स निर्माण हो, इसके लिए रिपोर्ट तैयार कर के केंद्र सरकार को भेजे। मोटे तौर पर कोसी वासियों की यह पहली जीत है कि दरभंगा में एम्स निर्माण के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। अचानक एम्स निर्माण के लिए आंदोलनरत सहरसा के विभिन्य संगठनों को असीम ऊर्जा मिली है। लोगों को उम्मीद है कि राज्य सरकार कोसी के लोगों के उम्मीद और आस को नहीं तोड़ेगी। राज्य सरकार,केंद्र सरकार को सहरसा में एम्स निर्माण हो,इसके लिए नए सिरे से रिपोर्ट बनाकर भेजेगी। जाहिर तौर पर सहरसा में एम्स निर्माण हो,इसके लिए उम्मीद की किरण जगी है। आगे यह देखना बेहद जरूरी है कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार, जो कोसी इलाके को पहले से सुंदर कोसी बनाने के दावे करते रहते हैं, वे कोसी की कितनी सार्थक चिंता करते हैं।आखिड़ी सच यह है कि कोसी का विकास उनके राजनीतिक लक्ष्य की पूर्ति के लिए कितना कारगर साबित होगा, इसी आकलन पर नीतीश कुमार कोई फैसला लेंगे।

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट

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