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“विशेष” : इंसानियत अभी जिंदा है,एक बिहारी बना फिर से नजीर

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“विशेष” : इंसानियत अभी जिंदा है,एक बिहारी बना फिर से नजीर

सिटी पोस्ट लाइव : एक तरफ जहां रफ्तार से भरी जिंदगी फ्लाईओवर और कोलतार की सड़कों पर भागती और हवाओं में उड़ती रहती है,वहीं जिंदगी के असल फलसफे से उसका कभी साक्षात्कार नहीं हो पाता है. ऐसे आलम में,आज सहरसा के बलवा हाट ओपी क्षेत्र के शंकरपुर गाँव के रहने एक युवा ने मिलन कुमार सिंह ने इंसानियत की अजीम पटकथा लिख डाली ।उदय प्रताप सिंह के बेटे मिलन कुमार सिंह झारखण्ड के देवघर में एक एनजीओ NEEDS में काम करते हैं ।वे जनसाधारण एक्सप्रेस से अपने घर आ रहे थे.उन्हें 75 वर्षीय एक बुजुर्ग बरौनी स्टेशन पर मिले,जो उड़ीसा से भटककर बिहार आ गए थे. उड़िया के अलावे बेचारे इस बुजुर्ग को कोई भाषा नहीं आती है. मिलन ने उनसे बात करनी चाही लेकिन उड़िया नहीं जानने की वजह से मिलन कुछ नहीं समझ पाये.

बुजुर्ग के पास उनका आधार कार्ड भी था लेकिन उड़िया में सभी कुछ लिखे होने के कारण कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था ।लेकिन बड़ी बात यह हुई कि मिलन उड़ीसा के एक एनजीओ ओडिसा कॉलिंग फाउंडेशन में कार्य कर चुके थे ।वहां के एनजीओ अधिकारी के नम्बर उसके पास मौजूद थे ।उन्होंने वहां के अधिकारी से बात की और बुजुर्ग के आधार कार्ड को उनके ह्वाट्स एप पर भेजा ।फिर इस बुजुर्ग को मोबाइल पर उनसे बात करवाई ।बड़ी मशक्कत के बाद,इनका नाम ज्ञानधर नायक के रूप में सामने आया है ।75 वर्षीय ये बुजुर्ग उड़ीसा के बालेश्वर जिले के साजनपुर पंचायत के केसपुर रोड गाँव के रहने वाले हैं ।वहां के वार्ड सदस्य विजय कुमार मोहंती से भी बात हो चुकी है.सारा कुछ अब साफ हो गया है ।मिलन कुमार इस बुजुर्ग को सहरसा लाकर जीआरपी को सुपुर्द कर दिए हैं ।इनके खाने-पीने का सारा खर्चा मिलन कुमार ने उठाया है.

इनके रहने की व्यवस्था भी करवा दी गयी है. दो दिनों के बाद वार्ड सदस्य विजय कुमार मोहंती,बुजुर्ग के परिजन के साथ सहरसा आ रहे हैं ।फिर बुजुर्ग अपने परिजनों के साथ अपने गाँव लौट जाएंगे. आज के इस घोर कलयुग में एक बुजुर्ग की इतनी चिंता और मदद,बात कुछ हजम नहीं हो रही है ।लेकिन यह सच है,जिसमें असली हिंदुस्तान और असली इंसान होने की तासीर और तस्वीर दोनों एकसाथ दिख रही है. आज के समय में ऐसी सच्चाई भरी खबर अखबारों की सुर्खियां और टीवी चैनल के हेडलाइन्स बनने चाहिए ।लेकिन ऐसा होता नहीं है ।उड़ीसा में बिहारियों पर जुल्म ढ़ाए जाते हैं . लेकिन एक बिहारी युवा,उम्र की आखिरी दहलीज पर खड़े एक बुजुर्ग का तारणहार निकला ।सही में भारतीय संस्कृति का असल बीज और शक्ल है जिसे विभिन्य धर्म गुरुओं और राजनेताओं ने बिगाड़ दिया है ।सिटी पोस्ट लाइव परिवार बुजुर्ग की सलामती के साथ-साथ मिलन कुमार सिंह के इस नागरिक कर्तव्य को सेल्यूट करता है.

पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट

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