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आंध्र प्रदेश की मछलियां खानेवाले हो जायें सावधान, हो सकते हैं कैंसर के मरीज

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आंध्र प्रदेश की मछलियां खानेवाले हो जायें सावधान, हो सकते हैं कैंसर के मरीज

सिटी पोस्ट लाइव : मछली खाने के शौक़ीन लोगों के लिए एक जरुरी खबर है. अगर आप आंध्र प्रदेश से आई मछली खाते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरुरी है. आन्ध्र प्रदेश की मछलियों के खाने से कैंसर होने का खतरा बढ़ गया है. पहले भी 30 सितंबर को भी ऐसी खबरे आ रही थी कि बिहार में आंध्र प्रदेश से आनेवाली मछलियों की बिक्री पर राक लगाई जाएगी. लेकिन उस वक्त सरकार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया. तय था की 1 अक्टूबर से इनकी सेलिंग बिहार में बंद हो जाएगी. लेकिन इस बार सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. स्वास्थ्य विभाग बुधवार को इसका औपचारिक एलान कर सकता है.

कल बुधवार 9 जनवरी से बिहार में आंध्र प्रदेश से आने वाली मछली की बिक्री पर रोक लग जाएगी. ऐसा बताया जा रहा है कि आंध्र प्रदेश से आने वाली मछलियों के खाने से कैंसर होने का खतरा बढ़ रहा है जिसे लेकर सरकार ने वहां कि मछलियों की बिक्री पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है. स्वास्थ्य विभाग बुधवार को इसका औपचारिक एलान कर सकता है.

गौरतलब है कि सितंबर में आंध्र से आनेवाली मछलियों की लैब टेस्टिंग भी कराई गई थी. उस समय बिहार के पशु व मत्‍स्‍य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा था कि आंध्र प्रदेश से बिहार आ रही मछलियों के खाने से कैंसर का खतरा बढ़ गया है. मंत्री पारस ने एक अक्‍तूबर से बिहार में आंध्र प्रदेश से आने वाली मछली की बिक्री पर रोक लगाने का संकेत दिया था लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया. दरअसल, पूरा मामला यह है कि आंध्र प्रदेश से बिहार आने वाली मछलियों में केमिकल फार्मेलिन पाया गया है. केमिकल फार्मेलिन का इस्‍तेमाल आंध्र प्रदेश के मछली कारोबारी मछलियों को अधिक दिनों तक प्रीजर्व रखने के लिए कर रहे हैं. लेकिन यह केमिकल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. आंध्र प्रदेश से बिहार में मछलियों को लाने में सड़क मार्ग से कई दिन लग जाते हैं. ऐसे में, इसे प्रीजर्व रखने को केमिकल फार्मेलिन का प्रयोग किया जा रहा था.

बिहार सरकार को मछली में केमिकल फार्मेलिन के प्रयोग की शिकायतें मिली थीं. यह फार्मेलिन हमारे–आपके भीतर कैंसर रोग की संभावनाओं को जन्‍म देता है. जानकारी के बाद फार्मेलिन के माध्‍यम प्रीजर्व कर आंध्र प्रदेश से बिहार लाई जा रही मछलियों को लैब टेस्टिंग के लिए कोलकाता और सीएफआरआई की कोचीन लैबोरेटरी में भेजा गया.लैब टेस्टिंग की रिपोर्ट में मिली रिपोर्ट में शिकायतें सही पाई गईं हैं.

गौरतलब है कि बिहार में  प्रतिवर्ष 6.42 लाख टन मछली की खपत होती है. साल 2017–2018 में खपत 5.87 लाख टन था . जानकारी के मुताबिक इनमें से कोई 50 हजार से 60 हजार टन मछली सीधे आंध्र प्रदेश से आती है. आंध्र प्रदेश से बिहार आने वाली मछली का कारोबार भी अरबों का है. डॉक्टर भी आन्ध्र प्रदेश की मछली खाने से परहेज करने की सलाह दी है.

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