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जेडीयू बोली-‘राम मंदिर पर जेडीयू के स्टैंड के साथ खड़े हुए पीएम मोदी, पीएम ने दिया है यह बयान

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जेडीयू बोली-‘राम मंदिर पर जेडीयू के स्टैंड के साथ खड़े हुए पीएम मोदी, पीएम ने दिया है यह बयान

सिटी पोस्ट लाइवः मंदिर मुद्दा 2019 से पहले एक बार फिर देश की सियासत के केन्द्र में है। एक तरफ नयी दोस्ती में भी जेडीयू का स्टैंड वही पुराना है कि मंदिर पर फैसला या तो कोर्ट करेगी या फिर आपसी सहमति से होगा। जबकि शिवसेना जैसे सहयोगी और वीएचपी और आरएसएस जैसे संगठन राम मंदिर पर सरकार से कानून लाने की मांग करते रहे हैं। राम मंदिर को लेकर पीएम का एक ताजा बयान सामने आया है जिससे मंदिर मुद्दे को लेकर राजनीति फिर गरमाती नजर आ रही है। साल के पहले दिन एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा कि राम मंदिर पर जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक सरकार किसी दूसरे रास्ते के बारे में नहीं सोंच सकती।

दरअसल पीएम मोदी से राम मंदिर को लेकर अध्यादेश लाने संबंधी सवाल पूछा गया था। पीएम के ताजा बयान के बाद सधे शब्दों में हीं सही लेकिन जेडीयू अपनी पीठ जरूर थपथपा रही है। जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि पीएम मोदी के बयान से साफ है कि वे राम मंदिर पर जेडीयू के स्टैंड के साथ खड़े हैं। जेडीयू का पहले से यह स्टैंड रहा है कि मंदिर पर फैसला या तो कोर्ट करेगी या आपसी सहमति से होगा, पीएम का ताजा बयान जेडीयू के इसी स्टैंड पर मुहर लगाता है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर को लेकर अकेले कोई एक दल फैसला नहीं ले सकता। तो फिर क्या सवाल नहीं उठता कि जब फैसला कोर्ट से हीं होना है तो फिर बीजेपी के बड़े नेताओं और केन्द्र सरकार के मंत्रियों की ओर से आने वाले उन बयानों का क्या मतलब है जिसमें यह दावा होता है कि मंदिर वहीं बनाएंगे। जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले और आपसी सहमति के अलावा कोई तीसरा विकल्प है हीं नहीं तो फिर उन बयानों और उन दावों का क्या मतलब है? उधर राम मंदिर पर विश्व हिन्दु परिषद और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ बीजेपी की नयी मुश्किल है। आरएसएस के सर कार्यवाहक भैयाजी जोशी पहले कह चुके हैं कि राम मंदिर पर सरकार को कानून लाना चाहिए, वहीं वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि अगर राम मंदिन के निर्माण का कानून पास नहीं हुआ तो 2019 के लोकसभा चुनाव में सरकार लोगों का गुस्सा झेलना पड़ सकता है।

वहीं सहयोगी शिवसेना नें भी मंदिर नहीं तो सरकार नहीं का नारा देकर बीजेपी और केन्द्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। दरअसल राम मंदिर को लेकर बीजेपी और केन्द्र सरकार पर दोहरा दबाव है। एक तरफ जेडीयू और एलजेपी जैसे सहयोगी लगातार यह कहते रहे हैं कि मंदिर पर फैसला या तो कोर्ट करेगी या आपसी सहमति से होगा। जबकि आरएसएस और वीएचपी जैसे संगठन राम मंदिर को लेकर केन्द्र सरकार पर कानून बनाने का दबाव बनाते रहे हैं। सहयोगी शिवसेना भी मंदिर पर कानून के पक्ष में है जाहिर है इस दोहरे दबाव में बीजेपी पीस रही है और राम मंदिर पर पीएम के नये स्टैंड के बाद यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि क्या जेडीयू और एलजेपी जैसे सहयोगियों का दबाव आरएसएस, वीएचपी और शिवसेना के दबाव पर भारी पड़ गया है क्योंकि खुल नहीं सही लेकिन सधे शब्दों में जेडीयू अपनी पीठ जरूर थपथपा रही है।

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