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राजनीतिक हत्याओं के दौर में पनाह मांग रही जिंदगी, आम और खास सबको निशाना बना रहे अपराधी

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राजनीतिक हत्याओं के दौर में पनाह मांग रही जिंदगी, आम और खास सबको निशाना बना रहे अपराधी

सिटी पोस्ट लाइवः क्या बिहार की गाड़ी पटरी से उतर गयी है? क्या डबल इंजन की सरकार में भी सुशासन की रेल डिरेल हो गयी है? रोज पनपते इन सिलसिलेवार सवालों की अपनी एक वजह है। वजह यह है कि सुशासन वाले बिहार में सुशासन खुद एक सवाल है। सवाल यह कि जिस सूबे में लगातार हत्याएं हो रही हों क्या सुशासन यहां छलावा नहीं है? बिहार में राजनीतिक हत्याओं के दौर में जिंदगी पनाह मांग रही है। आम और खास सबको अपराधी निशाना बन रहे हैं। कल पटना में एक बड़े व्यवसायी गोपाल खेमका के पुत्र गुंजन खेमका की हत्या कर दी गयी। वे बीजेपी के नेता भी थे। इस वारदात के बाद से जहां व्यवसायी वर्ग के बीच भय का माहौल है तो वहीं उनके मन में पुलिस प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भी. इसी को लेकर हत्या के विरोध में आज शुक्रवार को पटना की सर्जिकल दुकानें बंद रहेंगी. दवा व्यवसायियों ने गुंजन खेमका की हत्या की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है.बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने बयान जारी कर कहा है कि इस घटना से व्यापारियों में दहशत है. वहीं हत्या के विरोध में आज पटना की सभी सर्जिकल दुकानें बंद रहेंगी.  इसके पहले कई दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं को गोलियों से भून दिया। ऐसे तो बिहार में अपराधियों के निशाने पर व्यवसायी, ठेकेदार और नौकरीशुदा समेत हर तबका है, लेकिन हाल में बिहार में राजनीतिज्ञों की हत्या का सिलसिला चल पड़ा है.प्रदेश में हर रोज औसतन 7 हत्याएं हो रही हैं, लेकिन हाल के महीनों की बात कर लें तो सूबे में राजनितिक पृष्ठभूमि से जुड़े कई लोगों को अपराधियों ने अपना निशाना बनाया है और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी है.

नेताओं के हत्या की शुरुआत इसी साल पटना में हुई थी जब 12 मई को राजद नेता दीनानाथ सहनी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसी साल 6 जुलाई को नवादा में राजद नेता कैलाश पासवान की गोली मारकर हत्या कर दी गई तो 16 जुलाई को सीवान में रालोसपा के संजय साह को अपराधियों ने गोली से छलनी कर दिया. अगस्त महीने की 13 तारीख को वैशाली में रासोलपा के ही मनीष सहनी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. अगस्त महीने की 27 तारीख को भोजपुर में माले नेता रमाकांत राम की गोली मारकर हत्या की गई तो 14 सितंबर को गोपालगंज में जेडीयू के नेता उपेन्द्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. बिहार के ही मुजफ्फरपुर में वहां के पूर्व मेयर समीर कुमार जो कि कांग्रेस के नेता भी थे कि 24 सितंबर को गोली मारकर हत्या कर दी.इस घटना को लेकर प्रदेश की राजनीति में उबाल ही आया था कि पटना में ही 14 नवंबर को रालोसपा के नेता अमित भूषण की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

नवंबर में ही 30 तारीख को प्रमोद कुशवाहा की हत्या कर दी गई वो रालोसपा के पू्र्वी चंपारण के नेता थे. बड़ी लंबी फेहरिस्त है उन नेताओं और कार्यकर्ताओं की जो अपराधियों का निशाना बने और अपनी जान गंवाई। विडम्बना यह है कि यकीन करना भी चाहें सरकार और पुलिस महकमें के उस दावे पर जिसमें कहा जाता है कि यहां कानून का राज है तो घटनाएं यकीन नहीं करने देती। जैसे हीं कोई जिंदगी किसी अपराधी की गोली से दम तोड़ देती है वैसे हीं यह यकीन भी दम तोड़ देता है कि बिहार में काननू का राज है।

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