रालोसपा के अंदर खुला उपेन्द्र कुशवाहा के खिलाफ मोर्चा, NDA के साथ जाने के पक्ष में कई नेता
सिटी पोस्ट लाइव : BJP पर ज्यादा सीटें देने के लिए दबाव बनाने में बिफल रालोसपा सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए हैं. उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने सिटी पोस्ट लाइव के साथ जो अपना विचार शेयर किया है, वह बड़ा ही हंगामेदार है. इस नेता का कहना है कि BJP पर सम्मान नहीं देने का उनके नेता उपेन्द्र कुशवाहा का आरोप निराधार है. उनका कहना है कि रामविलास पासवान की पार्टी के 6 सांसद हैं.लेकिन मंत्री केवल पासवान बने हैं. यानी 6 सांसद वाली पार्टी को केवल एक मंत्री पद मिला है. दूसरी तरफ 3 सांसद वाले उपेन्द्र कुशवाहा को मोदी ने मंत्री बना दिया. इतना ही नहीं, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया. अरुण कुमार के पार्टी छोड़ देने के बाद भी यानी महज 2 सांसद की पार्टी होने के वावजूद कुशवाहा मंत्री बने हुए हैं.
गौरतलब है कि उपेन्द्र कुशवाहा डेटलाइन ख़त्म हो जाने के वावजूद BJP की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिलने से गंभीर संकट में फंस गए हैं. अब वो सीधे सीधे प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर निशाना साधने लगे हैं. लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी के इस वरिष्ठ नेता का कहना है कि उपेन्द्र कुशवाहा अपनी दुर्गति कराने पर आमादा हैं. उनका कहना है कि अब न तो उन्हें BJP में सम्मान मिलनेवाला है और ना ही महागठबंधन में. उनका कहना है कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी की बराबरी पर बैठने वाले और महीने में एकबार PM मोदी से मुलाकात करने का मौका पानेवाले उपेन्द्र कुशवाहा को महागठबंधन में जाने के बाद तो तेजस्वी यादव के पीछे खड़ा होना पड़ेगा. इस रालोसपा नेता का कहना है कि जो हाल आज महागठबंधन में जीतन राम मांझी की है, वहीं हाल उपेन्द्र कुशवाहा का महागठबंधन में होनेवाला है. अब वो वो महागठबंधन के साथ भी मोलभाव करने की स्थिति में नहीं हैं. अब उपेन्द्र कुशवाहा बाज़ार की उस हरी शब्जी की तरह हो गए , जिसकी कोई कीमत नहीं मिलती. खरीददार की मर्जी पर उसका भविष्य निर्भर करता है.
सबसे ख़ास बात ये है कि रालोसपा के ये नेता खुद लोक सभा चुनाव लड़ने के सबसे बड़े दावेदार हैं. लेकिन वो अपनी दावेदारी छोड़ने को भी तैयार हैं, बशर्ते कुशवाहा NDA में बने रहें. इस रालोसपा नेता का कहना है कि उन्होंने उपेन्द्र कुशवाहा को भी NDA में बने रहने की सलाह दी है. उनका कहना है कि लोक सभा चुनाव की दो स्टें ही सही, विधान सभा चुनाव में अपना हक़ ले लेगें. रालोसपा नेता के इस स्टैंड से यह साफ़ है कि अगर उपेन्द्र कुशवाहा महागठबंधन में जाते हैं तो उनकी पार्टी में टूट तय है.
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