विश्वविद्यालय ने जारी किया फरमान, गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं दे सकते एक्जाम
सिटी पोस्ट लाईव : बिहार सरकार जहाँ शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने पर जोर दे रही है, वहीं दुसरी तरफ मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय फरमान पर फरमान जारी करने पर तुला हुआ है. एक तरफ सरकार समतामूलक समाज के निर्माण के लिए प्रयासरत है, वही शिक्षा से इस कोढ़ को हटानेवाला विभाग ही ऐसे फरमान जारी कर रहा है. हालिया मामला भीमराव अम्बेडकर , बिहार विश्वविद्यालय से जुड़ा हुआ है. विश्वविद्यालय ने नया फरमान जारी करते हुए छात्र-छात्राओं को दिशा-निर्देश दिया है कि वैसे छात्र परीक्षा में नहीं बैठ सकते जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं.
ताजुब कि बात तो यह है की यह घटना उस कॉलेज कि है जिसका निर्माण ही छुआछूत के अंतर को मिटानेवाले भीमराव अम्बेडकर के नाम पर हुआ है. अधिकारियों के इस फरमान से स्नातक थर्ड पार्ट के परीक्षार्थी परेशान हैं. इसे लेकर संस्थान में हडकंप मचा हुआ है. छात्र-छात्राएं काफी परेशान हैं. उन्हें नही सूझ रहा कि वे क्या करे. फरमान में कहा गया है कि ऐसे विधार्थियों के कारण दुसरे छात्रों को भी बीमारी हो सकती है. यह अन्य छात्रों के लिए काफी हानीकारक है. हालांकि किस बीमारी के लिए यह मापदंड तय किया गया है यह स्पष्ट नहीं है.
लेकिन छात्र इस बात से परेशान हैं कि अगर उन्हें किसी बीमारी के कारण परीक्षा से वंचित कर दिया जाता है तो उनका पूरा वर्ष फिर बर्बाद हो जाएगा. समय-समय पर कई तरह के दिशा- निर्देश महाविधालय के द्वारा जारी जाता है परंतु यह मामला पहली बार है कि छात्रों को मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाना होगा. वो भी फिटनेश का. जो इनके लिए बनवाना इतना आसान नही होगा. जब इस बारे में कॉलेज प्रबन्धन से पूछा गया तो वे अपना पल्ला झाड़ते नजर आएं.
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