#citypostlive दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्रातकोत्तर गणित विभाग में “पौराणिक भारतीय गणितज्ञ और उनकी देन का महत्व” विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रति-कुलपति प्रो0 जय गोपाल ने की। वाणिज्य विभाग के सभागार में आयोजन बीज भाषण के लिये प्रो0 राधाकांत ठाकुर, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, तिरुपति से पधारकर विषय से संबंधित सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए छात्रोपयोगी भाषण किया। उन्होंने जीरो के आविष्कार से लेकर इनफिनिटी तक कि विस्तार से चर्चा की। जिसका आविष्कार भारतीय प्राचीन गणितज्ञों द्वारा किया गया था। जीरो से नौ तक कि सांख्यिकी के द्वारा सम्पूर्ण गणित का ज्ञान भारतीय बैज्ञानिकों द्वारा संभव हो सका। अपने भाषण के क्रम में उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे ज्ञान का कोई महत्व नहीं है जिसकी उपयोगिता सामान्य दैनिक जीवन में सिद्ध ना हो। उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ की अनपढ़ महिला को भी गणित के माध्यम से दिन और दिशा का ज्ञान होता है, जिसकी व्याख्या शब्दों में नहीं की जा सकती है। विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो0 एन के अग्रवाल ने वैदिक काल से आजतक गणित के महत्व पर प्रकाश डाला और खासकर इस बात की चर्चा की कि हमारे भारतीय वैज्ञानिकों के आविष्कार का श्रेय अन्य देशों के गणितज्ञ ले जाते हैं जो सर्वथा अनुचित है। पुराने दिनों में विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र होने के कारण भारतीय वैज्ञानिकों का विस्तार आज के दिनों की अपेक्षा अधिक थी। आज भले ही वो क्षेत्र कोई और देश में मिल गया हो, लेकिन आविष्कार के समय वह भारत ही था और वैज्ञानिक भारतीय ही थे। संकायाध्यक्ष वाणिज्य प्रो0 अजित कुमार सिंह ने गणित के आध्यात्मिक पक्ष की चर्चा की और अपने विश्लेषणात्मक उद्बोधन के क्रम में उन्होंने द्वेतवाद की चर्चा की और गुणात्मक शैली में गणित के धार्मिक और शैक्षिक पक्ष पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर प्रो0 विनोद कुमार चौधरी, प्रो0 एच के सिंह ने भी अपने विचार रखे। अध्यक्षीय भाषण में प्रो0 जयगोपाल ने इस आयोजन की प्रशंसा करते हुए अन्य विभागों को भी इस तरह के आयोजन करने की सलाह दी। मेंडल के सिद्धांत को सरल भाषा में बताते हुए उन्होंने आज के मुख्य वक्ता प्रो0 राधाकांत ठाकुर के सरल और सर्व बोधगम्य भाषा की सराहना की। धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 जयशंकर झा ने की। इस अवसर पर प्रो0 आई एन मिश्रा, प्रो0 विजय मिश्र, प्रो0 बी बी एल दास, डॉ0 वाई एन मिश्रा, डॉ0 नारायण प्रसाद, डॉ0 मोइनुद्दीन अंसारी, डॉ0 एच सी झा, संकायाध्यक्ष डॉ0 शीला आदि उपस्थित थे। मंच का संचालन डॉ0 आशीष कुमार ने किया।
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