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रसूखदारों को गिरफ्तार करने की बजाय सरेंडर का मौका देती है बिहार पुलिस!

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रसूखदारों को गिरफ्तार करने की बजाय सरेंडर का मौका देती है बिहार पुलिस!

सिटी पोस्ट लाइव : जिस तरह से मंगलवार को महीनों से फरार चल रही बिहार सरकार की पूर्व मंत्री वर्मा ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के किंगपिन ब्रजेश ठाकुर की राजदार मधु अचानक महीनों बाद CBI के सामने हाजिर हो गईं ,उससे ये साबित हो गया है कि या तो बिहार पुलिस निक्कमी हो गई है या फिर रसूख वाले लोगों को सहूलियत के हिसाब से कोर्ट में सरेंडर करने देने की रणनीति पर काम कर रही है.दरअसल, ऐसा केवल मंजू वर्मा और मधु के मामले में ही नहीं हुआ है. कई ऐसे कई रसूखदार अभियुक्त रहे हैं जिसे पकड़ पाने में प्रदेश की पुलिस व्यवस्था नाकाम साबित हुई है या जन-बुझ कर पकड़ा नहीं. सभी रसूखदार आरोपियों ने जब चाहा तब अपनी मर्जी से ही सरेंडर किया.

मंजू वर्मा की खोज में बिहार पुलिस छापेमारी करती रही, अन्य राज्यों तक भी मंजू वर्मा की तलाश होती रही. मंत्री से लेकर प्रदेश के पुलिस मुखिया हर रोज ये दावे करते रहे कि मंजू वर्मा को गिरफ्तार किया जाएगा. अपराधियों के साथ जैसा सलूक किया जाता है, वैसा ही किया जाएगा. लेकिन हुआ उल्टा. आर्म्स एक्ट की आरोपी मंत्री ने अपनी  मंत्री अपनी मर्जी से जब चाहा सरेंडर किया. तीन महीने तक पुलिस को गोल-गोल घुमाने में कामयाब रही मंत्री ने बीमारी का भी बहाना ढूंढ ही लिया है. अब सवाल उठता है कि क्या बिहार पुलिस ही मंजू वर्मा को अब तक बचाती रही?

तमाम पुलिसिया तामझाम और दावों के बीच जिस तरह से आरोपी मंत्री ने बेगूसराय के मंझौल कोर्ट में सरेंडर किया. इसी तरह से महीनों की लुक्काछिपी के बाद उनके पति चंद्रशेखर वर्मा ने बेगूसराय के मझौल कोर्ट में सरेंडर किया था. बालिका गृह कांड के किंगपिन ब्रजेश ठाकुर की सबसे बड़ी राजदार मधु ने भी  मुजफ्फरपुर में आज खुद सरेंडर किया. खुद सूचना देकर CBI को कोर्ट में बुलवाया. दरअसल बिहार पुलिस की ऐसे मामलों में नाकामी का लंबा इतिहास रहा है. ऐसे कई  रसूखदार अभियुक्त रहे हैं जिसे पकड़ पाने में बिहार पुलिस नाकाम ही साबित होती रही है. आइए हम ऐसे ही नामों पर नजर डालते हैं-

  • अर्जित शास्वत-भागलपुर के नाथनगर उपद्रव मामले के मुख्य आरोपी अर्जित को बिहार पुलिस पकड़ नहीं पाई थी. खुद पटना पुलिस के समक्ष आत्मसर्पण किया.
  • डॉ सुमन सौरव-आरजेडी के महासचिव कैलाश पासवान हत्याकांड की मुख्य आरोपी. खुद आकर नवादा के सिविल कोर्ट में आत्मसर्मपण किया.
  • बच्चा राय- टॉपर्स घोटाला का मुख्य आरोपी. पुलिस इसे पकड़ने का दावा करती रही लेकिन इसने खुद आकर पुलिस के समक्ष अपनी गिरफ्तारी दी.
  • रॉकी यादव-आदित्य सचदेवा हत्याकांड का आरोपी. पुलिस दावा करती रही, लेकिन इसने खुद सरेंडर किया.
  • मनोरमा देवी-रॉकी को छिपाने का और छापेमारी के दौरान इनके घर से शराब का मिलने का आरोप. पुलिस के सामने सरेंडर किया.
  • टेनी यादव-रोडरेड मामले के मुख्य आरोपी रॉकी का रिश्तेदार. इसको भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई. सरेंडर किया.
  • चंद्रशेखर वर्मा-मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड के आरोपी और आर्म्स एक्ट की आरोपी मंत्री मंजू वर्मा के पति. मंझौल न्यायालय में आत्मसर्मपण किया.

लेकिन कमाल देखिये  मंजू वर्मा के सरेंडर के बाद पुलिस मुख्यालय ने फिर भी अपनी पीठ थपथपा ली. ADG पुलिस मुख्यालय ने कहा कि पुलिस दबिश की वजह से मंजू वर्मा ने सरेंडर किया है. लेकिन क्या जनता इतना बेवकूफ है कि उसे इतनी सी बात समझ में नहीं आयेगी कि मंजू वर्मा ने पुलिस दबिश के कारण नहीं बल्कि कानूनी और राजनैतिक रूप से ‘फुल प्रूफ’ होकर अपनी मर्जी से ही सरेंडर किया है.

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