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उपेंद्र कुशवाहा का सुशील मोदी पर जोरदार हमला, सृजन घोटाले पर उठाया सवाल

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उपेंद्र कुशवाहा का सुशील मोदी पर जोरदार हमला, सृजन घोटाले पर उठाया सवाल

सिटी पोस्ट लाइव : शनिवार को जिस तरह से उपेन्द्र कुशवाहा ने BJP को सीट बटवारे के लिए जिस तरह से 30 का डेटलाइन देने के बाद ये कहा कि अब वो बीजेपी के किसी नेता के साथ सीट बटवारे को लेकर बातचीत की पहल नहीं करेगें और अब जिस तरह से नीतीश कुमार के साथ साथ बीजेपी पर खासतौर से सुशील मोदी पर निशाना साध रहे हैं, लगता है वो एनडीए छोड़ने का मन बना चुके हैं. लेकिन वो खुद एनडीए छोड़ने की बजाय एनडीए से जबरन अपना निष्काशन चाहते हैं.

कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अबतक का सबसे बड़ा हमला करने और 28 नवम्बर से उनके खिलाफ पुरे प्रदेश में आन्दोलन शुरू कर देने का निर्देश दिया है जाहिर है वो एनडीए के साथ बात बनाना नहीं बिगाड़ना चाहते हैं. अब उन्होंने बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.उन्होंने ट्विट कर आज सुशील मोदी पर तीखा हमला किया है. रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने सुशील मोदी को भागलपुर में हुए सृजन घोटाले की भी याद दिलाते हुए रविवार को ट्वीट किया कि ‘बिलकुल सच कहा आपने, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तो देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की हर संभव कोशिश की. मगर,जरा, सृजन घोटाले पर भी तो कुछ बोलिए….?’

उन्होंने अपने  अगले ट्वीट में लिखा- ‘मनन-चिंतन: कई लोग राजनीतिक पिछ्लग्गू होते हैं. छपास रोग से पीड़ित, मिजाज़ से अवसरवादी व घोर सत्तापरस्त…! इनकी उपयोगिता सहयोगी पार्टी/नेता का भोंपू के तौर पर बखूबी होता है. ऐसे लोग मच्छर की भांति खून पीकर अपनी ही पार्टी में मलेरिया-डेंगू फैलाते हैं और अपना वजूद जिंदा रखते हैं.’

महोदय,

बिलकुल सच कहा आपने, हमारे प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने तो देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की हर संभव कोशिश की।मगर,

जरा, सृजन घोटाले पर भी तो कुछ बोलिए….

— Upendra Kushwaha (@UpendraRLSP) November 18, 2018

गौरतलब है कि उपेंद्र कुशवाहा  बीजेपी के नेता सुशील मोदी से नीच मामले पर नीतीश कुमार का पक्ष लिए जाने से नाराज हैं. सीट शेयरिंग पर अल्टीमेटम देने के बाद मोदी ने बिना नाम लिये हमला किया था. सुशील मोदी ने ट्वीट किया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र भाई मोदी की विश्वसनीयता और गरीबों, दलितों-पिछड़ों-अतिपिछड़ों के विकास में उनकी गहरी दिलचस्पी को देखकर 2014 में जनता ने एनडीए को भारी सफलता दिलायी. सभी घटक दलों ने मिलकर जनता की सेवा करते हुए देश को भ्रष्टाचार मुक्त सरकार दी, लेकिन कुछ लोगों को अपने बारे में इतनी गलतफहमी हो गई है कि वे लगातार गठबंधन धर्म के विपरीत आचरण कर महागठबंधन के चार्जशीटेड नेताओं तक से मेल मिलाप में लगे हैं.

मनन-चिंतन:

“कई लोग राजनीतिक पिछ्लग्गू होते है। छपास रोग से पीड़ित, मिजाज़ से अवसरवादी व घोर सत्तापरस्त…! इनकी उपयोगिता सहयोगी पार्टी/नेता का भोंपू के तौर पर बखूबी होता है। ऐसे लोग मच्छर की भाँति खून पीकर अपनी ही पार्टी में मलेरिया-डेंगू फैलाते है और अपना वजूद जिन्दा रखते हैं।”

— Upendra Kushwaha (@UpendraRLSP) November 18, 2018

अब जिस तरह से उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश कुमार के सेक्यूलर क्रेडेंशियल को लेकर सवाल उठा रहे है. कानून व्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था को लेकर आन्दोलन शुरू करने जा रहे हैं, अब उनके एनडीए में बने रहने की संभावना बहुत कम दिखती है. हालांकि उन्होंने ये कहकर कि वो प्रधानमंत्री से मिलने के बाद कोई फैसला लेगें, अभीतक एनडीए में बने रहने के लिए खिड़की खोल कर रखी है. ये खिड़की तब उनके काम आ सकती है, जब महागठबंधन के साथ उनकी बात नहीं बन पायेगी.

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