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हुश्न का जाल बिछाया, व्यापारी को अगवा किया और पुलिस पीछे पडी तो मार दिया

लेकिन एक सिमकार्ड के जरिये पुलिस कातिलों तक पहुंच गई फिर सनसनीखेज कहानी आई सामने

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हुश्न का जाल बिछाया, व्यापारी को अगवा किया और पुलिस पीछे पडी तो मार दिया

सिटी पोस्ट लाइव : मुजफ्फरपुर के एक कारोबारी को पहले हुश्न के जाल में फंसाया फिर उसे अगवा किया और फिरौती मांगी. जब फिरौती की रकम मिलने में देर हो गई और इस बीच पुलिस पीछे पड़ गई तो पकडे जाने के डर से गोली मारकर हत्या कर दी.लेकिन एक मोबाइल के सिम कार्ड के जरिये इस अपहरण-हत्या की साजिश का पर्दाफाश हो गया.

जयप्रकाश एक दिन अपने घर से काम के लिए निकला. शाम हुई, रात हुई लेकिन जब वह लौटा नहीं तो घरवालों की चिंता बढ़ गई. देर रात एक अनजान मोबाइल नंबर से जय के घर पर फोन आया. बोला गया  ‘जय उनके कब्ज़े में है और उसको ज़िंदा देखना चाहते हो तो डेढ़ करोड़ रुपये का बंदोबस्त करो.’ सबके होश फाख़्ता हो गए. अगले दिन एक नकाबपोश आदमी जय के घर वालों से मिला. फिरौती की नगद रकम नहीं मिली तो जय की चेक बुक्स लेकर चला गया. जय से चेक्स पर जबरन साइन करवाए . चार चेक्स में डेढ़ करोड़ रुपये तक की रकम भरकर चेक भुनाने बैंक पहुँच गए. लाखों की रकम वाले चेक्स देखकर बैंक ने कहा कि इतनी बड़ी रकम एक बार में देना बैंक के लिए संभव नहीं है क्योंकि बैंक इतना बड़ा नहीं था.

1 अक्टूबर को जब बैंक से रकम नहीं मिली तो किडनैपर परेशान थे. इसी बीच, जय के घर वालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी. अगवा किए गए जय की तलाश में पुलिस ने जांच की शुरुआत की. इस बात की भनक किडनैपरों को लग गई.समझाया था तेरे घरवालों को कि पुलिस के पास न जाएं. लेकिन माने नहीं वो. एक तो पैसा नहीं मिल रहा है और उस पर पुलिस का टेंशन. अब तो तुझे मरना पड़ेगा. हम तुझे मारना नहीं चाहते थे लेकिन क्या करें, अब हालात ऐसे हो गए हैं कि तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ा तो हम फंस जाएंगे. देर रात किडनैपरों ने जय को गोली मार दी और लाश को एक गाड़ी में रखकर मुज़फ्फरपुर से कर्जा लेकर आए. जय के घर से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर एक सुनसान सड़क किनारे जय की लाश को फेंककर चले गए. सुबह हुई और एक लाश देखकर लोग जमा होने लगे. कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंची और लाश की शिनाख्त हुई जय के रूप में, जिसके अपहरण केस में पुलिस ने एक दिन पहले ही तफ्तीश शुरू की थी.

पुलिस ने कर्जा और आसपास के इलाकों से क्राइम रिकॉर्ड वाले अपराधियों की कुंडली खंगाली. उनके मूवमेंट के बारे में अपने सूत्रों से पता किया. लेकिन ऐसा कोई सुराग नहीं मिला कि इस काम को कर्जा के लोकल अपराधियों ने अंजाम दिया हो. अब नये सिरे से तफ्तीश शुरू हुई. एक जांच टीम ने जय के घर वालों से संपर्क किया और यह पता किया कि फिरौती के लिए कॉल किस नंबर से आया था.यह मुज़फ्फरपुर के अजय का निकला.

पुलिस को  अजय की बीवी प्रियंका ने बताया कि वह कई दिनों से शहर के बाहर है. अपने को एक सामाजिक कार्यकर्त्ता बतानेवाला अजय ज़मीन कारोबार से जुड़ा हुआ था. पड़ोसियों से  पूछताछ में खुलासा हुआ कि 30 सितंबर से दो अक्टूबर के बीच इस फ्लैट पर कई लोगों का आना जाना हुआ था. दो चार दिन अच्छा खासा हंगामा रहा. लेकिन किसी पड़ोसी को इसकी वजह नहीं पता थी. अब पुलिस ने शक की बिना पर अजय, प्रियंका और मनीष को गिरफ्तार कर अलग-अलग तीनों से सख्ती से पूछताछ की तो धीरे-धीरे सच सामने आ गया.

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