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रामायण की सीता और महाभारत की कुंती ने भी किया छठ पूजा का अनुष्ठान

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 रामायण की सीता और महाभारत की कुंती ने भी किया छठ पूजा का अनुष्ठान

सिटी पोस्ट लाइव  : लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा आज रविवार से नहाय खाय के साथ  शुरू हो गया. यह अनुष्ठान अगले 4 दिनों यानी बुधवार तक चलेगा. आज चावल और लौकी की शब्जी बनाकर व्रतधारी इसे धारण करेगें.सोमवार 12 नवंबर को खरना होगा. गुड की खीर और रोटी का प्रसाद बनेगा. व्रतधारी इस प्रसाद को ग्रहण करेगें और दूसरों को प्रसाद देगें.आज के दिन लोग अपने रिश्तेदारों के घर जाकर खरना  का प्रसाद ग्रहण करते हैं. खरना के प्रसाद का बहुत ही महत्त्व है. मंगलवार 13 नवंबर की सुबह से व्रतधारियों का निर्जला अनुष्ठान शुरू हो जाएगा. शाम को सूर्य भगवान को नदी और पोखरे या फिर घर में बने पोखरे में खड़े होकर व्रतधारी सायंकालीन अर्घ्य देने के लिए सूर्य देव के अस्त होने का इंतज़ार करेगें. सूर्यास्त होने से पहले डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

 इसी तरह से बुधवार 14 नवंबर की सुबह भगवान सूर्यदेव को प्रातःकालीन अर्घ्य देने के साथ ही अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा.यह प्रकृति पूजा लोक आस्था का महापर्व छठ बिहार का लोकपर्व है. अब यह पुरे देश में होता है. जहाँ भी बिहारी रहते हैं, इस व्रत का अनुष्ठान जरुर करते हैं. अमेरिका से लेकर मारीशस में भी छठ व्रत का अनुष्ठान बिहारी करते हैं.

छठ पूजा भगवान सूर्य देव की आराधना का पर्व है. यह पर्व साल में दो बार चैत्र शुक्ल षष्ठी और कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इनमें से कार्तिक में होनेवाली छठ पूजा का विशेष महत्व है. 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को डाला छठ, छठी माई, सूर्य षष्ठी पूजा आदि के नाम से जानते हैं.

शास्त्रों के अनुसार छठ पूजा, उपवास मुख्य रूप से सूर्यदेव की आराधना का पर्व है. ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव की कृपा हो जाए तो हर काम सफल हो जाता है. सद्बुद्धि, धन-धान्य की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता  है कि छठ माई की कृपा से संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है.इस अनुष्ठान से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ माता को सूर्य देव की बहन भी माना जाता है. वहीं छठ पूजा या व्रत की एक कथा के अनुसार छठ देवी को ईश्वर की पुत्री देवसेना माना गया है. देवसेना के बारे में बताते हुए कई स्थान पर उन्हीं के हवाले से कहा गया है कि प्रकृति की मूल प्रवृत्ति के छठ में अंश से उत्पन्न हुई है. यही कारण है कि वे षष्ठी कहलाईं. कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उनकी आराधना करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है.

श्री राम से भी इस पर्व का संबंध है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम ने अयोध्या वापस आने के बाद सीता जी के साथ कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना की थी. इसी तरह महाभारत काल में कुंती द्वारा विवाह से पूर्व सूर्योपासना करके कर्ण जैसे पुत्र प्राप्ति की कहानी भी बहुत मशहूर है. छठ पूजा एक ऐसा त्यौहार है जिसके अनुष्ठान के दौरान अपराधी भी अपराध करना छोड़ देते हैं. लोग अपने घर से शहर और सड़क की साफ़ सफाई में जुट जाते हैं.इस पर्व के अनुष्ठान में शुद्धता का बहुत महातम है.

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