नीतीश कुमार के साथ खड़े हुए चिराग पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा को दे दी है नसीहत
सिटी पोस्ट लाइव : नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली रालोसपा अब एनडीए के अंदर अलग थलग पड़ती दिख रही है. उसके कार्यकर्ताओं पर हुए पुलिस लाठीचार्ज को बीजेपी ने जायज थार दिया है. वहीं एलजेपी नेता चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के साथ खड़े होते हुए कुशवाहा को इस मामले को ज्यादा टूल नहीं देने की नसीहत दे डाली है. लोक जनशक्ति पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ये कहकर कि नीतीश कुमार अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करनेवाले नेता नहीं हैं और उपेन्द्र कुशवाहा को मामले को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए,बिहार की सियासत में हलचल बढ़ा दी है.
केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच जुबानी जंग पर उन्होंने गठबंधन के साथियों को मर्यादा में रहने की नसीहत दी है. चिराग पासवान ने नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि नीतीश कुमार गैर मर्यादित भाषा बोल सकते हैं. उन्होंने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा से दो टूक शब्दों में कहा कि मामले को तूल न दें.
पटना में संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति में सबको मर्यादा का जरूर ख्याल रखना चाहिए. चिराग पासवान ने एनडीए के सहयोगियों से कहा कि अगर कोई संदेह है तो आपस में बैठकर बात करें.उन्होंने एनडीए की एकजुटता का दावा करते हुए कहा कि सीटों को लेकर कोई दिक्कत नहीं है. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि सम्मानजनक समझौते की उम्मीद जताई.
चिराग पासवान का ये बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शुक्रवार को उपेन्द्र कुशावाहा ने दावा किया था कि उन्होंने ही बीजेपी और एलजेपी के साथ गठबंधन बनाया था. उनका गठबंधन जेडीयू से नहीं बल्कि बीजेपी और एलजेपी के साथ है. साफ है कि जिस तरह से चिराग पासवान ने नीतीश कुमार का बचाव किया है वह उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को एनडीए में अलग थलग करने के लिए काफी है. हालांकि कुशवाहा ने भी ये दावा किया है कि वे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलेंगे तो सब ठीक हो जाएगा. कुशवाहा ने खुद को एनडीए गठबंधन का स्थायी हिस्सा बताते हुए कहा था कि वह जेडीयू की तरह ‘आए-गए’ वाले नहीं हैं. हालांकि चिराग पासवान के ताजा बयान से साफ होता जा रहा है कि कुशवाहा एनडीए में खुद ही अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं.वो तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें क्या करना है. एनडीए के साथ रहना है या फिर महागठबंधन के साथ जाना है.
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