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2005 से अबतक के काम को गिना रहे नीतीश कुमार, बोले-न्याय के साथ किया विकास

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2005 से अबतक के काम को गिना रहे नीतीश कुमार, बोले-न्याय के साथ किया विकास

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के रूप में नवंबर, 2005 में कुर्सी संभालने से लेकर अब तक बिहार में अपने नेतृत्व में हुए विकास और सामाजिक बदलाव का खाका पेश किया. इस दौरान उन्होंने न्याय के साथ विकास की नीति की चर्चा करते हुए कहा कि सिर्फ जुबान चलाकर नहीं बल्कि काम करके राजनीति होगी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने बतौर सीएम नवंबर, 2005 में कार्यभार संभाला.  सबसे पहले सर्वे किया कि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे को लेकर राज्य की क्या स्थिति है. तब यह मालूम हुआ कि 12.5 फीसदी बच्चे स्कूलों से बाहर हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर मैंने पहल क्यों की. आपको एक वाकया बताता हूं. मैं अपने संसदीय क्षेत्र से लौट रहा था. एक गांव में मैं रुका और लोगों से बात करने लगा. एक बच्चा मिला. उसने पूछा कि सर, क्या हम लोग पढ़ेंगे नहीं? स्कूल में मास्टर नहीं हैं, स्कूल की बिल्डिंग नहीं है. आपको एक बात और बताता हूं कि हमारे यहां गांव में भी लोग सर कहते हुए सुने जा सकते हैं. सीएम बनने पर हमने मुफ्त में पोशाक, कॉपी-किताब और साइकिल देने जैसी योजनाएं लागू कीं. आज स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या 1 फीसदी से भी कम है.

एक दूसरी घटना बताता हूं. अपने संसदीय क्षेत्र में हम मीटिंग में बैठे हुए थे. एक गरीब आदमी दूर से देख रहा था. मैंने उसे आगे आने दिया. तब उसने कहा कि सरकारी अस्पताल ठीक से काम करे. हमने सर्वे कराया तो पता चला कि बिहार में औसतन हर महीने एक पीएचसी में सिर्फ 39 मरीज जाते थे. तब हमने डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ का तबादला पीएचसी में करने का निर्णय लिया और मुफ्त में दवा देने का भी फैसला किया. अब एक पीएचसी में महीने में 11 हजार लोग जा रहे हैं. और मैं क्या कहूं? अस्पताल की स्थिति सुधरी है. लेकिन लोगों की उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं. पहले तो कोई उम्मीद भी नहीं करता था.

नीतीश कुमार ने बताया कि जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे तब सड़कों की क्या स्थिति थी. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा- पटना से निकलने पर 20 किलोमीटर की दूरी से मेरा संसदीय क्षेत्र शुरू होता था. उस दौर में 50 किलोमीटर की दूरी तय करने में तीन घंटे लगते थे. हम कई बार चुनाव प्रचार करने बख्तियारपुर तक ट्रेन से जाते थे. यह नेशनल हाईवे की हालत थी. सीएम बनने पर हमने सड़कों को दुरुस्त करने का निर्णय लिया. पहले राज्यमार्ग ठीक किए फिर नेशनल हाईवे के लिए केंद्र सरकार से गुजारिश की. उस पर 900 करोड़ रुपए खर्च किए, वह पैसा आज तक नहीं मिला. गांव के टोले भी मुख्य सड़कों से जोड़े. बाद में 6 घंटे में किसी भी अंदरूनी इलाके से पटना पहुंचने का लक्ष्य रखा. वह लक्ष्य अब लगभग पूरा हो चुका है. अब 5 घंटे का लक्ष्य तय किया है. सड़कों के मेंटेनेंस के लिए 7 साल की पॉलिसी तय की. सिर्फ बड़ी सड़कों के लिए नहीं बल्कि ग्रामीण सड़कों के लिए भी मेंटेनेंस पॉलिसी बनाई.

नीतीश कुमार ने कहा, बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का काम हम लोग कर रहे हैं. हम लोगों की बुनियादी नीति न्याय के साथ विकास की है. हम लोगों ने लड़कियों के लिए मिडिल स्कूल में पोशाक देने की योजना बनाई. जब स्कूल में पोशाक योजना शुरू की तो गांव का माहौल बदल गया. एनडीए सरकार के समय एक सम विकास योजना शुरू हुई थी. पटना जिले में इसी स्कीम के तहत 180 लड़कियों को साइकिल दी गई थी. वह दृश्य मुझे बहुत अच्छा लगा. उस कार्यक्रम से लौटते समय वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाकर पूछा कि कितनी लड़कियां 9 वीं क्लास में पढ़ती हैं? तब पता चला कि 1.70 लाख लड़कियां नौवीं में पढ़ती हैं. तब हमने लड़कियों को साइकिल देने का फैसला किया. जब लड़कियों को साइकिल मिली तो गांव-गांव समूह में वे स्कूल जाने लगीं. तब लोगों के दिमाग में बदलाव आ गया. दो साल के बाद लड़कों के लिए भी यह योजना लागू कर दी. आज 8 लाख लड़कियां सरकारी स्कूलों में 9 वीं क्लास में पढ़ रही हैं.

नीतीश कुमार ने कहा कि हमने सात निश्चय किए थे. उसमें एक निश्चय यह था कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के जरिए छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए बतौर कर्ज 4 लाख रुपए 4 फीसदी ब्याज की दर से देने की योजना लागू की. लड़कियों, दिव्यागों और ट्रांसजेंडर को यह कर्ज 1 फीसदी की दर से दिया जा रहा है. अब तक 18 हजार छात्रों को यह कर्ज दिया जा चुका है.  पढ़ाई नहीं करने वाले युवाओं के लिए कुशल युवा कार्यक्रम लागू किया. उसमें तीन चीजें सिखाई जाती हैं. पहली कंप्यूटर, दूसरा- संवाद कौशल और तीसरा- व्यवहार कौशल.

बिहार के सीएम ने कहा कि हमारे यहां 76 फीसदी आबादी कृषि पर आधारित है. एग्रीकल्चर रोडमैप हमने बनाया. पहला रोडमैप 2008 में लागू करने के बाद 2012 में हम राष्ट्रीय औसत तक पहुंच गए. स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों में अल्पसंख्यक और महादलित समाज के बच्चे ज्यादा थे. उनके लिए योजनाएं बनाईं. महिलाओं और बच्चों के लिए बहुत काम किया. पंचायती राज, नगर निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया.  सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है. ऐसे 9.5 लाख ग्रुप बन चुके हैं. मेरा लक्ष्य 10 लाख का है. पुलिस में 35 फीसदी आरक्षण महिलाओं के लिए है.जैसे उपेन्द्र कुशवाहा से जुड़े सवाल पूछे गए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे इस स्तर तक मत गिराइए. नीतीश कुमार के इस बयान के बाद उपेन्द्र कुशवाहा और उनकी पार्टी कैसे लेती है, देखना दिलचस्प होगा.

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