मोतिहारी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी अरविंद अग्रवाल को देना पड़ा इस्तीफा
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के महात्मा गांधी केंद्रीय के कुलपति अरविंद अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे को स्वीकृति के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेज दिया है. विभाग को उम्मीद है कि वीसी अरविंद अग्रवाल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाएगा. दरअसल, बिहार के महात्मा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति अरविंद अग्रवाल शुरू से ही सवालों के घेरे में हैं. कहा जा रहा है कि कुलपति पर पद पाने के लिए अपने अकादमिक परिचय पत्र में जालसाजी करने का आरोप है. उनकी मनमानी के खिलाफ लगातार वहां पर शिक्षक उनके खिलाफ आमरण अनशन करते रहे हैं. आमरण अनशन करने वाले शिक्षकों पर जानलेवा हमले का आरोप भी कुलपति पर लगता रहा है. सूत्रों के अनुसार कुलपति लगातार विवादों में रहने की वजह से अपने ही विभाग के निशाने पर आ गये थे. आज उन्हें अपना इस्तीफा देना पड़ा है.
आमरण अनशन पर बैठे शिक्षकों ने उनके ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए थे. हर जगह उसके प्रमाण दिए थे. उनके ऊपर लगे जालसाजी के आरोपों को अब मानव संसाधन विकास विभाग ने काफी गंभीरता से लेते हुए उनसे इस्तीफा मांग लिया है. सूत्रों की मानें तो उन्होंने बुधवार को ही अपना इस्तीफा दे दिया. इसके बाद मानव संसाधन मंत्रालय ने इस्तीफे पर अंतिम मुहर के लिए उसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेज दिया गया है.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के विजिटर भी हैं. ऐसे में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की इस्तीफे पर अंतिम मुहर लगेगी. मीडिया में आ रही खबर के अनुसार अरविंद अग्रवाल पर झूठ बोलने का भी आरोप है. आरोप है कि नौकरी पाने के लिए विदेश में शिक्षा हासिल करने की बात कही थी, जो पूरी तरह गलत है. कहा जा रहा है कि अरविंद अग्रवाल ने जर्मनी के किसी संस्थान से पीएचडी नहीं की है. उनके बारे में कहा जा रहा है कि असल में वे राजस्थान विश्वविद्यालय से डिग्री ली है.
इस मामले में अरविंद अग्रवाल से जब मीडिया ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. बहरहाल अरविंद अग्रवाल का इस्तीफा शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है और विभाग की नजर अब राष्ट्रपति के फैसले पर लगी है.वैसे उनके इस्तीफे की खबर से उनके खिलाफ महीनों से आंदोलनरत कर्मचारी और शिक्षक बेहद कुश हैं. उनका कहना है कि इस कुलपति के साथ शिक्षाओं की लगातार चल रही लड़ाई की वजह से शैक्षणिक माहौल बहुत ख़राब हो गया था.
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