मुझे भय है कि अगर हिन्दुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा? : गिरिराज सिंह
सिटी पोस्ट लाइव : सुप्रीम कोर्ट में आज से अयोध्या जमीन विवाद मामले की आखिरी सुनवाई शुरू हो जाएगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट 2010 के फैसले के खिलाफ रामलला विराजमान, हिंदू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की थी. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, अब हिन्दुओं का सब्र टूट रहा है.
मुझे भय है कि अगर हिन्दुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा? सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- मुझे लगता है कि हमें यह देखने के लिए दिसम्बर में एक रिव्यू करना चाहिए कि राम मंदिर के मामले को जल्दी से स्थगित कर दिया जा रहा है या फिर कांग्रेस के वकीलों को इस मामले में देरी के लिए कुछ अन्य विषयों का आवेदन मिलेगा. यदि इसमें देरी हो रही है तो हमें कुछ करना होगा.
बता दें इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए. जस्टिस अशोक भूषण ने अपनी और पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा था कि उसे यह देखना होगा कि 1994 में पांच सदस्यीय बेंच ने किस संदर्भ में यह फैसला सुनाया था.
दूसरी ओर, बेंच के तीसरे सदस्य जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने दोनों जजों से असहमति जाहिर करते हुए कहा कि धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए यह फैसला करना होगा कि क्या मस्जिद इस्लाम का अंग है. इसके लिए विस्तार से विचार की जरूरत है. अदालत ने 27 सितंबर को कहा था कि भूमि विवाद पर दीवानी वाद की सुनवाई तीन जजों की बेंच 29 अक्टूबर को करेगी.अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट का क्या फैसला आता है क्योंकि चुनावी साल है और ऐसे में बीजेपी इस मुद्दे को फिर से गरमाने में जुटी है.
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