अस्सी साल की वृद्धा पेंशन के लिए आंसू बहा रही है और शासन-सिस्टम इससे बेखबर
सिटी पोस्ट लाइव, रांची : आजसू सुप्रीमो सह पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि गांव में 80 साल की वृद्धा पेंशन के लिए आंसू बहा रही है और शासन-सिस्टम इससे बेखबर है। दरअसल गांव का सच और आखिरी पायदान पर छूटे आम आदमी का दर्द आमने-सामने बैठकर ही जाना जा सकता है। लेकिन सरकार, सियासत और साहब के लिए यह प्राथमिकता नहीं है। सुदेश महतो शनिवार को खरसांवा शहीद स्थल से स्वराज स्वाभिमान यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए गांवों के चौपाल में ये बातें कही। इससे पहले शहीद स्थल पर उन्होंने फूल माला चढ़ाकर वीर शहीदों का नमन किया और पदयात्रा पर निकले। उन्होंने कहा कि स्वराज स्वाभिमान यात्रा के जरिए यही मुहिम छेड़ी गई है कि गांव और आम आदमी की आवाज सत्ता सियासत को डराए। उनके काम क्या हैं इसके ओर आगाह कराए। सबसे पहले वे अरवा गांव गये। वहां बड़ी तादाद में महिलाएं जुटी थी। महतो ने सबसे पहले महिलाओं की सुनी। फिर अपनी कही। इसी दौरान उन्होंने कहा कि रास्ते में एक अस्सी साल की बुजुर्ग महिला से मुलाकात हुई, जिसे पेंशन का इंतजार है। यह बानगी भर है। कोई एक अदद आवास के लिए सरकार की ओर ताक रहा है। गांव का गांव पानी, बिजली, शौचालय की समस्या में उलझा है। यह हालत इसलिए है कि गांव का संवाद नीति निर्धारकों तक नहीं पहुंचती। राजधानी और सचिवालय में बैठकर पूरे राज्य की तस्वीर नहीं देखा जा सकती। उन्होंने कहा कि एकतरफा फैसला और एकतरफा संवाद परिपाटी बन गई है। इस परिपाटी को बदलने की आवाज भी गांव से उठनी चाहिए। ग्रामीणों से साझा संवाद में उन्होंने कहा कि बिना पैसे का आम आदमी कोई काम नहीं करा सकता। अरवा में एक महिला ने पानी और शौचालय की पीड़ा बताई, तो महतो ने कहा कि हम आपका आवाज बनने के लिए ही निकले हैं। गरीब की आवाज धीमी होती है। इसलिए वह सरकार तक नहीं पहुंचती। लेकिन स्वराज स्वाभिमान यात्रा के जरिए गरीबों की इस आवाज को जोरदार बनाने की मुहिम छेड़ी है। लोगों का साथ इसे जन आंदोलन बनायेगा। उन्होंने कहा कि झारखंड के अलग राज्य बने 18 साल हुए। राज्य में पंचायती राज व्यवस्था भी लागू हो गई, लेकिन स्वराज और स्वाभिमान के सवाल इस व्यवस्था में गौण होते चले गए। डोरो गांव में लोगों की बात सुनने के बाद आजसू नेता ने कहा कि सरकार का मतलब पब्लिक होता है इसलिए कि सरकार गठन के वास्ते यही पब्लिक वोट देती है, लेकिन यहां राजनेता के साथ बीडीओ और थानेदार, सरकार बने बैठे हैं। अलबत्ता सरकारें बदलती हैं , नेता बदलते हैं, पर गांव के हालात नहीं बदलते। इस रिवाज को खत्म करना होगा। अब सरकार का हाल चौपाल बताएगा। इसी गांव की सभी में एक स्कूली छात्र उत्तम महतो ने बताया कि स्कूल में तीन घंटे ही पढ़ाई होती है। गणित, अंग्रेजी के शिक्षक हैं ही नहीं। उत्तम की बात सुनकर महतो ने पहले उसकी पीठ थपाथपाई और कहा कि ये आवाज सिस्टम तक पहुंचे। महतो ने कहा कि जहां भी जा रहे हैं, लोगों की चिंता इसी बात पर है कि स्कूल में टीचर का टोंटा है। तब सरकार को यह जानना चाहिये कि सिर्फ भवन का मतलब स्कूल नहीं होता। बड़ी तादाद में बच्चे अगर सात घंटी की पढ़ाई नहीं कर पा रहे, तो इस अपराध के लिए जिम्मेदार कौन है? अरवा, डोगो के अलावा सेरेंग्दा, तोड़ामडीह में भी उन्होंने साझा संवाद किया जबकि इचाहातु, पुनिदिरी, दामदिरी में पदयात्रा की। मारंगहातू गांव में रात्रि चौपाल लगायी गयी, जहां बड़ी संख्या में ग्रामीण जुटे। इससे पहले कुचाई स्थित आम बगान में महतो झारखंड के आंदोलनकारी, पारा शिक्षकों के प्रतिनिधि, जंगल बचाओ कार्यक्रम से जुड़े आंदोलनकारी, पंचायत प्रतिनिधि, महिला कार्यकर्ता और जमीन-गांव से जुड़े बुद्धीजीवियों के साथ सीधी बातें की। कार्यक्रम में पार्टी के विधायक रामचंद्र सहिस, राजकिशोर महतो, मुख्य प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत, झिंगी हेंब्रम सहित कोलहान के सभी वरीय नेता शामिल थे। 29 अक्टूबर को यह यात्रा सरायकेला पहुंचेंगी।
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